
मुंबई। कोंकण रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड का अब भारतीय रेलवे में विलय किया जाएगा। महाराष्ट्र सरकार विलय के लिए सहमति देने की सूचना केंद्रीय रेलवे मंत्रालय को देगी। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधान परिषद में इसकी घोषणा की।
गोवा, कर्नाटक और केरल पहले ही दे चुके हैं सहमति
भाजपा सदस्य प्रवीण दरेकर द्वारा उठाए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जवाब में मुख्यमंत्री ने बताया कि कोंकण रेलवे में महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक और केरल की हिस्सेदारी है। इनमें से गोवा, कर्नाटक और केरल पहले ही विलय के लिए सहमति दे चुके हैं। अब महाराष्ट्र सरकार भी रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव को अपनी सहमति से अवगत कराएगी।
विलय के बाद भी ‘कोंकण रेलवे’ नाम रहेगा बरकरार
फडणवीस ने स्पष्ट किया कि विलय के बावजूद यह मार्ग ‘कोंकण रेलवे’ के नाम से जाना जाएगा। कोंकण रेलवे कॉर्पोरेशन घाटे में चल रहा है, जिससे अतिरिक्त निवेश करने की क्षमता नहीं है। रेलवे लाइन दोहरीकरण, भूस्खलन नियंत्रण और स्टेशन आधुनिकीकरण के लिए निधि की कमी बनी हुई है। भारतीय रेलवे में विलय होने से निवेश बढ़ेगा और इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास होगा।
कोंकण रेलवे में भागीदारी का विवरण
केंद्र सरकार और महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक और केरल राज्य के बीच 19 जून 1990 हुए करार के तहत कोंकण रेलवे कॉर्पोरेशन की स्थापना हुई थी। साल 2023 के फैसले के तहत कोंकण रेलवे कॉर्पोरेशन में रेलवे मंत्रालय की 59.18 प्रतिशत, महाराष्ट्र की 18.68 प्रतिशत, कर्नाटक की 12.74 प्रतिशत, गोवा की 4.30 प्रतिशत और केरल की 5.10 प्रतिशत भागीदारी है। रायगड के रोहा से कर्नाटक के मैंगलोर तक 760 किमी रेलवे लाइनें और स्टेशनों के निर्माण के लिए कॉर्पोरेशन का गठन किया गया था।
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