मऊ के एक छोटे से गांव में जन्मे किशोर कुमार ‘पगला’ चुनावी मौसम में बसपा के लिए जनसभा और चुनावी अभियान में लोकगीत को आवाज देते हैं। बसपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच पगला के तौर पर पहचाने जाने वाले किशोर कहते हैं कि बहनजी (मायावती) मुझे निजी तौर पर जानती हैं और पार्टी के कार्यक्रमों में बुलाती भी हैं।
अप्रैल में अम्बेडकरनगर में आकाश आनंद की सभा में भी पगला ने मंच से गाना गाया था। खुद को बसपा का प्रतिबद्ध कैडर बताने वाले पगला ने कहा कि कुछ साल पहले पटना में पार्टी के एक कार्यक्रम में मेरी मुलाकात हुई और मैंने उनके सामने गाया था। लोगों को लगता है कि मैं इस उम्र में भी कैसे इतना बढ़िया गा लेता हूं। गाने के लिए मेरा पैशन है और अपनी पार्टी के लिए गाता हूं।
दलित परिवार से आने वाले ‘पगला’ ने बताया कि उन्हें गांव की महिलाओं से गीत के बोल सीखने को मिलते हैं। जो कि शादी से लेकर त्योहार तक हर मौके पर सोहर और गाली गाने का रिवाज है। ढोलक की थाप के साथ ये गीत गाए जाते हैं। वह बताते हैं कि 1984 में कांशीराम के बहुजन आंदोलन के साथ जुड़े। उस समय डीएस-4 (दलित शोषित समाज संघर्ष समिति) से दलित युवा प्रभावित होकर जुड़ते हैं।
वह पार्टी से जुड़े काम करने के साथ ही मनोरंजन के उद्देश्य से गाने भी लगे और इसी दौरान कांशीराम की नजरों में आ गए। पगला बताते हैं कि एक बार बहनजी के जन्मदिन के अवसर पर कांशीराम ने दिल्ली बुलाया और मायावती से कहा कि तुम इसको अपने कार्यक्रम में ले जाओ, इस्तेमाल करो, तुम भाषण देना और ये गाना गाएगा। पगला बताते हैं कि मायावती के सीएम बनने के दौरान उन्हें यूपी में संगीत संस्थान का सदस्य भी बनाया गया।
हालांकि किशोर कुमार ‘पगला’ गाने लिखते नहीं हैं। वह गाते हैं और हारमोनियम पर धुन कम्पोज करते हैं। और इसके लिए बसपा के कैडर गुलाम किविरिया जैसे लोग काम आते हैं। अम्बेडकरनगर के गुलाम अब तक करीब 800 गाने लिख चुके हैं। बहुजन आंदोलन और बसपा की विचारधारा से मिलते गानों से प्रभावित होकर मायावती उन्हें दिल्ली में बुलाकर स्टूडियो में गानों की रिकॉर्डिंग भी करवा चुकी हैं।