नई दिल्ली. देश के पूर्व राष्ट्रपति (दिवंगत) प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी की किताब ‘प्रणब, माई फादर : ए डॉटर रिमेम्बर्स’ का विमोचन 11 दिसंबर को होगा। इससे पहले ही किताब के कई खुलासे हो चुके हैं। उन्होंने किताब में प्रणब और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रिश्तों का जिक्र करते हुए लिखा कि विचारधारा अलग होने के बावजूद मोदी और प्रणब मुखर्जी की मुलाकात खास होती थी।
किताब के मुताबिक मोदी ने नोटबंदी की घोषणा के बाद राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की थी। उन्होंने फैसले का समर्थन करने का अनुरोध किया। प्रणब ने ट्वीट के जरिए समर्थन व्यक्त किया। हालांकि उन्होंने विनिमय के लिए पर्याप्त नोटों की उपलब्धता और अर्थव्यवस्था पर इसके प्रभाव को लेकर कुछ चिंताएं भी जताईं। प्रणब को डर था कि इससे मुद्रा और बैंकिंग प्रणाली में लोगों का भरोसा कम हो जाएगा।
शर्मिष्ठा लिखती हैं कि 18 नवंबर, 2016 को प्रणब ने पीएम को फोन कर अपनी चिंताओं के बारे में बताया। पीएम 21 दिसंबर को फिर उनसे मिलने आए। नोटबंदी की घोषणा के बाद यह उनकी तीसरी मुलाकात थी। प्रणब ने उनसे मुद्रा प्रणाली और सरकार पर लोगों का विश्वास बरकरार रखने के मुद्दों पर चर्चा की, सरकार की ओर से उठाए जा रहे कदमों के बारे में लोगों को बताने की सलाह दी। इस पर मोदी ने देश को संबोधित किया। किताब के मुताबिक मोदी जब भी प्रणब से मिलते थे, उनके पैर जरूर छूते थे। प्रणब मानते थे कि मोदी में लोगों की नब्ज समझने की जबरदस्त क्षमता है। शर्मिष्ठा ने लिखा कि उनके पिता मानते थे कि मोदी की राजनीतिक समझ काफी तेज है…कमाल के राजनेता हैं और सीखना चाहते हैं। उन्होंने लिखा कि प्रणब का मानना था कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक के रूप में मोदी कट्टर देशभक्त और राष्ट्रवादी व्यक्ति हैं।