कोलकाता : इस साल पश्चिम बंगाल के मालदा जिले से आमों का निर्यात काफी प्रभावित हुआ। निर्यात प्रभावित रहने के पीछे का कारण निर्यातकों द्वारा विदेशी खरीदारों से बेहतर कीमत हासिल न कर पाना रहा। हालांकि इससे उत्पादकों को कोई नुकसान नहीं हुआ क्योंकि विक्रेताओं को घरेलू बाजार से ही अच्छे मूल्य मिल रहे हैं।
अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि मालदा जिले के आम विक्रेताओं को घरेलू बाजार में ही आकर्षक मूल्य मिल रहे हैं। उन्होंने बताया कि ब्रिटेन और यूएई के आयातकों ने शुरू में रुचि दिखाई थी, हालांकि कीमत पर सहमति नहीं बनने के चलते निर्यात नहीं किया जा सका।
घरेलू बाजार से ही कमा रहे जमकर मुनाफा
अधिकारियों ने कहा कि दूसरी ओर मालदा के आम विक्रेताओं को घरेलू बाजार से ही अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है। दिल्ली में एक प्रदर्शनी में लगभग 17 टन मालदा आम 100 रुपये से 150 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच बिका। कम फसल और उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादन के कारण थोक कीमतों में 50-80 प्रतिशत की वृद्धि हुई। मालदा के बागवानी उपनिदेशक सामंत लायेक ने पीटीआई-भाषा को बताया कि, ”इस साल, ब्रिटेन और दुबई के खरीदारों ने निर्यात सौदे रद्द कर दिए, जिन्होंने शुरू में रुचि दिखाई थी। हम जो दाम मांग रहे थे, वे उसे पूरा नहीं कर सके।”
गर्मी और बेमौसम बारिश से उत्पादन में आई गिरावट
पश्चिम बंगाल निर्यातक समन्वय समिति के महासचिव उज्ज्वल साहा ने बताया कि पहले चरण में हिमसागर किस्म के आम के 13 क्विंटल निर्यात के लिए कुछ प्रगति हुई थी, लेकिन आयातक बातचीत के अंतिम चरण में कीमत पर सहमत नहीं हो सके। उन्होंने बताया कि इस साल गर्मी और बेमौसम बारिश के कारण उत्पादन में भारी गिरावट के कारण आम की कीमतें बढ़ गई हैं।
मालदा में आम की कई किस्में उपलब्ध हैं, जैसे कि फाजली, हिमसागर, लक्ष्मणभोग, लंगड़ा और आम्रपल्ली। मालदा आमों की ये किस्में देश में पाये जाने वाले सबसे बड़े और सबसे स्वादिष्ट आमों में से एक हैं। ये आम रंगों में हरे, पीले और कुछ जगहों पर लाल रंग के भी पाये जाते हैं। अपने स्वाद के कारण लोकप्रिय से आम बेहद ही रसीले और बिना रेशे के होते हैं।
निर्यात में गिरावट के बावजूद मालदा आम को घरेलू बाजार में मिले बढ़िया दाम
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