नागपुर. ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 तथा सीआरपीसी की धारा 484 के तहत डॉ. प्रशांत टिपले के खिलाफ फौजदारी मामला दर्ज किया गया। जिसमें विशेष न्यायाधीश की ओर से भी डॉक्टर को दोषी करार दिया गया। इस स्पेशल फौजदारी मामले को रद्द करने का अनुरोध करते हुए डॉक्टर की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई। जिस पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने विशेष न्यायाधीश द्वारा पारित आदेश को खारिज करने के आदेश दिए।
कोर्ट ने आदेश में कहा कि सम्पूर्ण मामले पर गौर करने के बाद यह निश्चित है कि मरीज को दवा बेचने के लिए डॉक्टर पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है। डॉक्टर की ओर से अधि. मोहित खजांची ने पैरवी की। अभियोजन पक्ष के अनुसार लाइसेंस के बिना डॉक्टर द्वारा मरीजों को दवा बेचे जाने की सूचना मिलने पर ड्रग इंस्पेक्टर की ओर से डॉक्टर के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी।
विशेष न्यायालय में दर्ज की थी शिकायत
अभियोजन पक्ष के अनुसार, याचिकाकर्ता एक मनोचिकित्सक है। सूचना मिलने के बाद दवा निरीक्षक की ओर से एक डमी मरीज को क्लीनिक भेजा था। डॉक्टर ने मरीज की जांच कर दवाइयां लिखीं और बिल के तहत उसके पास उपलब्ध दवाइयां बेचीं। सरकारी पक्ष के अनुसार मामला यह है कि याचिकाकर्ता द्वारा मरीज को दवाइयों का स्टॉक और बिक्री के अधिनियम की धारा 18 (सी) के प्रावधानों का उल्लंघन है। जिसके लिए विशेष न्यायालय में शिकायत दर्ज की गई। जिसमें याचिकाकर्ता के खिलाफ नोटिस भी जारी किया गया। अधि. खजांची ने कहा कि याचिकाकर्ता एक पंजीकृत चिकित्सा व्यवसायी है। धारा 18(सी) यह 1040 के अधिनियम के अध्याय 4 का एक हिस्सा भर है। औषधि नियम 1945 के अनुसार विशेष रूप से नियम 123 के अनुसार अनुसूचित में निर्दिष्ट औषधियों को इसमें छूट दी गई है। यहां तक कि निरीक्षण के दौरान पूरा लेखा-जोखा रखा गया था।
दवा नकली नहीं, मानक गुणवत्ता की
विश्लेषक की रिपोर्ट के अनुसार, दवा मानक गुणवत्ता की थी अर्थात नकली दवा नहीं थी। अधि. खजांची ने कहा कि उसका मामला 1945 के नियम 4 के नियम 123 के साथ अनुसूची के खंड 5 के अंतर्गत ही आता है। याचिकाकर्ता की दलीलों का विरोध करते हुए सरकारी पक्ष की ओर से बताया गया कि बिक्री के लिए ही दवाएं जमा की गई थीं। यह केवल मरीजों के इलाज के लिए नहीं थी। इस मामले में याचिकाकर्ता द्वारा दिए गए नियम लागू नहीं होते हैं। याचिकाकर्ता किसी भी स्थिति में दवाओं का स्टॉक नहीं रख सकता है और न ही मरीजों को दवा उपलब्ध कराने के लिए बेच सकता है। सुनवाई के दौरान ऐसे मामलों में अब तक हुए फैसलों का भी हवाला दिया गया। दोनों पक्षों की दलीलों के बाद कोर्ट ने उक्त आदेश जारी किया।







