हाइलाइट्स
महाराष्ट्र में अजित पवार से नाता तोड़ सकती है बीजेपी
लाेकसभा चुनावों के बाद आत्ममंथन की मुद्रा में बीजेपी
अजित की इंट्री से BJP की बैंड वैल्यू कम होने का दावा
पिछले साल जुलाई में महायुति में आए थे अजित पवार
मुंबई: 2024 लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से महाराष्ट्र की राजनीति गरमाई हुई है। दावा किया जा रहा है कि राज्य में एक बार फिर से सियासी उठा-पठक हो सकती है। विपक्ष की तरफ से महायुति सरकार पर संकट होने के दावे किए ज रहे हैं। लोकसभा चुनावों में खराब प्रदर्शन के बाद बीजेपी आत्ममंथन की मुद्रा में है। अटकलें हैं कि बीजेपी अजित पवार की अगुवाई वाली एनसीपी से नाता तोड़ सकती है। ऐसे में सवाल है क्या शिंदे सरकार गिर जाएगी? या फिर सरकार अल्पमत में आए जाएगी? आइए समझते हैं कि महाराष्ट्र विधानसभा की मौजूदा दलीय स्थिति कैसी है? यह भी महज संयोग है कि पिछले दो सालों से महाराष्ट्र की राजनीति सियासी उठापठक जून-जुलाई महीने सियासी उथल-पुथल वाले रहे हैं।
विधानसभा का क्या है गणित?
महाराष्ट्र राज्य विधानसभा में कुल सदस्यों की संख्या 288 है। सरकार चलाने के लिए किसी भी पक्ष के पास 145 सदस्यों का समर्थन होना जरूरी है। वर्तमान में बीजेपी और शिवसेना की अगुवाई वाली महायुति सरकार सत्ता में है। एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री है और इसके अलावा बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस बीजेपी से डिप्टी सीएम हैं। जून, 2022 में शिवसेना के दो फाड़ होने के बाद एकनाथ शिंदे राज्य के 19वें मुख्यमंत्री बने थे। उन्हें बीजेपी का समर्थन मिला था, लेकिन पिछले साल 2 जुलाई को अजित पवार भी महायुति सरकार में शामिल हो गए थे। मौजूदा महायुति सरकार के पास 203 विधायकों का समर्थन है। इसमें अजित पवार की अगुवाई वाली एनसीपी के 40 विधायक हैं। ऐसे में मौजूदा शिंदे सरकार के पास बहुमत से 58 अधिक विधायकों का समर्थन है। ऐसे में सरकार पर फिलहाल कोई खतरा नहीं है।
अजित पवार के हटने से कितना असर?
उप मुख्यमंत्री अजित पवार की अगुवाई वाली एनसीपी अगर महायुति से बाहर होती है तो महायुति सरकार के पास 163 विधायकों का समर्थन होगा। ऐसी स्थिति शिंदे की अगुवाई सरकार को कोई नुकसान नहीं होगा। उसके पास 18 अतरिक्त विधायकों का समर्थन रहेगा। बीजेपी के विधायकों की संख्या 103 और शिवसेना के विधायकों की संख्या 38 है। ऐसे में दोनों दलों को मिलाकर 141 विधायक होंगे। विधानसभा में 12 सीटें खाली हैं। ऐसे में बहुमत के लिए शिंदे सरकार को 145 से कम विधायक ही चाहिए होंगे। हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनावों में सात विधायक लोकसभा के लिए चुने गए हैं। विधानसभा में पांच सीटें पहले से खाली हैं।
एनसीपी के कोटे से हैं 8 मंत्री
उप मुख्यमंत्री अजित पवार को छोड़कर 8 विधायक शिंदे सरकार में मंत्री है। अगर किसी सूरत में अजित पवार की अगुवाई वाली एनसीपी सरकार से बाहर होती है तो अजित पवार समेत 9 मंत्री पद खाली हो जाएगी। इसके साथ ही एनसीपी के विधायक नरहरि जिरवाल को डिप्टी स्पीकर पद छोड़ना पड़ सकता है। ऐसे में बीजेपी और शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना के पास अपने विधायकों को मंत्री बनाने का मौका होगा। महाराष्ट्र में अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में लोकसभा चुनाव नतीजों के साथ महायुति और महाविकास आघाडी के घटक दल अपने सियासी नफा नुकसान में आकलन में जुटे हैं। मौजूद सरकार के पास तीन महीने का समय है। इसके बाद आचार संहिता लागू हो जाएगी और राज्य में चुनाव होंगे। विधानसभा चुनावों के नजदीक होने के कारण इस बात की संभावना कम ही है कि विपक्ष की तरफ से सरकार को गिराने की कोशिश होगी। अब देखना यह है कि मौजूदा महायुति गठबंधन विधानसभा में बरकरार रहता है या फिर इसमें बदलाव होता है। अजित की अगुवाई वाली एनसीपी ने 80 सीटें मांगी हैं।