नई दिल्ली : जुलाई के महीने में देश की 3 प्रमुख टेलीकॉम कंपनियों रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ने अपने मोबाइल टैरिफ में बढ़त की है। इस मामले ने अब नया राजनीतिक मोड़ ले लिया है। प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने सरकार पर इस मामले को लेकर हमला किया है। जिस पर सरकार ने अपनी आधिकारिक रुप से सफाई पेश की गई है। सरकार ने सफाई देते हु्ए कहा है मोबाइल टैरिफ बढ़ाने के पीछे सरकार की कोई भूमिका नहीं है। साथ ही सरकार ने ये भी कहा है कि बाकी देशों के मुकाबले में भारत में मोबाइल सेवाएं ज्यादा सस्ती है।
संचार मंत्रालय के दूरसंचार विभाग मोबाइल टैरिफ को लेकर अपना बयान जारी किया है। जिसमें कहा गया है कि अभी घरेलू बाजार में 1 सरकारी कंपनी और 3 प्राइवेट कंपनियों का बोलबाला है। ये बाजार अब डिमांड और सप्लाई के अनुसार काम करता है। इसमें जो दरें लागू होती है, उसका निर्धारण ट्राई द्वारा तय किया जाता है। सरकार फ्री मार्केट के मामलों में हस्तक्षेप नहीं करती है।
मोबाइल टैरिफ की निगरानी करता है ट्राई
दूरसंचार विभाग के बयान के अनुसार पता चला है कि टेलीकॉम कंपनियां जिन मोबाइल टैरिफ की दरों में बढ़त करती है, उसपर ट्राई की निगरानी रहती है, साथ ही ट्राई ये भी करती है कि ये बढ़त सीमित दायरें तक ही हो। साथ ही विभाग ने ये बात भी कही है कि पिछले 2 सालों से मोबाइल टैरिफ में किसी भी प्रकार का इजाफा नहीं हुआ था, जबकि इसी दौरान कंपनियो ने 5जी सर्विसेज पर निवेश करना शुरु कर दिया था। जिसके परिणामस्वरुप ये हुआ कि देश में औसत मोबाइल स्पीड का स्तर बढ़कर 100 एमबीपीएस हो गया है। स्पीड बढ़ने के कारण अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में भारत 2022 के 111वें स्थान से उछलकर 15वें स्थान पर पहुंचा है।
टेलीकॉम कंपनियों के दाम बढ़े
जुलाई महीने की शुरुआत में ही देश की 3 प्रमुख कंपनियों टेलीकॉम कंपनियों ने इतना महंगा किया प्लान रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइिडया ने अपने मोबाइल टैरिफ को महंगा करने की जानकारी शेयर की थी। इन कंपनियों द्वारा मोबाइल टैरिफ में 11 से 25 फीसदी तक की बढ़ोतरी की गई है। इसी बढ़ोत्तरी के बाद विपक्ष के आरोपों पर सफाई देते हुए सरकार ने बताया है कि भारत में अभी भी मोबाइल टैरिफ की कीमतें बाकी देशों की तुलना में काफी कम है।