मुंबई: महाराष्ट्र में मराठा और ओबीसी आरक्षण को लेकर द्वंद्व देखने को मिल रहा है। इसे लेकर महाराष्ट्र के मंत्री छगन भुजबल ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) प्रमुख शरद पवार पर जमकर हमला बोला था। उन्होंने कहा था कि ये (शरद पवार) आरक्षण के नाम पर राज्य में आग लगाने का काम कर रहे है। एनसीपी प्रमुख के खिलाफ भाषण देने के 24 घंटे से पहले ही भुजबल से शरद पवार से मुलाकात करने पहुंचे। इसे लेकर प्रदेश की राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई है। छगन भुजबल ने सोमवार को सुबह शरद पवार के आवास सिल्वर ओक पर उनसे मुलाकात की। यह बैठक क्यों हुई, इसकी जानकारी अब तक सामने नहीं आई है।
उल्लेखनीय है कि बीते दिन महाराष्ट्र के मंत्री छगन भुजबल ने शरद पवार पर परोक्ष हमला करते हुए दावा किया कि विपक्षी महा विकास आघाडी (एमवीए) ने ‘‘शाम पांच बजे बारामती से फोन आने” के बाद नौ जुलाई को मराठा आरक्षण मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक का बहिष्कार किया। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा नौ जुलाई को आहूत सर्वदलीय बैठक में एमवीए नेता शामिल नहीं हुए। उनका (एमवीए नेताओं का) दावा था कि मराठा आरक्षण के मुद्दे पर विपक्ष को विश्वास में नहीं लिया गया।
छगन भुजबल बोले
भुजबल ने बारामती में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘जब सामाजिक मुद्दे सामने आते हैं, तो यह उम्मीद की जाती है कि शरद पवार जैसे वरिष्ठ नेता को बैठक में आना चाहिए और अपने सुझाव देने चाहिए। पहले जानबूझकर बहिष्कार करना और फिर सलाह देना सही नहीं है।” भुजबल ने दावा किया, ‘‘शाम पांच बजे बारामती से आए फोन के बाद विपक्षी नेता बैठक में नहीं आए।”
उल्लेखनीय है कि पुणे जिले का बारामती लोकसभा क्षेत्र राकांपा (एसपी) नेता शरद पवार का गढ़ है। भुजबल ने कहा कि उन्होंने राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार और राकांपा (एसपी) नेता जितेंद्र आव्हाड को बैठक में शामिल होने के लिए कहा था। राकांपा नेता ने कहा, ‘‘मैंने आव्हाड से शरद पवार को भी बैठक में शामिल होने के लिए अपने साथ लेकर आने को कहा था। पवार साहब ने (पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत) वी पी सिंह द्वारा दिए गए आरक्षण को लागू किया और हम इसके लिए हमेशा उनके आभारी हैं।”
विपक्ष पर उठाया सवाल
भुजबल ने बारामती के मराठा, धनगर और ओबीसी समुदायों के लोगों के हितों की कथित रूप से अनदेखी करने के लिए विपक्ष पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा, ‘‘बारामती के मराठा, माली और धनगर ओबीसी समुदायों के लोगों ने सुनेत्रा पवार या सुप्रिया सुले किसी को तो (लोकसभा चुनावों में) वोट दिया होगा। आप हमसे नाराज हो सकते हैं, लेकिन इन समुदायों को क्यों असहाय छोड़ रहे हैं? क्या उनके हितों की रक्षा करना आपका कर्तव्य नहीं है?”