
नवसारी। चार साल पहले नवसारी रेलवे स्टेशन ओवर ब्रिज का जब काम शुरु हुआ और फिर धीमी गति से पूरा हुआ तो इसे शुरु तो कर दिया लेकिन यह किसी ने नहीं देखा कि इस पर स्ट्रीट लाइट तो लगी ही नहीं। इस मुद्दे को कई बार उठाया गया लेकिन समस्या का समाधान नहीं निकल पाया। एक सप्ताह पहले यही समस्या जब उठाई तो उन्होंने इस काम को पूरा करने के लिए कहा। उधर ब्रिज विभाग का कहना है कि जब चार साल पहले इस ब्रिज को बनाया गया तब इसके प्लान में स्ट्रीट लाइट नहीं थी। इसलिए लाइट नहीं लग सकी है। ‘अंधेर नगरी चौपट राजा’ के तर्ज फ़िलहाल 100 के इस ओवरब्रिज को देखकर यही कह सकते हैं ‘अंधेर नगरी चौपट ओवरब्रिज’
Video & photography by Yash R. Sawant
जनकल्याण टाइम हमेशा आम जनता से जुड़े मुद्दे उठाता रहा है। हमने नवसारी शहर की कई समस्याओं को उठाया। अब एक और आम जनता से जुड़े मुद्दे को लेकर हम आपके सामने हैं। 100 करोड़ की लागत से बने इस ओवर ब्रिज की सबसे बड़ी समस्या स्ट्रीट लाइट का न होना है। इसलिए इस समस्या के लिए ब्रिज विभाग से जानकारी ली गई। इस पर बताया गया कि ओवर ब्रिज का जो प्लान था उसमें स्ट्रीट लाइट का उल्लेख नहीं था। इसलिए इस पुल पर लाइट नहीं लगी है। अब प्रशासन को इसका प्लान फिर से बनवाकर स्वीकृति लेकर पूरा करना होगा ताकि लोगों की समस्या का समाधान हो सके।
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टर्न ऐसा कि कभी भी हो सकता है हादसा
ओवर ब्रिज को इस तरह बनाया गया है कि इस पर एक बड़ा टर्न है जिसके कारण कभी भी यहां हादसा हो सकता है। अक्सर इस तरह से ब्रिज नहीं होते हैं जैसा यहां पर टर्न है। इस मोड़ पर रात के अंधेरे में खतरा और बढ़ जाता है। यदि थोड़ी सी भी तेज गति से वाहन आता है तो फिर वह रेलिंग पार कर नीचे गिर सकता है। इसलिए इस ओवर ब्रिज पर स्ट्रीट लाइट का होना बहुत जरूरी है।
खतरे को लेकर जताई थी चिंता
पूर्व में ओवर ब्रिज को लेकर हादसों के बारे में पुलिस विभाग भी अपनी चिंता जता चुका है। इसके लिए पत्र भी लिखा गया कि जिस तरह से इसका निर्माण हुआ है उससे यहां पर कभी भी हादसा हो सकता है। हालांकि इसके बाद भी कुछ नहीं हो सका था।
बड़े वाहनों की आवाजाही नहीं
अभी भी यहां से बड़े वाहनों की आवाजाही नहीं हो रही है। बड़े वाहनों को पुलिस लाइन के पास से रोक दिया जाता है। खास बात यह है कि कभी लंबा ट्राला अगर यहां से निकालना हो तो वह नहीं निकल सकता है। जिस तरह से टर्न है उस पर लंबे वाहन का निकलना काफी कठिन है।
किसी भी जिम्मेदार ने नहीं देखा
जब इस ओवर ब्रिज का निर्माण हो रहा था तब किसी भी जिम्मेदार ने इस समस्या को न तो समझा और न ही इसे ठीक करने को कहा। छोटे और बड़े चार पहिया वाहन तो यहां से गुजर सकते हैं लेकिन लंबे लोडिंग वाहन यहां से नहीं जा सकते हैं।
रेलवे ओवर ब्रिज पर लाईट होने के चलते रात्री के समय अंधेरा हो जाता है, जिसके कारण यहां लूटपाट, छेड़खानी जैसी घटनाएं आम होती जा रही है।
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असामाजिक तत्वों का अड्डा
यह ओवरब्रिज इसलिए बनाया गया ताकि सभी के लिए यात्रा सुरक्षित और आसान हो सके और सड़क दुर्घटना की समस्या से निजात मिल सके। लेकिन वर्तमान में यह ओवरब्रिज पूरी तरह से बदहाल होने के कारण अनुपयोगी हो चुके हैं। जनकल्याण की टीम ने ओवरब्रिज की पड़ताल की तो पाया कि इस ओवरब्रिज का इस्तेमाल करना मौत को दावत देने जैसा है। टर्न इतना संकीर्ण है कि यदि थोड़ी सी भी तेज गति से वाहन आता है तो फिर वह रेलिंग पार कर नीचे गिर सकता है। करोड़ों की लागत से बने हुए यह ओवरब्रिज खस्ताहाल होने के साथ-साथ रात में असामाजिक तत्वों का अड्डा भी बन जाता है। जगह जगह लोग बैठे रहते हैं और व्हाट्सअप व इंस्टाग्राम पर चैटिंग करते रहते हैं। ऐसे उठता है कि अगर कोई दुर्घटना होती है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा।

