सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बहचर्चित मोरबी ब्रिज हादसे (Morbi bridge collapse) के मुख्य आरोपी जयसुख पटेल को सशर्त जमानत प्रदान की है। 30 अक्टूबर 2022 को घटी इस घटना में 135 लोग मारे गए थे वहीं कई घायल हो गए थे।
इससे पहले गुजरात हाईकोर्ट ने दिसम्बर 2023 में जयसुख पटेल की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। आरोपी ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इसके साथ ही इस मामले में से 10 में से 9 आरोपी को जमानत मिल गई है।
इस घटना के करीब दो महीने बाद जनवरी, 2023 में जयसुख पटेल ने समर्पण किया था। जमानत मिलने के बाद अब वे करीब 15 महीने बाद जेल से बाहर आ सकेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी को जमानत देने के साथ कुछ शर्तें भी रखी हैं।
अक्टूबर 2022 में मोरबी के गिरने के बाद जयसुख पटेल काफी समय तक फरार थे। जनवरी 2023 में कोर्ट में सरेंडर किया था। इस पुल का प्रबंधन व नवीनीकरण का जिम्मा ओरेवा समूह के पास था। इस मामले में पुलिस ने जयसुख पटेल सहित अन्य आरोपियों के खिलाफ अदालत में आराेप पत्र दाखिल किया था।
कंपनी को मोरबी को गोद लेना चाहिए: हाईकोर्ट
उधर गुजरात हाईकोर्ट ने संज्ञान याचिका पर सुनवाई करते हुए कंपनी को कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सबिलिटी का याद दिलाते हुए मार्मिक टिप्पणी की। मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल व न्यायाधीश अनिरूद्ध पी मायी की खंडपीठ ने कहा कि कंपनी को सीएसआर के तहत भी काम करना चाहिए। कंपनी को मोरबी को गोद लेकर इसकी कायापलट करनी चाहिए। जिस जगह को लेकर कंपनी कमाई कर रही है और जिन लोगों की मृत्यु हुई है, जिन बच्चों ने अपने अभिभावक गंवाए हैं, उनसे ही कंपनी चलती थी। यही लोग आपके लेबर फोर्स हैं। यदि ये नहीं रहेंगे तो कंपनी बंद हो जाएगी। ऐसी परिस्थिति में कंपनी ने जो मोरबी से लिया है वह सीएसआर के तहत उसे वापस करना चाहिए। साथ ही यह भी कहा कि पीडि़तों को मदद व मुआवजा के लिए कंपनी के प्रस्ताव को कोर्ट के समक्ष पेश किया जाए।