मुंबई। बॉलीवुड एक्टर अली खान के प्रशंसकों ने धूमधाम से उनका जन्मदिन मनाया. प्रशंसकों ने लंबी उम्र के लिए दुआएं मांगी. मशहूर कॉमेडियन बी आशीष और जेकेटी न्यूज़ और जनकल्याण टाइम के संपादक व आरएलजी प्रोडक्शन के प्रोडूसर राजेश भाई गावड़े और उनके परिवार ने अली खान को ढेर सारी शुभकामनायें दी और साथ ही उनके लंबी उम्र के लिए दुआएं मांगी।
आपको बता दें कि मशहूर कॉमेडियन बी आशीष आरएलजी प्रोडक्शन से सालों से जुड़े हैं और कई कॉमेडी वीडियो बनाते रहते हैं। इस कड़ी में जल्द ही आरएलजी प्रोडक्शन के बैनर तले बनने वाले एक शो में बी आशीष मशहूर अभिनेता अली खान के साथ नजर आने वाले हैं। मशहूर अभिनेता अली खान के जन्मदिन पर बी आशीष ने कहा कि अली खान साहब जैसी शख्सियतें सदियों में कभी कभार ही जन्म लेती है। अली खान ने जाति-धर्म, ऊॅंच-नीच, छोटे-बड़े के आधार पर कभी भी भेदभाव नही किया और ईमानदार छवि के अच्छे अभिनेता के रूप में अपनी एक अमिट पहचान बनायी
शुरुआती जीवन
अली ख़ान गया ज़िले के एक ऐसे गांव में पैदा हुए हैं जहां इनका परिवार संभ्रांत परिवारों में गिना जाता था। इनके पिता के पास पुश्तैनी ज़मीन थी और इनके पिता खेती-किसानी करके अपने परिवार का गुज़ारा किया करते थे। स्कूल के दिनों में ही इन्होंने नाटकों में हिस्सा लेना शुरू कर दिया था। स्कूल के दिनों से ही इन्हें प्रख्यात मायापुरी मैगज़ीन पढ़ने का मौका मिलने लगा। मायापुरी मैगज़ीन के ज़रिए ये फिल्मी सितारों और उनकी ज़िंदगी के बारे में जानकारियां हासिल करते थे। उस वक्त ये सोचते थे कि काश एक दिन इनके बारे में भी मायापुरी मैगज़ीन में कुछ छपे।
दोस्तों ने बढ़ाया उत्साह
स्कूल के दिनों में शुरू हुआ नाटक करने का वो सिलसिला आगे कॉलेज तक भी चला और मगध यूनिवर्सिटी से बीएससी करने के दौरान भी ये कॉलेज में होने वाले नाटकों में हिस्सा लेते रहते थे। उन्हीं दिनों में इनके कुछ साथियों ने इन्हें फिल्म लाइन में जाने के लिए प्रेरित करना शुरू कर दिया। अली ख़ान के दिल के किसी कोने में एक्टर बनने की ख्वाहिश तो बचपन से ही मौजूद थी। दोस्तों के हौंसला अफज़ाई करने पर उस ख्वाहिश को मानो अचानक पंख लग गए। ये मुंबई जाने के लिए बेचैन हो उठे।
और मुंबई आ ही गए Ali Khan
आखिरकार सन 1975 को ये अपने बड़े बहनोई के साथ मुंबई पहुंचे। दरअसल, इनके बहनोई के पिता हज करके वापिस भारत लौट रहे थे और इनके बहनोई इन्हें साथ लेकर अपने पिता को लेने मुंबई गए थे। मुंबई आए तो इन्होंने अपने एक कज़िन से फिल्म की शूटिंग दिखाने की गुज़ारिश की। इत्तेफाक से इनका वो कज़िन संजय खान का असिस्टेंट था। इनके गुज़ारिश करने पर इनका वो कज़िन इन्हें अपने साथ आरके स्टूडियो ले गया। आरके स्टूडियो के एक सेट पर अमिताभ बच्चन कसमें वादे फिल्म की शूटिंग कर रहे थे। आरके स्टूडियो में ही एक और सेट पर प्रख्यात विलेन रंजीत भी अपनी किसी फिल्म की शूटिंग कर रहे थे। शूटिंग के बाद जैसे ही अमिताभ बच्चन और रंजीत ने ब्रेक लिया तो अली खान इन दोनों ही स्टार्स से मिले और इनके ऑटोग्राफ लिए। अली ख़ान की ज़िंदगी में ये दिन एक बहुत बड़ा और निर्णायक साबित हुआ। अभिनेता बनने की उनकी इच्छा और ज़्यादा प्रबल हो गई। लेकिन अभी तक इन्होंने ये फैसला नहीं किया था कि इन्हें हर हाल में एक्टर ही बनना है। ये फैसला इन्होंने किया पांच साल बाद यानि सन 1980 में।
शक्ति कपूर जैसी शख्सियत
मुंबई की अपनी वो ट्रिप खत्म करके अली ख़ान वापस अपने शहर गया लौट आए। अली ख़ान अपनी पढ़ाई में व्यस्त हो गए। बीएससी कंप्लीट करने के बाद इन्होंने एलएलबी में दाखिला ले लिया। नाटकों से अली अभी भी जुड़े हुए थे। इनके मन में रह रहकर बेचैनी उठती थी कि आखिर कब ये अपना ख्वाब पूरा करने मुंबई जाएंगे। इन्हें मुंबई जाना चाहिए भी या नहीं। मगर जब सन 1980 में इनके एक दोस्त ने इन्हें सरगम फिल्म दिखाई और इनसे कहा कि ये हूबहू शक्ति कपूर जैसे ही दिखते हैं तो इन्होंने तय कर लिया कि अब ये एक्टर बनने मुंबई ज़रूर जाएंगे। इन्होंने अपनी तैयारी शुरू कर दी। इसी बीच किसी तरह इनकी मुलाकात शत्रुघ्न सिन्हा के मामा से भी हो गई और उन्होंने इनके लिए एक चिट्ठी भी लिख दी। फिर एलएलबी बीच में ही छोड़कर ये मुंबई आ गए और यहां आकर एक फाइव स्टार होटल में रुके।
शत्रुघ्न सिन्हा ने निभाया वादा
मुंबई आने के बाद इन्होंने खुद को अभिनेता की तरह तराशना शुरू कर दिया। इन्होंने फाइट सीखी। डांस सीखा। छोटे-मोटे एक्टिंग कोर्स भी किए। फिर एक दिन ये शत्रुघ्न सिन्हा से मिले और उन्हें उनके मामा की लिखी चिट्ठी दिखाई। मामा की चिट्ठी देखने के बाद शत्रुघ्न सिन्हा ने इनसे वादा किया कि वो इन्हें कोई ना कोई काम ज़रूर देंगे। शत्रुघ्न ने अपना वादा निभाया और इन्हें अपनी फिल्म कालका में गोपी का रोल दिया। इस तरह कालका फिल्म इनके करियर की पहली फिल्म बनी। उस फिल्म से इन्हें कुछ खास पहचान तो नहीं मिली। लेकिन बतौर एक्टर इनका आगाज़ ज़रूर हो गया था।
झोपड़पट्टी में रहने को मजबूर हुए अली ख़ान
जहां पहली फिल्म में काम करने के बाद ये काफी उत्साहित भी थे। तो वहीं इनके पैसे खत्म हो रहे थे और इन्हें उसकी भी फिक्र हो रही थी। आखिरकार फाइवस्टार होटल से निकलकर ये खार की झोपड़पट्टी में रहने आ गए। वहां से ये रोज़ फिल्मों में काम मांगने प्रोड्यूसर्स-डायरेक्टर्स के ऑफिसों के चक्कर लगाने जाते थे और फिर शाम को वापस लौट आते थे।
निराश होकर छोड़ने वाले थे मुंबई
इस दौरान इन्हें अल्लाह रक्खा और तूफान जैसी फिल्मों में काम भी मिला। जैकी श्रॉफ और अमिताभ बच्चन जैसे सुपरस्टार्स के साथ सिल्वर स्क्रीन शेयर करने का मौका भी इन्हें मिला। लेकिन इनका करियर रफ्तार नहीं पकड़ पा रहा था। नतीजा ये हुआ कि खार की झोपड़पट्टी में रहना भी इनके लिए मुश्किल हो गया। तंगियों से ये इतना निराश हुए कि इन्होंने वापस अपने घर लौटने का फैसला कर लिया। मगर इसी बीच कुछ ऐसा हुआ कि इन्होंने घर वापस जाने का फैसला छोड़ दिया और फिर से अपना ख्वाब पूरा करने के लिए जी जान से जुट गए।
शायर दोस्त ने बदल दी ज़िंदगी
मुंबई आकर अली ख़ान को कुछ फिल्मों में बड़े स्टार्स के साथ काम करने का मौका ज़रूर मिला था। लेकिन इनकी ज़िंदगी की मुश्किलें खत्म होने की बजाय बढ़ रही थी। इस दौरान इनकी दोस्ती मुंबई में रहने वाले एक शायर से हो गई थी जो कि इत्तेफाक से इनके इलाके के ही रहने वाले थे। उस शायर को ही इन्होंने पहली दफा बताया था कि दिन भर फिल्म स्टूडियोज़ की खाक छानने के बाद रात को ये प्लेटफॉर्म किनारे अपनी झुग्गी सोते थे तो एक चूहा इनके पैर की उंगली को काटता था और फिर इनका खून पीता था। उस शायर को जब पता चला कि अली ख़ान निराश होकर वापस गया जा रहे हैं तो उसने इन्हें एक शेर सुनाकर इनसे वापस ना जाने की गुज़ारिश की। वो शेर था, “उलझे रहो इस कदर परेशानियों में तुम, कि तमाम परेशानियां खुद परेशान हो जाएं।”
सोमाली दरवेश से मिला पैसा
उस शायर की बात ने इनके दिल पर गहरा असर किया। इन्होंने गया वापस लौटने का अपना फैसला छोड़ दिया और खुद से कहा कि मैंने इस शहर को अपना खून दिया है। ऐसे तो मैं यहां से नहीं जाने वाला। उस दिन के बाद अली ख़ान फिर से जी जान से मेहनत करने में जुट गए। जल्द ही इनकी मेहनत रंग लाई और इन्हें Somali Dervish नाम की एक इंटरनेशनल फिल्म में काम करने का मौका मिला। उस फिल्म की शूटिंग सोमालिया व ईस्ट अफ्रीका के कई और देशों में हुई थी। उस फिल्म से भले ही इन्हें पहचान ना मिली हो। लेकिन पैसा अच्छा-खासा मिल गया था। उस पैसे की मदद से इन्होंने मुंबई में अपना एक 1BHK Flat खरीद लिया था। इसके बाद फिर कभी इन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री ने इन्हें नोटिस करना शुरू कर दिया और आखिरकार जब फिल्म खुदा गवाह में एक एक्टर ने अपना रोल निभाने से इन्कार कर दिया तो इन्हें वो रोल दिया गया। वो था हबीबुल्लाह का रोल। उस रोल को इन्होंने इतने ज़बरदस्त तरीके से निभाया कि सारे देश में ये मशहूर हो गए। खुद सुपरस्टार अमिताभ बच्चन ने उस रोल के लिए इनकी खूब तारीफ की थी।
किया ज़बरदस्त काम
अपने अब तक के फिल्मी करियर में अली ख़ान ने सौ से भी ज़्यादा फिल्मों में काम किया है। ना केवल हिंदी, बल्कि इन्होंने तमिल, तेलुगू, मराठी, भोजपुरी, गुजराती और राजस्थानी फिल्मों में भी काम किया है। केवल फिल्मों में ही नहीं, अली ख़ानन ने टीवी के भी कुछ चर्चित शोज़ में काम किया है। संजय खान के टीपू सुल्तान और द ग्रेट मराठा में इन्होंने काम किया है। साथ ही बीआर चोपड़ा की महाभारत में इन्होंने भगवान यक्ष का किरदार भी निभाया है।
अली ख़ान की निज़ी ज़िंदगी
अपने दौर के जाने-माने एक्टर शफी ईनामदार की चचेरी बहन से इन्होंने शादी की है। इनके दो बच्चे हैं। एक बेटा और एक बेटी। इनका बेटा फैयाज़ भी आज एक डायरेक्टर बन चुका है। फिल्म इंडस्ट्री में इतने सालों तक काम करने के दौरान अमिताभ बच्चन के साथ अली ख़ान की बहुत बढ़िया दोस्ती हो गई।
अमिताभ भी अली ख़ान को इतना मानते हैं कि उनके बेटे फैयाज़ और बेटी की शादी में अमिताभ तमाम व्यस्तताओं के बीच वक्त निकालकर पहुंचे। अमिताभ के अलावा रज़ा मुराद से भी अली ख़ान की बढ़िया दोस्ती है। संघर्ष के दिनों में रज़ा मुराद के साथ अली ख़ान काफी वक्त बिताते थे।
मुश्किल हालातों से लड़कर अपना एक अलग मुकाम बनाने वाले अली ख़ान वाकई में काबिल-ए-तारीफ शख्सियत हैं। जेकेटी न्यूज़, जनकल्याण टाइम टाइम व आरएलजी प्रोडक्शन उनकी अच्छे सेहत और सुनहरे भविष्य की कामना करता है।