साधु और लालची आदमी की अद्भुत कहानी जिसे देखकर आप कर लेंगे लालच से तौबा

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RLG प्रोडक्शन आप सबके लिए इस बार कुछ नया लेकर आया है। कार्टून के रूप में कहानी, जिसे आप अपनी फॅमिली के साथ मिलकर देख सकते हैं। यह कहानी एक लालची इंसान की है जो कि एक लालच के ऊपर आधारित है। यह एक प्रेरक कहानी है, जिसे देखकर आप कुछ ज्यादा अच्छा अनुभव पा सकते है और अपने आप को self motivate भी रख सकते है। आपने लालच के ऊपर बहुत सी कहानी देखी होगी लेकिन यह कहानी उन सबसे बहुत अलग है। हमें पूरा विश्वास है अगर आप इस स्टोरी को देखते है तो आप लालसा कभी नहीं करेंगे और आप आपने आपको self motivate भी रख सकते और दूसरे व्यक्ति को भी motivate कर सकते है। इसके निर्माता एवं निर्देशक है राजेश एल गावड़े। धनंजय आर गावड़े कार्यकारी निर्माता हैं। स्क्रीन राइटर और स्टोरी डायरेक्टर हैं स्टैंड अप कॉमेडियन और बॉलीवुड अभिनेता बी आशीष। शैलेन्द्र के. सावंत हैं डी.ओ.पी. आर.के. डिजिटल स्टूडियो नवसारी। जगदीश जसमत पटेल हैं डी.ओ.पी नवसारी गुजरात और गौरव बाबू भाई पटेल हैं एडिटर नवसारी।
तो चलिए आइये इस कहानी को हम देखना शुरू करते है।…………….नीचे वीडियो का लिंक है।

आप चाहे इस कहानी को पढ़ भी सकते हैं। ये है कहानी…

बहुत समय पहले की एक बात है, एक गांव में एक आदमी रहता था. उसने कहीं से किसी ज्ञानी महा पुरुष से सुना था की अगर साधु और ऋषि-मुनियों की सेवा करें तो बहुत धन की प्राप्ती होती है. ये सोचकर उसने साधु और ऋषि-मुनियों की सेवा करना प्रारंभ कर दिया. एक बार उसके घर पर बड़े ही चमत्कारी और तपश्वि साधु महाराज आए, तो उस व्यक्ति ने चमत्कारी साधु और ऋषि-मुनियों की खूब सेवा की, तो उस व्यक्ति की सेवा से प्रसन्न होकर उनमे से एक साधु महाराज ने उस व्यक्ति को 4 दीये दिए और बोले की
–इन 4 दिए में से एक दिया जला लेना और पूर्व की ओर चले जाना जहां पर ये दिया बुझ जाए वहां पर रुक जाना. वह दिया को नीचे रख देना और फिर उस जमीन को खोद ने पर तुम्हें बहुत सारा धन प्राप्त होगा.
–अगर फिर से तुम्हे धन की आवश्कता हो तो, दूसरा दिया जला लेना और पश्चिम की ओर चले जाना जहां पर भी ये दिया बूझ जाए वह दिया नीचे रख देना और वहां की जमीन को खोद ने पर तुम्हे मन चाहा धन मिलेगा.
–अगर फिर भी और धन की आवश्कता हो तो तीसरा दिया जलाकर दक्षिण की ओर चले जाना ठीक उसी प्रकार दिया बूझने पर दिए को नीचे रख देना और वहां की जमीन खोद ने पर तुम्हे धन मिलेगा. तब तुम्हारे पास में सिर्फ एक ही दिया बच जाएगा और एक ही दिशा रह जाएगी तुम्हे ये दिया ना ही जलाना है और ना ही इस दिए को उत्तर दिशा की ओर ले जाना है।

ये कहकर साधु तपस्वी ऋषिमुनि उधर से चले जाते हैं।

अब उस लालची व्यक्ति ने उसी समय पहला दिया जलाकर पूर्व की ओर चला जाता है। बहुत दूर घने जंगल में जाकर वह दिया बूझ जाता है। उस व्यक्ति ने दिए को नीचे रख दिया और जमीन खोद ने लगा तो उसको पैसों से भरी एक संदूक मिलती है तो वह व्यक्ति बहुत खुश होता है। फिर उसने ये सोचा कि अभी इस संदूक को में यही रहने देता हूं और फिर ये सोचा की पहले मुझे पश्चिम दिशा वाला धन देख लेना चहिए, ये सोच कर उस व्यक्ति ने दूसरे दिन दूसरा दिया जलाया और पश्चिम दिशा की ओर चल पड़ा बहुत दूर जाने के बाद एक जगह पर वो दूसरा वाला दिया भी बुझ गया वहां उस व्यक्ति ने जमीन को खोदा तो उसको सोने से भरा मोहोरो वाला एक घड़ा मिला उस व्यक्ति ने सोने से भरे घड़े को भी ये सोच कर वही रहने दिया की पहले मुझे दक्षिण की दिशा में जाकर देख लेना चाहिए. जल्दी से जल्दी अधिक धन प्राप्त करने के लिए वह व्याकुल हो गया. अगले दिन दक्षिण दिशा की ओर चल पड़ा वह दिया आगे जाकर एक मैदान में जाकर बूझ जाता है उस व्यक्ति ने दिए को नीचे रख दिया और जमीन को खोदने लगा. कुछ समय खोदने के बाद उस व्यक्ति को जमीन में से 2 हीरे-मोती से भरी संदूक मिली वह व्यक्ति बहुत ही खुश था तब वह सोचने लगा अगर इन तीनों दिशा में इतना सारा धन पड़ा है तो चौथी दिशा में इससे भी अधिक धन होगा.
फिर उसके मन में विचार आया की ऋषिमुनि चमत्कारी महाराज ने उसको चौथी दिशा में जाने से मना किया है। कुछ ही पल में उसके मन ने कहा हो सकता है उत्तर दिशा की धन सम्पत्ति ऋषिमुनि ने ये सब धन सम्पत्ति अपने लिए रखना चाहते हो। मुझे जल्द से जल्द इस पर भी कब्जा कर लेना चाहिए। ज्यादा से ज्यादा धन सम्पत्ति प्राप्त करने की लालच ने उस व्यक्ति ने साधु महाराज के वचनों को अनदेखा किया और अगले दिन उस व्यक्ति ने चौथा दिया जलाया और जल्दी-जल्दी उत्तर दिशा की तरफ़ चल पड़ा बहुत दूर जाने पर आगे एक महल के पास जाकर दिया बूझ गया महल का दरवाजा बंद था उस व्यक्ति ने दरवाज़े को धक्का दिया तो महल का दरवाज़ा खुल गया। वह व्यक्ति बहुत खुश हुआ उस व्यक्ति का खुशी का कोई ठिकाना न था उस व्यक्ति ने मन ही मन में सोच लिया की महल मेरे लिए ही है।

अब उस व्यक्ति ने ये सोच लिया कि अब वह तीनों दिशा की धन सम्पत्ति को भी यही पर लाकर रखेगा।

इतने में वह व्यक्ति महल के एक-एक कमरे को खोलके देखता है तो उससे महल के हर एक कमरे में उस व्यक्ति को सोने हीरे मोती से भरे बड़े-बड़े संदूक दिखते हैं। वह व्यक्ति देखते ही देखते उस साधु ऋषिमुनि को याद करके कहता है
==धन्य हो मुनीवर

ऐसा कहते हुए आगे की ओर बढ़ता है और जैसे ही वह व्यक्ति आगे बढ़ता है तब उस व्यक्ति को एक कमरे से चक्की चलने की आवाज सुनाई देती है उस कमरे में जैसे ही जाता है उसने उस कमरे में एक बूढ़ा इंसान को देखा. बूढ़ा आदमी चक्की चला रहा था. इस लालची व्यक्ति ने बूढ़े इनसान से कहा कि

==तुम यहां कैसे पहुचे
तब उस बूढ़े इंसान ने लालची व्यक्ति को कहा
**तुम जरा ये चक्की को चलाओ में जरा सांस लेलू फिर में तुम को सब कुछ बताता हूं.
लालची व्यक्ति ने चक्की चलाना प्रारम्भ कर दिया, फिर उस बूढ़े इंसान ने चक्की से हटने पर ऊंची-ऊंची आवाज निकालकर हंसने लगता है. तब इतने में लालची व्यक्ति हैरानी से उस बूढ़े इंसान की ओर देखने लगता है और वह चक्की को जैसे ही बंद करने जाता है वैसे ही तब बुड़े इनसान ने उस लालची व्यक्ति से कहा की खबरदार
**ना ना तु ये चक्की चलानी बंद ना कर
फिर बूढ़े इनसान ने कहा ‘

**ये महल अब तेरा है परन्तु उतनी देर तक ही ये महल खड़ा रहेगा जितनी देर तक तू ये चक्की चलाता रहेगा, अगर चक्की चलनी बंद हो गई तो ये महल गिर जाएगा और तू भी इसके नीचे दबकर मर जाएगा.

कुछ समय रुक कर बूढ़े इनसान ने उस लालची व्यक्ति को फिर कहने लगा की

**मैंने भी तुम्हारी तरह लालच करके साधु महाराज की बात नही मानी थी और मेरी सारी जवानी इस चक्की को चलाते-चलाते बीत गई.

वह लालची व्यक्ति बूढ़े इनसान की बात को सुनकर रोने लगा फिर कहने लगा
–अब मेरा इस चक्की से छुटकारा कैसे होगा
तब बूढ़े इनसान ने कहा
**जब तक मेरे और तेरे जैसा कोई व्यक्ति लालच में अंधा हो कर यहां नही आएगा तब तक तू इस चक्की से छुटकारा नही पा सकेगा.
तब उस लालची व्यक्ति ने बूढ़े इनसान से आखरी सवाल पूछा
–तुम अब बाहर जाकर क्या करोगे?
तब बूढ़े इनसान ने कहा
**मैं सब लोगों से ऊंची-ऊंची आवाज में ये कहूंगा की लालच बुरी बला है, कभी भी लालच ना करे इंसान के जीवन में जो मिला है, जिस हाल में हो इंसान को हमेशा खुश रहना चाहिए.
इस लालची व्यक्ति और बूढ़े इंसान की इस कहानी से ये सिख मिलती है की जीवन में कभी भी कोई भी व्यक्ति को लालच नहीं करना चाहिए अगर फिर भी किसी व्यक्ति के मन में लालच की भावना जागती है तो इस लालची व्यक्ति और बूढ़े इंसान जैसे परिनाम के लिए तैयार रहना होगा………… मेरे दोस्त

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