
मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने 73 वर्षीय भालचंद्र म्हात्रे की जमानत याचिका खारिज कर दी, जिसे मंदबुद्धि की नौकरानी के साथ दुराचार करने का दोषी पाया गया था। न्यायमूर्ति एम.एम. सथाये की एकल पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि दोषी के खिलाफ ऐसे साक्ष्य मौजूद हैं जो अपराध को छुपाने के प्रयासों का संकेत देते हैं। अदालत ने यह भी कहा कि पीड़िता की सहमति का कोई महत्व नहीं है, क्योंकि उसका बौद्धिक स्तर (आई.क्यू.) केवल 42 फीसदी है, जिससे वह मानसिक रूप से निर्णय लेने के लिए सक्षम नहीं थी।
साक्ष्य और आरोप कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि घटना के बाद याचिकाकर्ता और उसके परिवार ने घटना को दबाने की कोशिश की और पीड़िता को गर्भपात करने का दबाव डाला। यद्यपि पीड़िता 23 वर्ष की थी, वह मानसिक रूप से मंदबुद्धि थी। इस स्थिति को देखते हुए अदालत ने पीड़िता की सहमति को मान्य नहीं माना।
क्या है मामला ?यह मामला जनवरी 2017 का है, जब पीड़िता अपनी मां की मदद के लिए याचिकाकर्ता के घर काम करने जाती थी। एक दिन, जब याचिकाकर्ता की पत्नी घर पर नहीं थी, उसने पीड़िता के साथ दुराचार किया। पीड़िता की गर्भवती होने पर परिजनों को इसकी जानकारी हुई, जिसके बाद आरोपित ने मामले को छुपाने की कोशिश की।
पुलिस की कार्रवाई पीड़िता की मां की शिकायत पर पुलिस ने याचिकाकर्ता को गिरफ्तार किया था। सेशन कोर्ट ने सितंबर 2022 में याचिकाकर्ता को दोषी करार देते हुए 20 साल की सजा सुनाई थी। बॉम्बे हाई कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज करते हुए सजा को चुनौती देने वाली याचिका का मामला जारी रखने का निर्णय लिया।





