नासिक: नासिक जिले में हो रही भारी बारिश के कारण जनजीवन अस्तव्यस्त है। काजीगढ़ी के किनारे मिट्टी ढहने से 2 मकान ढह गए और घरेलू सामग्री क्षतिग्रस्त हो गई। सौभाग्य से कोई जनहानि नहीं हुई। लेकिन निवासी डर की स्थिति में हैं। घटना के बाद 2 परिवार दूसरी जगह चले गए। हर साल बरसात के मौसम में काजीगढ़ी का मुद्दा सामने आता है। लेकिन हकीकत में कोई कार्रवाई नहीं होती। इसलिए, जब मानसून आता है, तो काजीगढ़ी के निवासियों में डर का माहौल हो जाता है। जागकर रात काटनी पड़ती है। रविवार 4 अगस्त रात को ऐसा ही अनुभव निवासियों, विशेषकर राधाबाई रणशिंगे और गायत्री तारु को हुआ।
लगातार भारी बारिश के कारण रणशिंगे और तारू परिवारों के घरों से सटे किले के किनारे की मिट्टी ढह गई। इससे मकान का एक हिस्सा भरभरा कर अचानक ढह गया। दोनों परिवार गिरे हुए मकानों के सामने वाले हिस्से में थे और हादसा टल गया। रणशिंगे परिवार के घर में घरेलू सामग्री गहराई में गिरने से क्षतिग्रस्त हो गई। इससे क्षेत्रवासियों में भय व्याप्त है। तारू परिवार का मकान गिरने से सुभद्रा कुमावत के मकान की दीवार भी क्षतिग्रस्त हो गई है। किसी भी समय वह मकान भी ढह सकता है। इसलिए कुमावत परिवार अन्यत्र पलायन कर गए हैं। इसी तरह किनारे पर बने अन्य मकान भी खतरनाक स्थिति में हैं।
काजीगढ़ी के रहवासियों ने नाराजगी जताते हुए आरोप लगाया कि हर साल ऐसी घटनाएं होने के बावजूद जिला व मनपा प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। घटना के बाद विधायकों, मंत्रियों, वरिष्ठ अधिकारियों के दौरे और नोटिस देने का ही काम किया जाता है। ऐसे कड़े शब्दों में रहवासियों ने प्रशासन का विरोध किया।
कलेक्टर से मिले प्रभावित
रणशिंगे का परिवार और कुछ अन्य निवासी कलेक्टर से मिलने कलेक्टर कार्यालय गए थे। पीड़ित परिवार ने नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजे की मांग की है। निवासियों की मांग है कि काजीगढ़ी सुरक्षा दीवार का मसला सुलझाया जाए।
पश्चिम प्रभाग के कर्मचारियों का एक दौरा
काजीगढ़ी पर 2 मकान गिरने की सूचना मिलते ही पश्चिम विभाग के कर्मचारी मौके पर पहुंचे। घटना की जानकारी लेकर पंचनामा किया गया। अन्य निवासियों को अपना ख्याल रखना होगा और अन्य स्थानों पर चले जाना होगा ऐसी अपील की। किले के अन्य हिस्सों का निरीक्षण किया और वरिष्ठ अधिकारियों को जानकारी दी।