अहमदाबाद सिविल में नई बाल संरक्षण पहल: आपातकालीन कक्ष शिशुओं की सहायता के लिए तैयार

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अहमदाबाद सिविल हॉस्पिटल की ओर से एक बहुत ही नेक पहल शुरू की गई है। यदि कोई मां अपने नवजात शिशु को जन्म देने के बाद उसे छोड़ने को मजबूर हो तो उसे सिविल अस्पताल में 1200 बिस्तरों वाले आपातकालीन कक्ष में छोड़ कर जा सकती है। उनका उद्देश्य नवजात शिशुओं को मजबूरी में बाहर कहीं भी झाड़ियों में या किसी सुनसान जगह पर फेंके जाने जैसी अमानवीय और दुखद घटनओं को कम करना है। लोगों को इसपर जागरुक किया गया कि अगर कोई मां अपने बच्चे को जन्म देकर नवजात को छोड़ने के बारे में सोच रही है तो ऐसा न करें। चाहे आप कितने भी असहाय क्यों न हों, उस बच्चे को कहीं भी झाड़ियों या सुनसान जगह पर न छोड़ें।
ऐसे समय में कोई उपाय ना मिलने पर शिशु को पालने में रख दें और घंटी दबाकर बिना अपना कुछ भी बताए बिना चले जाएं। आपका बच्चा सुरक्षित रहेगा। बच्चे को पालने में छोड़ने पर अपनी कोई भी पहचान बताने की जरूरत नहीं है। अहमदाबाद सिविल हॉस्पिटल उस बच्चे की देखभाल की सारी जिम्मेदारी उठाएगा।
सिविल अस्पताल प्रणाली द्वारा जिला बाल संरक्षण प्रणाली के दिशानिर्देशों के तहत नवजात शिशुओं के लिए आपातकालीन विभाग के प्रवेश द्वार के सामने कक्ष में पालने रखे गई हैं। समाज में कठिन परिस्थिति में पैदा हुए बच्चे को कूड़ेदान, झाड़ी या किसी सुनसान जगह पर डालकर छोड़ दिया जाता है। फिर जो लोग बच्चे को हमेशा के लिए त्यागना चाहते हैं उन्हें कक्ष के बाहर रखे पालने में रखना होगा और साथ में लगी घंटी दबानी होगी।
इसमें बच्चे को रखने वाले व्यक्ति की पहचान भी उजागर नहीं की जाएगी। कोई पूछताछ भी नहीं की जाएगी। यह पालने परित्यक्त बच्चों को सुरक्षित और स्वस्थ रखने के लिए रखे गए हैं।
बच्चे को नागरिक अस्पताल द्वारा सुरक्षित रूप से जिला बाल संरक्षण प्रणाली को सौंप दिया जाएगा और सरकार द्वारा बच्चे की जिम्मेदारी लेते हुए उसका पालन-पोषण किया जाएगा।
जो पैदा हुआ है उसे जीने दो और स्वस्थ रहने दो’- बच्चे को मत छोड़ो, जीने दो
सिविल अधीक्षक राकेश जोशी के अनुसार, गुजरात सरकार के स्वास्थ्य विभाग की टैग लाइन है “जन्में, और स्वस्थ रहें।” प्रत्येक नवजात को स्वस्थ जीवन का अधिकार है। यदि आप जानते हैं कि आप या आपका परिवार उसे रखने या पालने में सक्षम नहीं है तो बच्चे को ऐसे ही मरने के लिए कहीं भी मत न छोड़ें। उस बच्चे से जीने और स्वस्थ रहने का अधिकार मत छीनिए।
इस पहल के माध्यम से बच्चों की चिकित्सीय स्थिति की जांच करने और उन्हें स्वस्थ रखने की पूरी जिम्मेदारी ली जाएगी और बच्चे के ठीक होने के बाद बच्चे को शिशु गृह में भेजने की पूरी जिम्मेदारी सिविल अस्पताल को सूचित करते हुए ली जाएगी। उनका कहना है कि उसे जीने दो, स्वस्थ जीवन जीने दो।

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