मोदी सरकार 9 लाख करोड़ रुपये का कर्ज क्यों ले रही है?

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मोदी सरकार वित्त वर्ष 2023-24 के पहले 6 महीने में सरकारी बॉन्ड जारी कर 8.88 लाख करोड़ रुपये का कर्ज लेगी. वित्त मंत्रालय ने 29 मार्च को जारी एक बयान में यह जानकारी दी है. सरकार ने इस बजट में वित्त वर्ष 2024 के लिए 15 लाख 32 हजार करोड़ रुपये उधार लेने का लक्ष्य रखा है. इस तरह से सरकार कुल तय लक्ष्य का करीब 57.55 फीसदी पैसा पहली छमाही में जुटाएगी. देश में पहला मौका है जब केन्द्र सरकार इतना पैसा सरकारी बॉन्ड के जरिये जुटाने जा रही है.
अब आगे बढ़ने से पहले समझते हैं कि सरकार को कर्ज लेने की जरूरत क्यों पड़ती है. दरअसल होता ये है कि जिस तरह से आप और हम अपने घर का बजट बनाते हैं. कुछ इसी तरह सरकार भी देश का बजट बनाती है कि सरकार की कितने रुपये की आमदनी किस मद से होगी और कितना खर्च होगा इसका हिसाब किताब बजट में होता है. लेकिन जिस तरह से कई बार हम सबको अपनी खर्चों को पूरा करने के लिए दोस्तों, रिश्तेदारों और बैंकों आदि से कर्ज लेना पड़ता है. वैसे ही सरकार को भी अपना खर्च पूरा करने के लिए पैसा उधार लेना पड़ जाता है. यह कर्ज सरकार बॉन्ड के जरिए जुटाती है. सरकार जो बॉन्ड जारी करती है, उसे गवर्नमेंट सिक्योरिटीज या जी-सेक कहते हैं.

सरकारी बॉन्ड की नीलामी
वित्त मंत्रालय के मुताबिक, अप्रैल से सितंबर के बीच हर हफ्ते इन सरकारी बॉन्ड की नीलामी की बात कही गई है. ये सरकारी बॉन्ड 31 हजार करोड़ रुपये से लेकर 39 हजार करोड़ रुपये के साइज के होंगे. एक अप्रैल से लेकर अगले 26 हफ्तों तक इन बॉन्ड की नीलामी RBI के जरिये होगी. सरकार की ओर से बॉन्ड की बिक्री रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया करता है इसके जरिए RBI हर शुक्रवार को नीलामी के लिए बॉन्ड जारी करता है. सरकारी बॉन्ड निवेश के लिहाज से बहुत सुरक्षित माना जाता है. क्योंकि सॉवरेन गारंटी मतलब इसमें सरकार की गारंटी होती है. दिलचस्प बात ये हैं कि हम आप भी सरकार को कर्ज दे सकते हैं. पहले छोटे निवेशक इसमें इसलिए निवेश नहीं कर पाते थे क्योंकि पहले कम से कम 5 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदना जरूरी था लेकिन अब रिटेल निवेशक सिर्फ 10 हजार रुपये का निवेश भी इन बॉन्ड में कर सकते हैं.

सरकार का कुल कर्ज कितना?
वित्त मंत्रालय ने कहा है कि इन सरकारी बॉन्ड की मैच्योरिटी अवधि 3 साल से लेकर 40 साल होगी. इन बॉन्ड पर अच्छा खासा रिटर्न भी मिलेगा. इन बॉन्ड से 6.31 फीसदी कर्ज तीन साल में मैच्योर होने वाले बॉन्ड के जरिये लिया जाएगा. इसी तरह से पांच साल में मैच्योर होने वाले बॉन्ड के माध्यम से 11.71 फीसदी उधार लिया जायेगा. सबसे ज्यादा पसंद किये जाने वाले 10 साल के टेन्योर वाले बॉन्ड के जरिये करीब 20 फीसदी कर्ज जुटाएगी. सरकार ने इस साल यानी वित्तीय वर्ष 2023-24 में कुल 27.2 लाख करोड़ रुपये की कमाई होने का अनुमान लगाया है, जबकि 45 लाख करोड़ रुपये खर्च होगा. मतलब देश को जीडीपी के कुल हिस्से में 5.9 फीसदी का राजकोषीय घाटा होगा. इस घाटे की भरपाई के लिए सरकार 15.4 लाख करोड़ रुपये कर्ज लेगी. इस कर्ज का ब्याज चुकाने के बाद सरकार को 11.8 लाख करोड़ रुपये ही खर्च करने के लिए मिलेंगे.

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बजट में केंद्रीय वित्त मंत्री ने बताया कि सरकार की एक रुपये की कमाई में अभी सबसे ज्यादा 34 पैसे कर्ज से आते हैं. दिसंबर आखिर में जारी वित्त मंत्रालय की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार का कुल कर्ज सितंबर 2022 के अंत में बढ़कर 147.19 लाख करोड़ रुपये हो गया था. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में जानकारी दी थी कि सरकार ने 27 जनवरी 2023 तक करीब 12.93 लाख करोड़ रुपये जुटाए हैं.

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