सूरत/मुंबई : पश्चिम रेलवे के सतर्कता विभाग और अन्य सहयोगी टीमों ने क़रीब 36 घंटों का एक गुप्त ऑपरेशन चलाकर सूरत के पॉश इलाक़े से टिकट दलाल को गिरफ़्तार किया है। रेलवे ने बताया कि ऐसा पहली बार है कि दलाल और उसके गिरोह से जुड़े लोगों के ख़िलाफ़ आईपीसी के धाराओं के तहत मामला दर्ज़ हुआ है। आरोपी राजेश मित्तल के टिकटों की ग्रुप बुकिंग की हिस्ट्री से पता चला कि अब तक उसने 4.50 करोड़ रुपये की ग्रुप बुकिंग की थी। आरोपी ने 24 मई से 24 जून के दौरान इन्ही अवैध सॉफ्टवयेर से कुल 598 पीएनआर निकाले, जिसकी कीमत 14 लाख से ज्यादा थी। पीएनआर पर यात्रियों से 700 रुपये अतिरिक्त लिए गए।
यात्रियों से पता चली गड़बड़ी
गर्मी के सीजन में और बकरा ईद के दौरान सतर्कता विभाग ने ई-टिकट बुक कराने वाले यात्रियों से पूछताछ की। लगभग 90 प्रतिशत यात्रियों को नहीं पता था कि कौन-सी आईडी से टिकट बुक हुए। यात्रियों के द्वारा दिए गए नंबरों पर बात हुई, तो बार-बार किसी ट्रैवल एजेंसी या सूरत के ही दलालों का नाम सामने आ रहा था। सतर्कता विभाग ने मामले की तह तक जाने के लिए लिंक निकाले, जिनमें सूरत के छोटे-छोटे दलालों के ज़रिए राजेश मित्तल जैसे बड़े दलाल तक पहुंचने में कामयाबी मिली।
पॉश इलाक़े में शानदार सेटअप
पश्चिम रेल का सतर्कता विभाग सूरत पुलिस की मदद से आरोपी तक पहुंचा। आरोपी ने सूरत के सबसे पॉश इलाक़े सिटी लाइट में सेटअप लगाया हुआ था। टीमों ने सुबह 11 बजे के क़रीब ऑनलाइन तत्काल बुकिंग के टाइम दबिश की और आरोपियों को रंगे हाथों पकड़ा। विजिलेंस को उसके पास से 54 लाइव ई-टिकट मिले, जिसकी कीमत क़रीब डेढ़ लाख रुपये बताई गई।
‘ग़दर’ से होती थी टिकट बुक
रेलवे को तलाशी के दौरान आरोपी के ऑफिस से नेट की स्पीड बरकार रखने के लिए 5 राउटर मिले। इनका इस्तेमाल 5 अलग-अलग लैपटॉप में कर रहा था और किसी को शक न हो, उसके लिए पांचों के आईपी एड्रेस भी अलग-अलग थे। टिकट निकालने के लिए नेट की रफ़्तार 150 एमबीपीएस थी। रेलवे ने बताया कि आरोपी कुल 973 आईआरसीटीसी की अलग-अलग आईडी के साथ गदर और नेक्सस नाम के अवैध सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर रहा था। यह सॉफ्टवयेर उसने आईआरसीटीसी की थर्ड पार्टी पेमेंट गेटवे के सिक्युरिटी फायरवॉल को हैक करने के लिए ऑनलाइन मंगाया था। इन अवैध सॉफ्टवेयर के ज़रिए यह आईआरसीटीसी वेबसाइट के थर्ड पार्टी पेमेंट गेटवे सिक्युरिटी प्रॉटक्शन फ़ायरवॉल को बायपास करके सिर्फ एक क्लिक पर टिकट बुक हो जाती थी।
54 लाइव ई-टिकटों का मिला रिकॉर्ड
विजिलेंस अधिकारियों के अनुसार आरोपी के पास से जब्त सभी लैपटॉप से 54 लाइव ई-टिकटों का रिकॉर्ड मिला, जिनमें से उसने 1.51 लाख रुपये वसूले। अधिकारियों ने कहा कि अब हमने सभी 54 टिकट के पीएनआर को सूरत पीआरएस प्रणाली में ई-टिकट को ब्लॉक करने के लिए कहा है। इसका मतलब है ये यात्री अब सफ़र नहीं कर सकेंगे और पैसे भी ब्लॉक हो गए।
क्यों टिकट बुकिंग की दलाली में सूरत की ‘प्रबल’ भूमिका है?
पश्चिम रेलवे पर टिकट डिमांड में मुंबई से ज़्यादा सूरत का नाम है। यहां की फैक्ट्रियों में ओडिशा, बिहार और उत्तर प्रदेश के लोग लाखों की संख्या में काम करते हैं। शहर मुंबई से छोटा है, लेकिन डिमांड मुंबई से बड़ी है। इस डिमांड को पूरी करने के लिए सूरत के गली मोहल्लों में छोटे दलाल मिल जाएंगे, जिनका बड़ा कनेक्शन उजागर करने में रेलवे अक्सर मजबूर नज़र आता है। दरअसल, रेलवे के पास ‘प्रबल’ नाम का एक सॉफ्टवेयर है, जिसमें टिकट बुकिंग की हलचल और ट्रांजैक्शन इत्यादि आराम से पता लगा सकते हैं। इस इनपुट के ज़रिए बड़ी कार्रवाई की जा सकती है, लेकिन इस डेटा का एक्सेस आईजी लेवल के अधिकारी को ही होता है। सूत्रों ने बताया कि पूर्व रेल राज्यमंत्री दर्शानाबेन जर्दोश भी सूरत से थीं, उस दौरान कार्रवाई करने में रेलवे के अधिकारी कतराते थे।
- अवैध सिस्टम से निकाले करोड़ो के ई-टिकट
- लाइव टिकट बुक करते बरामद हुए 54 ई-टिकट जिनकी कीमत 1 लाख 51 हजार रुपए
- 12 अकाउंट की मदद से गदर सॉफ्टवयेर का उपयोग कर 3,600 ई-टिकट बुकिंग की जिनकी कीमत 2 करोड़ 88 लाख
- ग्रुप बुकिंग में अबतक 4.50करोड़ रुपए के ई-टिकटनिकालने की जानकारी आई सामने