भोजशाला मामले में नया मोड़, जैन समुदाय के लिए मांगा उपासना का अधिकार

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इंदौर : विवादित भोजशाला परिसर मामले में एक नया मोड़ सामने आया है। हिन्दू और मुस्लिम पक्ष के बाद अब जैन समुदाय ने भी इस पर दावा जताया है। जैन समुदाय के एक व्यक्ति ने मध्यप्रदेश हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर कर धार के भोजशाला-कमाल मौला मस्जिद परिसर में अपने समुदाय के लोगों के लिए उपासना का अधिकार मांगा है। याचिका में दावा किया गया है कि इस विवादित परिसर में कभी जैन गुरुकुल और जैन मंदिर हुआ करता था, जहां देवी अम्बिका की मूर्ति स्थापित थी।
यह याचिका दिल्ली के सामाजिक कार्यकर्ता सलेकचंद जैन की ओर से दायर की गई है। इस रिट याचिका पर उच्च न्यायालय में इस हफ्ते सुनवाई हो सकती है। जैन के अधिवक्ता मनोहर सिंह चौहान ने सोमवार को यह जानकारी दी। यह याचिका ऐसे वक्त में दायर की गई है, जब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) मध्यप्रदेश हाई कोर्ट के आदेश पर भोजशाला परिसर के सर्वेक्षण की रिपोर्ट अदालत में पेश करने की तैयारी में जुटा है।
‘यहां जैन मुनि विद्यार्थियों को देते थे शिक्षा’
जैन की याचिका में दावा किया गया है कि भोजशाला परिसर में कभी जैन गुरुकुल और जैन मंदिर हुआ करता था, जहां जैन मुनियों और विद्वानों द्वारा विद्यार्थियों को शिक्षा दी जाती थी। इस परिसर में संस्कृत, प्राकृत और अन्य भाषाओं में ग्रंथों के अनुवाद का काम भी होता था, लिहाजा जैन समुदाय के लोगों को इस स्थान पर उपासना का अधिकार प्रदान किया जाना चाहिए। याचिका में यह दावा भी किया गया है कि भोजशाला परिसर की जिस मूर्ति को हिंदू समुदाय वाग्देवी (देवी सरस्वती) की प्रतिमा बता रहा है, वह असल में जैन समुदाय की देवी अम्बिका (जैन यक्षिणी) की मूर्ति है, जिसे धार के राजा भोज ने इस परिसर में 1034 ईस्वी में स्थापित किया था।
क्या है मामला
भोजशाला को हिंदू समुदाय वाग्देवी (देवी सरस्वती) का मंदिर मानता है, जबकि मुस्लिम पक्ष 11वीं सदी के इस स्मारक को कमाल मौला मस्जिद बताता है। यह परिसर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा संरक्षित है। ‘हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस’ नामक संगठन की अर्जी पर मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने 11 मार्च को एएसआई को भोजशाला-कमाल मौला मस्जिद परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का आदेश दिया था। इसके बाद एएसआई ने 22 मार्च से इस विवादित परिसर का सर्वेक्षण शुरू किया था जो हाल ही में खत्म हुआ है। उच्च न्यायालय के आदेश के मुताबिक एएसआई को विवादित परिसर के सर्वेक्षण की संपूर्ण रिपोर्ट दो जुलाई तक पेश करनी है।

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