अनिल अंबानी और मुकेश अंबानी, भारत के दो प्रसिद्ध उद्योगपति भाई, हाल के समय में फिर से चर्चा में हैं।

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राजेश लक्ष्मण गावड़े

मुख्य संपादक (जन कल्याण टाइम)

अनिल अंबानी, जो एक समय दुनिया के छठे सबसे अमीर व्यक्ति थे, ने भारी कर्ज और कारोबारी असफलताओं के बाद अपने व्यवसाय में शानदार वापसी की है। हाल के समाचारों के अनुसार, अनिल अंबानी की कंपनियों ने मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज को कुछ क्षेत्रों में पीछे छोड़ दिया है, खासकर शेयर बाजार में रिटर्न और नए सौदों के मामले में। नीचे इसकी पूरी जानकारी और विवरण दिया गया है, जिसमें बताया गया है कि अनिल अंबानी ने कैसे अपने कारोबार को फिर से मजबूत किया और कौन सी कंपनियों ने उन्हें फिर से एक सफल व्यवसायी बनने का मौका दिया।
अनिल अंबानी की वापसी की कहानी
पृष्ठभूमि और पहले की स्थिति:
अनिल अंबानी एक समय (2000 के दशक के अंत में) $42 बिलियन (लगभग 3.5 लाख करोड़ रुपये) की संपत्ति के साथ दुनिया के छठे सबसे अमीर व्यक्ति थे। उस समय उनकी संपत्ति मुकेश अंबानी से भी अधिक थी।
2005 में रिलायंस समूह के बंटवारे के बाद, अनिल अंबानी को रिलायंस ग्रुप की कई कंपनियां मिलीं, जैसे रिलायंस पावर, रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर, और रिलायंस कैपिटल।
हालांकि, खराब निवेश निर्णय, बाजार की बदलती परिस्थितियां, और भारी कर्ज के कारण उनकी कंपनियां घाटे में चली गईं। उनकी नेट वर्थ 2020 तक शून्य हो गई थी, और उनकी कंपनियों पर 49,000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज था।
हाल की वापसी:
2025 में अनिल अंबानी की कंपनियों ने शानदार प्रदर्शन किया है। रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर और रिलायंस पावर जैसी कंपनियों ने कर्ज कम करने, नए सौदे हासिल करने, और शेयर बाजार में बेहतर रिटर्न देने के जरिए निवेशकों का ध्यान खींचा है।
अनिल अंबानी की कंपनियों की कुल नेट वर्थ और वार्षिक टर्नओवर अब 33,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, और उनकी मार्केट कैपिटलाइजेशन 45,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गई है। इनके पास 40 लाख से ज्यादा शेयरहोल्डर्स हैं।
नवभारत टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले एक साल में अनिल अंबानी की कंपनियों ने मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज से बेहतर रिटर्न दिया है, जहां रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरों में 6% की गिरावट आई।
कौन सी कंपनियों ने अनिल अंबानी को फिर से सफल बनाया?
अनिल अंबानी की दो प्रमुख कंपनियों—रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर और रिलायंस पावर—ने उनकी वापसी में मुख्य भूमिका निभाई है। इनके अलावा, रिलायंस डिफेंस और अन्य सहायक कंपनियों ने भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

  1. रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर (Reliance Infrastructure):
    विवरण: यह अनिल अंबानी की रिलायंस ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी है, जो बुनियादी ढांचा, रक्षा, और ऊर्जा क्षेत्र में काम करती है।
    हाल की उपलब्धियां:
    डसॉल्ट एविएशन के साथ साझेदारी: रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर ने फ्रांस की कंपनी डसॉल्ट एविएशन के साथ मिलकर भारत में फाल्कन 2000 बिजनेस जेट्स बनाने का करार किया है। यह भारत में पहली बार होगा जब कोई निजी कंपनी बिजनेस जेट्स का निर्माण करेगी। इस सौदे को अभिनेता अमिताभ बच्चन ने भी सराहा और इसे भारत के लिए गर्व का क्षण बताया।
    रक्षा निर्यात: कंपनी ने 155 मिमी गोला-बारूद और अन्य रक्षा उपकरणों के निर्यात के लिए 2027 तक 3,000 करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा है। इसके अलावा, भारतीय रक्षा मंत्रालय से अगले 10 वर्षों में 10,000 करोड़ रुपये के ऑर्डर मिलने की उम्मीद है।
    कर्ज में कमी: रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर ने हाल ही में 2,730 करोड़ रुपये का कर्ज चुकाया और अपनी वित्तीय स्थिति को सुधारा है।
    निवेशकों का भरोसा: कंपनी ने 100 अरब रुपये का राजस्व अर्जित किया, जिससे निवेशकों का विश्वास बढ़ा है।
    प्रभाव: इस कंपनी ने अनिल अंबानी को रक्षा और विमानन क्षेत्र में एक मजबूत स्थिति दी है, जिससे उनकी प्रतिष्ठा और कारोबारी हैसियत में सुधार हुआ।
  2. रिलायंस पावर (Reliance Power):
    विवरण: यह कंपनी ऊर्जा क्षेत्र में सक्रिय है, विशेष रूप से सौर और हरित ऊर्जा परियोजनाओं में।
    हाल की उपलब्धियां:
    लाभ में वापसी: FY25 में रिलायंस पावर ने फिर से लाभ कमाना शुरू किया, जो पहले भारी घाटे में थी।
    सौर और हरित ऊर्जा परियोजनाएं: कंपनी ने सौर ऊर्जा और अन्य नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं में बड़े ऑर्डर जीते हैं, जिससे इसका मार्केट प्रदर्शन बेहतर हुआ है।
    कर्ज में कमी: रिलायंस पावर ने भी अपने कर्ज को काफी हद तक कम किया है, जिससे इसकी वित्तीय स्थिरता बढ़ी है।
    प्रभाव: रिलायंस पावर ने अनिल अंबानी को ऊर्जा क्षेत्र में फिर से मजबूत स्थिति दिलाई और शेयर बाजार में उनकी कंपनियों की रैली को बढ़ावा दिया।
  3. रिलायंस डिफेंस और अन्य सहायक कंपनियां:
    विवरण: रिलायंस डिफेंस, रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर की एक शाखा, रक्षा क्षेत्र में काम करती है।
    हाल की उपलब्धियां:
    डोर्नियर-228 अपग्रेड: रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के साथ मिलकर 55 डोर्नियर-228 विमानों को अपग्रेड करने का ठेका पूरा किया। इस सौदे की कीमत 5,000 करोड़ रुपये थी।
    नए ऑर्डर: कंपनी को रक्षा क्षेत्र में और बड़े ऑर्डर मिलने की संभावना है, जिससे इसकी आय और बढ़ेगी।
    प्रभाव: रक्षा क्षेत्र में यह सौदे अनिल अंबानी की कंपनियों को तकनीकी और वित्तीय रूप से मजबूत कर रहे हैं।
    मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज से तुलना
    वर्तमान स्थिति:
    मुकेश अंबानी: रिलायंस इंडस्ट्रीज भारत की सबसे मूल्यवान कंपनी है, जिसकी मार्केट वैल्यू 19.82 लाख करोड़ रुपये है। मुकेश अंबानी की नेट वर्थ 9.10 लाख करोड़ रुपये से अधिक है।
    अनिल अंबानी: उनकी नेट वर्थ अब 530 मिलियन डॉलर (लगभग 4,400 करोड़ रुपये) है, जो पहले शून्य थी।
    हालांकि, अनिल अंबानी की कंपनियों ने हाल के समय में बेहतर शेयर रिटर्न दिया है, जबकि रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरों में पिछले एक साल में 6% की गिरावट आई।
    हाल के सौदे और निवेश:
    मुकेश अंबानी: रिलायंस इंडस्ट्रीज ने हाल ही में शीन (Shein) के साथ साझेदारी की, जो भारत में तेजी से बढ़ते फैशन उद्योग में बड़ा कदम है। इसके अलावा, रिलायंस कंज्यूमर प्रोडक्ट्स ने कोका-कोला और पेप्सी को टक्कर देने के लिए 8,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है।
    अनिल अंबानी: उनकी कंपनियां रक्षा, विमानन, और हरित ऊर्जा जैसे उच्च-मूल्य वाले क्षेत्रों में सौदे कर रही हैं, जो उन्हें तेजी से बढ़ने का मौका दे रहे हैं।
    प्रदर्शन तुलना:
    रिलायंस इंडस्ट्रीज का प्रदर्शन पिछले एक महीने में स्थिर रहा, लेकिन पिछले साल इसमें गिरावट आई। दूसरी ओर, अनिल अंबानी की कंपनियों के शेयरों में तेजी आई है, जिससे निवेशकों का भरोसा बढ़ा है।
    अनिल अंबानी की कंपनियों ने कर्ज कम करने और नए ऑर्डर जीतने में सफलता हासिल की है, जो उनकी वापसी का मुख्य कारण है।
    अनिल अंबानी को फिर से सफल बनाने वाले कारक
    कर्ज में कमी: अनिल अंबानी की कंपनियों ने हाल के वर्षों में अपने कर्ज को तेजी से कम किया। उदाहरण के लिए, रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर ने 2,730 करोड़ रुपये और अन्य कंपनियों ने 1,286 करोड़ रुपये का कर्ज चुकाया।
    नए सौदे और ऑर्डर: डसॉल्ट एविएशन, HAL, और रक्षा मंत्रालय जैसे बड़े सौदों ने उनकी कंपनियों को वित्तीय और तकनीकी रूप से मजबूत किया।
    निवेशकों का भरोसा: शेयर बाजार में रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर और रिलायंस पावर के शेयरों की रैली ने निवेशकों को आकर्षित किया।
    रणनीतिक बदलाव: अनिल अंबानी ने रक्षा और हरित ऊर्जा जैसे भविष्योन्मुखी क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया, जिससे उनकी कंपनियों की दीर्घकालिक संभावनाएं बढ़ीं।
    कानूनी राहत: कुछ कानूनी मामलों में राहत और अदालती जीत ने भी उनकी कंपनियों को स्थिरता दी।
    क्या अनिल अंबानी मुकेश अंबानी को पीछे छोड़ सकते हैं?
    हाल के समाचारों में यह सवाल उठाया गया है कि क्या अनिल अंबानी अपने बड़े भाई मुकेश अंबानी को पीछे छोड़ सकते हैं।
    हालांकि अनिल अंबानी की कंपनियों ने हाल के समय में बेहतर प्रदर्शन किया है, लेकिन मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज का दायरा और पैमाना बहुत बड़ा है। रिलायंस इंडस्ट्रीज टेलीकॉम, रिटेल, ऊर्जा, और डिजिटल सेवाओं जैसे कई क्षेत्रों में अग्रणी है।
    विशेषज्ञों का मानना है कि अनिल अंबानी की वापसी प्रभावशाली है, लेकिन मुकेश अंबानी को पूरी तरह पीछे छोड़ना अभी दूर की बात है। फिर भी, रक्षा और विमानन जैसे क्षेत्रों में अनिल अंबानी की प्रगति उन्हें एक मजबूत व्यवसायी के रूप में फिर से स्थापित कर रही है।


  1. निष्कर्ष
    अनिल अंबानी ने अपनी कंपनियों—विशेष रूप से रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर और रिलायंस पावर—के जरिए कारोबारी दुनिया में शानदार वापसी की है। डसॉल्ट एविएशन के साथ बिजनेस जेट्स बनाने का सौदा, रक्षा निर्यात के लिए 3,000 करोड़ रुपये का लक्ष्य, और कर्ज में कमी जैसे कदमों ने उन्हें फिर से एक सफल व्यवसायी बनने का मौका दिया। हालांकि, मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज अभी भी भारत की सबसे बड़ी कंपनी है, लेकिन अनिल अंबानी की कंपनियों का हालिया प्रदर्शन और शेयर बाजार में रिटर्न निवेशकों और उद्योग के लिए आश्चर्यजनक रहा है। यह उनकी मेहनत, रणनीतिक सोच, और नए अवसरों को भुनाने की क्षमता को दर्शाता है।
    स्रोत:
    नोट: यह जानकारी हाल के समाचारों और वेब स्रोतों पर आधारित है।

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