
जहां एक लुक-अलाइक की बायोग्राफी प्रस्तुत की गई है , जिसका नाम है ‘शाहरुख बनना आसान नहीं’, जो 17 दिसंबर को रिलीज हो गई है, जिसके लेखक गणेश रहिकवार है । यह कहानी है एक संघर्ष शील इंसान की, जिसने शाहरुख के जैसे दिखने के बावजूद, खुद को साबित करने के लिए कड़ी मेहनत की।
यह बायोग्राफी राजू रहिकवार की ज़िंदगी की हकीकत है—वह शख्स जिसने जूनियर शाहरुख खान बनने के सपने को साकार करने के लिए अनगिनत चुनौतियों का सामना किया। मुंबई की मायानगरी में कदम रखने के बाद 30 सालों तक शो और फिल्में करते-करते, उसने हर बार खुद को शाहरुख खान के करीब तो पाया, पर असल में ‘शाहरुख’ बन पाना उसके लिए एक अधूरी तलाश बनकर रह गया।
शाहरुख बनना आसान नहीं’ सिर्फ एक लुक-अलाइक की कहानी नहीं है, बल्कि राजू रहिकवार की जिंदगी का संघर्ष है। शाहरुख खान बनने का सपना लेकर वह अपने गांव से मुंबई आया, जहां उसने फिल्म इंडस्ट्री में बड़ा नाम कमाने के लिए कड़ी मेहनत की। भूखे पेट रहकर, सड़कों पर सोते हुए और आधा वड़ा पाव पर गुजारा करते हुए उसने अपने सपनों को जिंदा रखा।
इस मुंबई ने राजू को सिखा दिया कि हालातों से कैसे लड़ना है, उनका सामना कैसे करना है। राजू मुंबई की बारिश, तपती धूप और जिंदगी में आगे बढ़ता रहा। एक समय ऐसा भी आया, जब राजू को एहसास हुआ कि शाहरुख खान साहब सिर्फ एक ही है—ना कोई दूसरा हो सकता है, ना ही कोई बन सकता है। इसलिए राजू का कहना है ” शाहरुख बनना आसान नहीं”।



