खून से लाल मोकामा की मिट्टी, अनंत सिंह पर हत्या का इल्जाम… ‘छोटे सरकार’ की कुंडली में कितने क्राइम?

Date:

Share post:

बिहार की राजनीति में जब भी ‘बाहुबली’ की बात होती है, तो अनंत सिंह का नाम खुद-ब-खुद सामने आ जाता है. मोकामा की मिट्टी एक बार फिर उसी ‘छोटे सरकार’ के नाम पर लाल हो गई है. जनसुराज समर्थक दुलार चंद यादव की हत्या के बाद एक बार फिर उनका चर्चा में आ गया है. इस बार उनकी सियासी डगर मुश्किल दिख रही है

बिहार में एक बार फिर चुनावी हिंसा की वजह से खौफ का माहौल बन गया है. इस बार मोकामा में जनसुराज समर्थक दुलार चंद यादव की बेरहमी से हत्या कर दी गई. उनको पहले पैर में गोली मारी गई, फिर गाड़ी चढ़ाकर रौंद दिया गया. इस कत्ल का इल्जाम ‘छोटे सरकार’ कहे जाने वाले बाहुबली नेता अनंत सिंह पर लगा है. उनके खिलाफ शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है.

दुलार चंद यादव का नाम मोकामा की सियासी जमीन पर नया नहीं था. कभी इलाके में दहशत का दूसरा नाम माने जाने वाले दुलार चंद जनसुराज के नेता बन गए थे. यह उनके लिए जानलेवा साबित हुआ. 30 अक्टूबर को बसावन चक इलाके में चुनाव प्रचार के दौरान उनकी बेरहमी से हत्या कर दी गई. आरोप है कि अनंत सिंह के लोगों ने काफिले पर हमला किया. दुलार चंद को कुचलकर मौत के घाट उतार दिया.

दुलारचंद के पोते रविरंजन ने दावा किया है, ”गोली अनंत सिंह ने खुद मारी. पैर पर गाड़ी चढ़ाई.” जनसुराज उम्मीदवार प्रियदर्शी पीयूष के समर्थन में प्रचार करने वाले इस समर्थक की मौत ने पूरे बिहार की सियासत को हिला दिया है. जेडीयू प्रत्याशी और बाहुबली नेता अनंत सिंह ने इसे आरजेडी प्रत्याशी सूरजभान सिंह की साजिश करार दिया. लेकिन अब अनंत की मुश्किलें बढ़ चुकी हैं. उनके खिलाफ केस दर्ज हो चुका है

पटना (ग्रामीण) के एसपी विक्रम सिहाग ने बताया, ”हमें पता चला है कि दुलार चंद यादव को पहले पैर में गोली मारी गई, फिर गाड़ी से कुचल दिया गया. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बाद ज्या जानकारी मिलेगी.” पटना जिला प्रशासन ने भी बयान जारी किया कि दुलार चंद यादव पर कई आपराधिक मामले दर्ज थे. लेकिन इसके बावजूद हत्या की जांच पूरी सख्ती से की जा रही है और सभी आरोपियों की तलाश जारी है.

बिहार की राजनीति में बाहुबलियों का जलवा कोई नया नहीं है. लेकिन जब बात अनंत सिंह की आती है, तो कहानी ही अलग हो जाती है. ‘छोटे सरकार’ और ‘मोकामा का डॉन’, ये नाम ही कभी लोगों के रोंगटे खड़े कर देते थे. कहते हैं कि एक वक्त ऐसा था जब मोकामा में कानून नहीं, बल्कि अनंत सिंह का फरमान चलता था. हैट और चश्मा पहनने का शौक, अजगर पालने का जुनून और जनता के बीच रॉबिनहुड जैसी छवि.

ये सब उस बाहुबली की पहचान थी, जिसके घर से एके-47 और बम बरामद हो चुके हैं. अनंत सिंह पर कत्ल, फिरौती, डकैती, अपहरण और रेप जैसे संगीन केस दर्ज हैं. लेकिन बावजूद इसके, उनका रसूख कभी कम नहीं हुआ. पटना से करीब 40 मिनट दूर बाढ़ का इलाका, जहां राजपूत और भूमिहार जातियों की खूनी जंग का लंबा इतिहास रहा है. इसी इलाके के लदमा गांव में जन्मे अनंत सिंह चार भाइयों में सबसे छोटे थे.

कहा जाता है कि जब पहली बार जेल गए, तब उनकी उम्र महज 9 साल थी. इसके बाद अपराध की राह पर वो ऐसे बढ़े कि बड़े-बड़े अफसर और नेता भी उनके सामने सिर झुकाने लगे. अनंत सिंह की आपराधिक विरासत उनके बड़े भाई दिलीप सिंह से शुरू होती है. वो बिहार के बाहुबली नेता थे और लालू प्रसाद यादव की सरकार में मंत्री भी रहे. राजनीति में रास्ता दिलीप ने बनाया, जिस पर अनंत चल रहे हैं.

80 के दशक में कांग्रेस विधायक श्याम सुंदर धीरज के लिए बूथ कब्जाने का काम दिलीप सिंह किया करते थे. साल 1990 में जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़े और विधायक बन गए. सत्ता मिली तो उसे संभालने के लिए एक मजबूत हाथ चाहिए था, जो कि अनंत सिंह बन गए. दो हत्याओं के बाद जरायम की दुनिया में अनंत सिंह का परचम लहराने लगा. इसके बाद तो सिलसिला चल पड़ा.

साधु बन चुके अनंत जरायम की दुनिया में ऐसे आए

कहा जाता है कि एक वक्त ऐसा आया जब अनंत सिंह वैराग्य लेकर अयोध्या और हरिद्वार में साधु बन गए थे. लेकिन किस्मत को कुछ और मंजूर था. जब सबसे बड़े भाई बिरंची सिंह की हत्या हुई तो अनंत का साधु रूप खूनी बदला में बदल गया. उन्होंने नदी पार करके अपने भाई के हत्यारे को ईंटों से कुचलकर मार डाला. यही वो दिन था जब बिहार के लोगों के बीच ‘छोटे सरकार’ का जन्म हुआ.

अनंत सिंह की कहानी उस दौर से जुड़ी है जब बिहार की राजनीति दो ध्रुवों में बंटी थी. नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव के इर्द-गिर्द घूमती थी. साल 1994 में जब लालू सीएम थे और नीतीश साइडलाइन किए जा रहे थे, तब बाढ़ इलाके की सियासत ने नया मोड़ लिया. साल 1996, 1998 और 1999 के लोकसभा चुनावों में नीतीश को अपने जातीय समीकरण संभालने के लिए एक ‘बाहुबली’ की जरूरत थी.

उस जरूरत की भरपाई अनंत सिंह के रूप में हुई. बाढ़ में भूमिहार समुदाय के रक्षक के रूप में अनंत की छवि तेजी से बनी. साल 2005 में नीतीश कुमार ने जब उन्हें मोकामा से टिकट दिया, तो बिहार की राजनीति में भूचाल आ गया. सवाल उठा कि जो नीतीश अपराधमुक्त राजनीति का सपना दिखा रहे थे, वो ऐसे उम्मीदवार को टिकट कैसे दे रहे हैं. लेकिन नतीजा सामने था. अनंत सिंह मोकामा से जीत गए.

छठ पर धोती बांटना, गरीबों को तांगा देना, रमजान में इफ्तार कराना, यही वो तिकड़ी थी, जिसने अनंत सिंह को मोकामा में गरीबों का मसीहा बना दिया. ‘छोटे सरकार’ की छवि आम लोगों के बीच मजबूत हुई. नीतीश कुमार के साथ हाथ जोड़ते हुए उनकी फोटो वायरल हुई. इसी छवि ने उनके अपराध को ढक दिया. लेकिन साल 2015 में जब नीतीश और लालू फिर साथ आए, तो अनंत ने जेडीयू से इस्तीफा दे दिया.

उसी साल उन्होंने जेल से चुनाव लड़ा, एक दिन भी प्रचार नहीं किया, फिर भी 18 हजार से ज्यादा वोटों से जीत गए. अब जब 2025 के चुनावी माहौल में मोकामा फिर खून से लाल हुआ है, तो सवाल उठ रहा है कि क्या बाहुबली राजनीति का युग बिहार में कभी खत्म होगा? गोलियों की आवाजें, सायरन की गूंज और ‘छोटे सरकार’ का नाम, ये तीन शब्द एक बार फिर बिहार की राजनीति को रक्तरंजित कर रहे हैं.

जानिए बाहुबली अनंत सिंह की क्राइम कुंडली…

साल 2004 की बात है. बिहार एसटीएफ ने मोकामा में अनंत सिंह के आलीशान आवास पर छापेमारी की थी. कई घंटों तक पुलिस और अनंत के गुर्गों के बीच गोलियां चलती रहीं. इस मुठभेड़ में एक जवान शहीद हुआ और अनंत सिंह के आठ लोग मारे गए. गोलियां अनंत को भी लगीं, लेकिन वे बच निकले. न गिरफ्तारी हुई, न ही उस दिन किसी ने छोटे सरकार को छूने की किसी ने हिम्मत दिखाई.

साल 2007 में एक महिला के साथ बलात्कार और हत्या के संगीन मामले में अनंत सिंह का नाम उछला. जब एक निजी चैनल की टीम उनसे सवाल करने पहुंची, तो उनके समर्थकों ने पत्रकारों की बेरहमी से पिटाई कर दी. उनको बंधक बना लिया गया. ये मामला मीडिया में छाया, गिरफ्तारी हुई, लेकिन नीतीश कुमार की सरकार ने चुप्पी साध ली. इस बार भी कोई अनंत सिंह का बाल बांका नहीं कर पाया.

अनंत सिंह के खौफ का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब जीतन राम मांझी मुख्यमंत्री थे, तो अनंत सिंह ने उन्हें खुलेआम धमकाने की हिम्मत दिखाई थी. नीतीश सरकार में मंत्री रहीं परवीन अमानुल्लाह को भी उन्होंने धमकी दी थी. उनका एक वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें वो एके-47 लहराते हुए दिखे थे. इन्हीं हरकतों के चलते अनंत सिंह धीरे-धीरे नीतीश कुमार के लिए बोझ बनते गए.

17 जून 2015 को अनंत सिंह के परिवार की एक महिला को बाढ़ के बाजार में चार युवकों ने छेड़ दिया. ये मामला छोटा था, लेकिन नतीजा भयानक हुआ. आरोप है कि अनंत सिंह के इशारे पर उनके गुर्गों ने चारों युवकों को अगवा कर लिया. अगली सुबह एक युवक का शव जंगल में मिला. उसके शरीर पर बेरहमी से पिटाई के निशान थे. बाकी तीन युवकों को पुलिस ने जिंदा बरामद कर लिया था.

16 अगस्त 2019 को बाढ़ में अनंत सिंह के पैतृक घर पर पुलिस ने छापेमारी की थी. इस दौरान चौंकाने वाला नतीजा सामने आया था. अनंत सिंह के घर से एक AK-47 राइफल, दो हैंड ग्रेनेड और 26 जिंदा कारतूस बरामद हुए. यह बरामदगी इतनी बड़ी थी कि पुलिस ने उनके खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम यानी की यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया था.

Related articles

जी कृष्णैया से लेकर मोहम्मद मुमताज तक… बिहार में अफसरों के कत्ल की अनकही कहानी, सिस्टम की साज़िश या नाकामी?

बिहार में ईमानदार अफसरों की हत्याएं सिस्टम की कमजोरी को उजागर करती रही हैं. गोपालगंज के डीएम जी....

📰✨ Breaking News Update | Jan Kalyan Time News Mumbai ✨📰रिपोर्ट: बी. आशिष | बॉलीवुड एक्टर, स्टैंड-अप कॉमेडियन और प्रेस फ़ोटोग्राफ़र | जन कल्याण...

B Ashish (bollywood press photographer Mumbai.) 🌸 गुवाहाटी (असम) में पारंपरिक टोपी के साथ हुआ शानदार स्वागत ❤️ गुवाहाटी (असम):...

🌟 Jan Kalyan Time News Mumbai के माध्यम से✨ प्रेरणादायक संदेश – Vincent Rodrigues, Mumbai ✨”इज़्ज़त, पैसा और इंसानियत”(एक सोच, एक सच्चाई)

राजेश लक्ष्मण गावड़े मुख्य संपादक जन कल्याण टाइम आज के इस दौर में हम सब एक ऐसे समाज में जी...

🌟 प्रेरणादायक संदेश 🌟🎬 Bollywood Writer & Director Rajesh Bhatt Saab, Mumbai की कलम से✨ Jan Kalyan Time News, Mumbai के माध्यम से जन-जन...

धनंजय राजेश गावड़े ( प्रेस फोटोग्राफर नवसारी गुजरात) 🌈 “ज़िन्दगी को समझो, उसे महसूस करो — क्योंकि यही असली...