Goa: केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले के एक बयान में एनडीए के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी थी। केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री रामदास अठावले ने कहा था कि अनुसूचित जनजाति को उनकी कम आबादी के कारण गोवा विधानसभा में आरक्षण नहीं मिल सकता है। हालांकि अपने बयान के कुछ घंटों बाद उन्होंने यह बयान वापस ले लिया।
गौरतलब है कि ‘मिशन ऑफ रिजर्वेशन फॉर एसटी कम्युनिटी’ के बैनर तले कई आदिवासी संगठन राज्य की 40 विधानसभा सीटों में से चार पर एसटी के लिए आरक्षण की मांग कर रहे हैं। विधानसभा ने मानसून सत्र में एसटी के लिए आरक्षण की मांग का प्रस्ताव भी पारित किया था। लेकिन अठावले के पत्रकार सम्मेलन यह कह दिया था कि गोवा विधानसबा में एसटी समुदाय को आरक्षण देना संभव ही नहीं है, क्योंकि उनकी संख्या बेहद कम है।
अठावले के बयान के बाद राज्य में राजनीतिक सरगर्मियां अचानक बढ़ने लगी। जिसको देखते हुए उन्होंने तुरंत अपने बयान को वापस ले लिया। गोवा फॉरवर्ड पार्टी के प्रमुख विजय सरदेसाई ने कहा कि बयान चौंकाने वाला और असंभव था। साथ ही उन्होंने गोवा विधानसभा में एसटी कोटा लागू करने को लेकर केंद्र सरकार से अनुरोध किया ।
अठावले के बयान को एसटी समुदाय के लिए आरक्षण मिशन के प्रतिनिधियों ने निंदनीय करार दिया। एसटी समुदाय के कार्यकर्ता रमा कंकोनकर ने कहा कि गोवा की आबादी में आदिवासियों की हिस्सेदारी 12 प्रतिशत है, जो चार विधानसभा क्षेत्रों में आरक्षण के लिए पर्याप्त है।
अठावले बोले-तथ्यों की जानकारी का अभाव था
आलोचना झेल रहे केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री रामदास अठावले ने प्रतिक्रिया देते हुए बयान वापस लिया। उन्होंने कहा कि उन्हें तथ्यों की सही जानकारी नहीं थी। मुझे बिल्कुल भी नहीं पता था की गोवा में एसटी समुदाय की आबादी 12 प्रतिशत है। यहां तक मुझे ये भी नहीं पता था कि सीएम प्रमोद सावंत ने विधानसभा में आरक्षण को लेकर आश्वासन दिया था। यह कहते हुए उन्होंने कहा, मैं अपना बयान वापस लेता हूं और लोगों से माफी मांगता हूं।”