दिल्ली के बाद मुंबई बनता जा रहा है प्रदूषण का हब

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बढ़ते औद्योगिकीकरण, कारखाने, शहरीकरण, निर्माण धूल, वाहन उत्सर्जन और अपशिष्ट उपचार संयंत्र मुंबई समेत राज्य भर में प्रदूषण बढ़ा रहे हैं। इसी तरह पिछले कुछ दिनों में दिल्ली का प्रदूषण भी बढ़ गया है। इसके बाद अब मुंबई ने भी प्रदूषण को लेकर खतरे की घंटी बजा दी है। मिली जानकारी के मुताबिक, दिल्ली में प्रदूषण का मौजूदा एक्यूआई 350 है। यही आंकड़ा मुंबई के कुर्ला इलाके में दर्ज हुआ है। इस बढ़ते प्रदूषण के कारण कई लोगों की सांस संबंधी शिकायतें बढ़ गई हैं। इसलिए प्रशासन अपील कर रहा है कि नागरिक समय रहते सावधानी बरतें। दरअसल मुंबई के कुछ उपनगरों में प्रदुषण का स्तर अत्यधिक बढ़ गया है।

विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्रदूषण का स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ने की संभावना है और स्थानीय उपायों की तत्काल आवश्यकता है। स्वास्थ्य के लिहाज से यह स्थिति मुंबईकरों के लिए बहुत खराब है। मुंबई के कुर्ला इलाके का एक्यूआई फिलहाल 350 है। ये आंकड़ा दिल्ली के प्रदूषण के बराबर है। बढ़ते प्रदूषण के कारण कई लोगों की सांस संबंधी शिकायतें बढ़ गई हैं। जो लोग इसका खर्च उठा सकते हैं वे घर पर एयर प्यूरिफायर लगा रहे हैं। विशेष रूप से, शिवाजीनगर (चेंबूर), कांदिवली और देवनार को मुंबई में महत्वपूर्ण प्रदूषण केंद्रों के रूप में पहचाना गया है। एक्रॉस इंडियन मेट्रोपोलिज़ रिपोर्ट में कहा गया है कि निर्माण धूल, वाहन उत्सर्जन और अपशिष्ट उपचार संयंत्र यहां प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं। नवंबर 2024 के दौरान, मुंबई में 27 वायु प्रदूषण निगरानी स्टेशन सक्रिय थे।

मुंबई में शिवाजीनगर, कांदिवली पश्चिम और मलाड पश्चिम सबसे प्रदूषित क्षेत्र बनकर उभरे हैं। यह रिपोर्ट क्लाइमेट टेक प्लेटफॉर्म रेस्पायरर लिविंग साइंसेज (आरएलएस) द्वारा प्रस्तुत की गई है। आरएलएस हाइपरलोकल वायु गुणवत्ता निगरानी के माध्यम से पारंपरिक तरीकों से नजरअंदाज किए गए प्रदूषण हॉटस्पॉट का विश्लेषण प्रस्तुत करता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि हाइपरलोकल मॉनिटरिंग प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए अधिक विशिष्ट और स्थानीयकृत उपायों को सक्षम बनाएगी। इससे, बदले में, नीति निर्माताओं, शहरी योजनाकारों और नागरिकों को खतरनाक स्थानों पर उपाय करने में मदद मिलेगी। शहरी क्षेत्रों में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए तत्काल उपायों की आवश्यकता है, स्वच्छ प्रौद्योगिकियों को अपनाना, कम उत्सर्जन क्षेत्रों का डिजाइन और प्रदूषण केंद्रों को कम करना अगले रणनीतिक कदम होंगे।

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