भारतीय सरकार ठान ले, तो वह भी एक मज़बूत क़ानून बनाकर स्विस बैंक में जमा काले धन को वापस ला सकती है। जिस तरह अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपनी सरकार के कार्यकाल में यह कर दिखाया, उसी तरह भारत के लिए भी यह कार्य संभव है, बशर्ते राजनीतिक इच्छाशक्ति, कानूनी ढांचा और अंतरराष्ट्रीय सहयोग हो।

Date:

Share post:

राजेश लक्ष्मण गावड़े

मुख्य संपादक (जन कल्याण टाइम)

🇮🇳 स्विस बैंक से काला धन वापस लाने का पूरा विश्लेषण – भारत बनाम अमेरिका मॉडल 🇺🇸

🔹 1. अमेरिका ने क्या किया था? – ओबामा प्रशासन का ऐतिहासिक कदम

बराक ओबामा के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिकी सरकार ने पाया कि अमेरिका के कई अमीर नागरिकों ने टैक्स चोरी करके अपना पैसा स्विस बैंकों में छिपा रखा है। तब अमेरिका ने इन कदमों पर काम किया:

FATCA (Foreign Account Tax Compliance Act) कानून पास किया गया
इस कानून के तहत अमेरिका ने हर देश की बैंकों को बाध्य किया कि वे अमेरिकी नागरिकों के खातों की जानकारी IRS (Internal Revenue Service) को दें।

UBS बैंक पर भारी जुर्माना लगाया
स्विट्ज़रलैंड के UBS बैंक पर लगभग 780 मिलियन डॉलर का जुर्माना लगाया गया और बैंक को मजबूर किया गया कि वह अमेरिकी नागरिकों की गोपनीय खाता जानकारी साझा करे।

Tax Information Exchange Agreements (TIEAs)
अमेरिका ने कई देशों से टैक्स जानकारी के आदान-प्रदान समझौते किए।

अवैध रूप से जमा धन पर सख्त कार्रवाई
टैक्स चोरी करने वालों पर जुर्माने, जेल की सज़ा और संपत्ति जब्त करने जैसे कड़े कदम उठाए।

🔹 2. भारत के पास क्या विकल्प हैं?

अगर भारत की सरकार वास्तव में ठान ले, तो ये कदम उठाकर स्विस बैंक से काला धन वापस लाया जा सकता है:

🔸 A. मजबूत कानूनी ढांचा तैयार करना

एक कड़ा कानून बनाना जिससे विदेशी खातों में अवैध धन छुपाने वालों पर सीधे कार्यवाही हो।

“काले धन वापसी कानून” को और प्रभावी बनाना।

“अघोषित विदेशी आय और संपत्ति कानून 2015” को और सख्ती से लागू करना।

🔸 B. अंतरराष्ट्रीय समझौते और सहयोग

भारत पहले ही Common Reporting Standard (CRS) में शामिल है, जिससे भारत को स्विस बैंकों से सूचना मिल सकती है।

Automatic Exchange of Information (AEOI) समझौतों के माध्यम से भारत को स्विस बैंक खातों की जानकारी मिलनी शुरू हो गई है, लेकिन इसका दायरा और विस्तारित किया जा सकता है।

🔸 C. विशेष जांच एजेंसी और फास्ट ट्रैक अदालतें

एक स्वतंत्र और शक्तिशाली “ब्लैक मनी ट्रैकिंग सेल” बनाना।

विदेशों में रखे काले धन पर कार्रवाई के लिए विशेष अदालतें बनाना।

🔸 D. राजनीतिक इच्छाशक्ति और पारदर्शिता

सरकार को इस मुद्दे पर राजनीतिक दबाव और पारदर्शिता दोनों लानी होगी।

चुनावों में काले धन का प्रयोग रोकने के लिए चुनाव आयोग और कानून व्यवस्था को मज़बूत करना होगा।


क्या भारत के लिए यह संभव है?

बिल्कुल! भारत के पास संसाधन भी हैं, कानून बनाने की शक्ति भी है, और अब तो अंतरराष्ट्रीय सहयोग भी मिल रहा है। लेकिन जो सबसे जरूरी है, वह है:

“ईमानदार राजनीतिक इच्छाशक्ति” और “जनता का दबाव”।

अगर भारत की जनता इस मुद्दे को बार-बार उठाए और सरकारों से जवाबदेही मांगे, तो स्विस बैंक से काला धन वापस लाना कोई नामुमकिन कार्य नहीं।


🌟 समाप्ति संदेश 🌟

“जहाँ इच्छा होती है, वहाँ रास्ता होता है।”
अगर बराक ओबामा अमेरिका के लिए ये कर सकते हैं, तो भारत की सरकार भी यह कर सकती है — अगर वह वास्तव में देशहित में कदम उठाना चाहे।

Related articles

📌 भारत बंद क्यों है?

राजेश लक्ष्मण गावड़े मुख्य संपादक (जन कल्याण टाइम) 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों (जैसे INTUC, AITUC, CITU इत्यादि), किसानों और...

🎤 प्रेरणादायक संदेश 🎤”दुश्मनों के बीच भी रहो ऐसे… जैसे जीभ रहती है 32 दाँतों के बीच”✍️ वक्तृत्व : राजेश लक्ष्मण गावडे📺 प्रस्तुति :...

राजेश लक्ष्मण गावड़े मुख्य संपादक (जन कल्याण टाइम) 🌟 "जीवन की सबसे बड़ी चतुराई यही है - शांत...