नई दिल्ली : सोमवार को शेयर बाजार के खुलते ही हाहाकार मच गया था। दूसरे दिन भी घरेलू शेयर बाजार में भारी गिरावट देखी जा रही है। शेयर बाजार के मिडकैप और स्मॉलकैप शेयर तेजी से नीचे गिरे है। सबसे ज्यादा नुकसान सरकारी कंपनियों के शेयरों को हुआ है।
भारतीय शेयर बाजार में आए इस बदलाव के पीछे का कारण ग्लोबल शेयर बाजार को बताया जा रहा है। भारतीय अर्थव्यवस्था काफी मजबूत है, लेकिन बाकी देशों की अर्थव्यवस्था के कारण ग्लोबल शेयर बाजार में हाहाकार मचा है। इस बदलाव ने भारतीय शेयर बाजार की भी तस्वीर बदल कर रख दी है।
अमेरिकी शेयर बाजार में तबाही
आपको बता दें कि सबसे ज्यादा गिरावट अमेरिकी शेयर बाजार में देखने को मिल रही है। इसके बाद दूसरे स्थान पर जापान है, जिसके शेयर बाजार की स्थिति डगमगाती हुई नजर आ रही है। इस तबाही का सबसे ज्यादा असर ताइवान पर होता हुआ नजर आ रहा है। बताया जा रहा है कि पिछले 57 साल बाद ऐसा हुआ है कि ताइवान का बेंचमार्क इंडेक्स ताइपे इतने निचले स्तर पर कारोबार कर रहा है। ताइपे में 8.4 फीसदी की भारी गिरावट देखी गई है। साल 1967 के बाद से अब तक की ये सबसे बड़ी गिरावट है।
जापान का शेयर बाजार भी हुआ क्रेश
आपको बता दें कि जापान के शेयर बाजार निक्केई में भारी गिरावट देखने को मिली है। इस शेयर बाजार में 12 प्रतिशत की भारी गिरावट देखने को मिली है, जिसने अपने पिछले 37 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। 1987 के बाद से अब तक सबसे खराब प्रदर्शन इस शेयर बाजार ने आज किया है। इसके असर के कारण जापान के केंद्रीय बैंक बैंक ऑफ जापान ने करीब 14 साल बाद अपनी ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी की है।
साउथ कोरिया के बाजार की भी दयनीय परिस्थिति
आपको बता दें कि साउथ कोरिया के शेयर बाजार में लोअर सर्किट लगा हुआ है, जिससे पता चला है कि ये 2001 के बाद दक्षिण कोरिया के शेयर बाजार का सबसे बुरा दिन रहा है। बताया जा रहा है कि ऐसा होने के पीछे का कारण चीन है। चीन के बाजारों में डिमांड घटती हुई नजर आ रही है, जिसके कारण ग्लोबल बाजार मे मंदी बढ़ती दिख रही है। चीन में कच्चे तेल की डिमांड में भारी गिरावट देखने को मिली है, जिसके कारण कच्चे तेल की कीमतों में भी गिरावट दर्ज हुई है।