पाक में भारतीय मछुआरों की मौतों का सिलसिला कब तक

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साल 2023 की शुरुआत होने के साथ ही भारतीय मछुआरे जैंती की मृतदेह गुजरात लाने की मशक्कत शुरू की गई। साल अभी पूरा हुआ नहीं कि पाकिस्तान से भारत आने वाले मछुआरों के शवों की संख्या तीन हो चुकी है। आखिर यह सिलसिला कब और कहां थमेगा? मछुआरा समुदाय के हितों के लिए संघर्षरत समुद्री संगठनों की बात मानी जाए तो पाकिस्तान की जेल में ऐसे 20 से 25 भारतीय मछुआरे हैं और वे किसी न किसी बीमारी से भी ग्रस्त हैं। भारतीय मछुआरों की पाकिस्तान की जेल में यूं ही कब तक मौतें होती रहेंगी ? उनके परिजन शव के अंत्येष्टि कर्म के लिए कब तक नम आंखों से सरकार की ओर से देखते रहेंगे?

सामान्य तौर पर अरब सागर में मछली पकड़ने के दौरान गुजरात से सटी पाकिस्तानी समुद्री सीमा पार करने के जुर्म में भारतीय मछुआरों के पकड़े जाने का सिलसिला कई सालों पुराना है, लेकिन वहां उनकी यूं मौत होने की घटनाएं ज्यादा पुरानी नहीं है। बीते 10 साल में अभी तक पाकिस्तान की कैद में 22 से 25 भारतीय मछुआरों की मृत्यु हो चुकी है। मगर इस दुखद आंकड़े की वृद्धि बीते तीन-चार साल में अधिक देखने को मिल रही है। चौंकाने वाली बात यह भी है कि जितने भी मछुआरों के शव पाकिस्तान से आए हैं, उनकी मृत्यु किस बीमारी से हुई, इसकी पुख्ता पुष्टि नहीं हो पाई है। ऐसे में बड़ा सवाल यही है कि आखिर पाकिस्तान की जेल में भारतीय मछुआरों की मृत्यु क्यों हो जाती है?

देश के आठ राज्य व तीन केंद्रशासित प्रदेश अरब सागर, हिंद महासागर व बंगाल की खाड़ी के समुद्री किनारों से सटे हैं, मगर ज्यादातर मछुआरों की धरपकड़ व अमानवीय व्यवहार की शिकायतें पड़ोसी पाकिस्तान से ही आती है। जबकि सीमा पार के जुर्म में भारतीय मछुआरों की धरपकड़ श्रीलंका व कभी-कभार बांग्लादेश सरकार भी करती है। पिछले दिनों ही गिरसोमनाथ के मछुआरे जगदीश बांभणिया का शव पाकिस्तान से सवा महीने बाद लौटा।

अंतरराष्ट्रीय कानून की बात की जाए तो समुद्री सीमा पार के जुर्म में पकड़े जाने वाले मछुआरों की जांच-पड़ताल के बाद सामान्य तौर पर तीन से छह माह साधारण कैद का प्रावधान है, लेकिन एक-डेढ़ दशक में शायद ही कोई भारतीय मछुआरा सजा की यह अवधि पूरी कर भारत लौटा हो। अभी भी पाकिस्तान की जेल में भारत के 266 से ज्यादा मछुआरे कैद हैं। भारत में भी वहां के 136 मछुआरे समेत अन्य नागरिक कैद हैं। हाल में गुजरात सरकार ने इंग्लैंड में अप्रवासी भारतीय का शव ससम्मान लाने के लिए जो प्रयास दिखाए थे, वैसे ही प्रयासों की जरूरत देशभर के मछुआरा समुदाय के लिए भी आवश्यक है।

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