गुजरात के इस बार के बजट में राज्य के 2047 का विजन रखा गया है। वित्त मंत्री कनू देसाई ने बजट पेश करते हुए कहा कि अगले 25 वर्षों में राज्य के लोगों की प्रति व्यक्ति आय विकसित देशों के स्तर तक करने की योजना है। वर्ष 2000-01 में यह 18,392 रुपए से बढ़कर वर्ष 2022-23 में 2,73,558 तक पहुंच गई है। प्रति व्यक्ति आय के मामले में गुजरात राष्ट्रीय औसत से 50 फीसदी ज्यादा है। उन्होंने कहा कि फिलहाल राज्य का राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में हिस्सा 8.20 फीसदी है जो 2000-01 में 5.1 फीसदी था। अब इसे वर्ष 2047 तक 10 फीसदी करने का लक्क्ष्य है। तब गुजरात की अर्थव्यवस्था वर्तमान के 0.27 ट्रिलियन डाॅलर से बढ़कर 3.5 ट्रिलियन डॉलर की हो जाएगी।
बजट में यह बताया गया कि पिछले एक दशक के दौरान जीएसडीपी की 15 फीसदी की सीमा में ऋण लेने वाला गुजरात सबसे कम ऋण लेने वाले तीन बड़े राज्यों में शामिल है। देश के 21 राज्यों में जहां यह आंकड़ा 27 फीसदी से अधिक है। इस तरह गुजरात ने वित्तीय अनुशासन का शानदार उदाहरण पेश किया है।
गुजरात के राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) अधिनियम के अनुसार विधानसभा ने राज्य सरकार को जीएसडीपी के 27 फीसदी की सीमा तक ऋण बढ़ाने की छूट दी है। इसके बावजूद गुजरात सरकार ने केवल 15.17 फीसदी का ही उपयोग किया है।वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव जे पी गुप्ता ने बताया कि फिलहाल गुजरात की अर्थव्यवस्था 24 लाख करोड़ की है। राज्य सरकार ऋण को लेकर ज्यादा सतर्क है।