सूरत. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सर संघचालक डॉ. मोहन भागवत ने बुधवार को सूरत के इनडोर स्टेडियम में अंगदाता परिवारों को सम्मानित किया। उन्होंने संबोधन में कहा कि अंगदाता परिवार देवता स्वरूप है। ब्रेनडेड मरीजों के अंग जरूरतमंद मरीजों को देना भी देशभक्ति से कम नहीं है।
भागवत ने कहा कि समारोह में उन्हें विघ्नहर्ता की मूर्ति दी गई है और अपने स्वजनों का अंगदान कर इन परिवारों ने किसी न किसी तरह का विघ्न हरा है और जरूरतमंदों को नई जिंदगी दी है। ये काम जोश में नहीं, होश में करने का है और दोनों की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि देशभक्ति की अभिव्यक्ति में देश का जन ही है, जो राष्ट्र का आयाम तय करता है। जन शब्द शास्त्रीय है। अंगदान देशभक्ति का ही स्वरूप है। मृत्य के उपरांत शरीर किसी के उपयोग में आए वही काम करना है। दधीचि महाराज पहले अंगदाता थे।
देश अपनी आवश्यकताओं को पूरा करते करते आज हम दुनिया की आवश्यकताओ को भी पूरा कर रहे है।