ये वेब सीरीज चौंकाएगी, दिमाग घुमाएगी और इमोशनल भी करेगी, 2025 के बेहतरीन क्राइम शोज में से एक

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शेफाली शाह और रसिका दुग्गल की वेब सीरीज दिल्ली क्राइम सीजन 3 आज नेटफ्लिक्स पर रिलीज हो गई है. इसे देखने से पहले पढ़ लें रिव्यू.

मैडम मैंने कही पढ़ा था, ask for forgiveness, not permission… तो बाद में माफी मांग लीजिएगा. पहले ही एपिसोड में राजैश तैलंग का किरदार असम ट्रांसफर हो चुकी शेफाली शाह से ये कहता है क्योंकि उन्हें दिल्ली में ऑपरेशन करने की परमिशन नहीं है. यहीं से इस सीरीज का मूड सेट हो जाता है, बिना शोर शराबे के ये सीरीज बता देती है कि हीरो को हीरोगीरी करने के लिए बड़े बड़े डायलॉग्स नहीं चाहि. सधी हुई राइटिंग और परफॉर्मेंस ये काम बेहतर तरीके से कर सकती है. ये इस साल की बेस्ट क्राइम सीरीज में से एक है. दिल्ली क्राइम का तीसरा सीजन कमाल का है, इसे एक दम रियल रखा गया है और यही इसकी खासियत है.

इस बार की कहानी भी एक असली केस पर आधारित है. केस का नाम बताना स्पॉयलर हो जाएगा और हम आपका मजा किरकिरा नहीं करना चाहते. कहानी ये है कि एक असम से दिल्ली कुछ लड़कियां सप्लाई की जा रही हैं. दिल्ली में बुरी हालत में एक दो साल की बच्ची मिलती है, इन दोनों का आपस में क्या कनेक्शन है, ये आपको नेटफ्लिक्स की इस सीरीज में देखना होगा. इस सीरीज के छह एपिसोड हैं और हर एपिसोड 40 से 45 मिनट का है.

ये एक जबरदस्त सीरीज है, ये सीरीज आपको अपने ट्विस्ट एंड टर्न्स से चौंकाती है. आपका दिमाग घुमा देती है और आपको कई जगह इमोशनल भी करती है. ये एक सधी हुई सीरीज है जहां बेकार का एक्शन और ड्रामा नहीं है. सब कुछ एक दम रियल लगता है, इस बार इस केस की इन्वेस्टिगेश देश के अलग अलग हिस्सों में होती है और ये सब बहुत स्मूद तरीके से होता है. राइटिंग काफी अच्छी है, आपको बांधकर रखती है. हर एपिसोड में हर थोड़ी देर में कुछ चौंकाने वाली चीज होती है. आप पहले से चीजों का अंदाजा नहीं लगा सकते. इस सीरीज से ये सीखा जा सकता है कि क्राइम सीरीज कैसे बनाई जाती है. पुलिसवाले जरूरी नहीं कि हर बार पर्दे पर हीरोगीरी ही करें. बड़े बड़े डायलॉग ही बोलें, वो अपना काम सिंपल तरीके से भी कर सकते हैं. यहां आपको ये सारे किरदार असली लगते हैं, आप इनसे रिलेट करते हैं, आप छह एपिसोड एक बार में देख डालेंगे क्योंकि आपकी दिलचस्पी बनी रहेगी.

शेफाली शाह का काम कमाल है. वो एक तेज तर्रारा पुलिस अफसर तो हैं हीं, इमोशन्स को भी समझती हैं. जब गुस्से में रसिका दुग्गल का किरदार कुछ कह देता है तो वो कहती हैं कि कोई बात नहीं. ये केस हम सबके के लिए पर्सनल होना चाहिए. अपने परिवार और सीनियर्स को दरकिनाकर करके बच्चियों को बचाने की जद्दोजहद को उन्होंने बखूबी अंजाम दिया है. हुमा कुरैशी खूब चौंकाती हैं, वो कमाल की हरियाणवी बोलती हैं, सुथरा जैसे शब्द उनके मुंह से सुनकर मजा आता है. उनके कई सीन तो काफी जबरदस्त हैं. सिंगल सलमा में कमाल की उर्दू बोली, महारानी में बिहार की राजनेता बनी और अब हरियाणा के रोहतक से एक रैकेट चलाने वाली बड़ी दीदी. वो अपनी रेंज कमाल तरीके से दिखा रही हैं. राजेश तैंलग ने जिस मंझे हुए तरीके से ये किरदार निभाया है वो बस वही कर सकते हैं. जहां सख्ती की जरूरत है वहां सख्ती और जहां इमोशन दिखाना है वहां इमोशन. उनका काम कमाल है. मीता वशिष्ट का किरदार कमाल का है, और उन्होंने जिस तरह से उसे निभाया है वो बताता है कि वो हिंदी सिनेमा की कमाल की एक्ट्रेसेस में से एक हैं. रसिका दुग्गल का किरदार पर्सनल दिक्कत से जूझ रहा है, इस सबके बीच ड्यूटी निभाती एसीपी

इस सीरीज को तनुज चोपड़ा, मयंक तिवारी, अनु सिंह चौधरी, शुब्रा स्वरुप, अपूर्वा बख्शी और माइकल होगान ने लिखा है. सीरीज के डायरेक्टर और शो रनर हैं तनुज चोपड़ा, इन सबका काम कमाल है. शो की राइटिंग कसी हुई है, स्क्रीनप्ले दिलचस्प है, कहीं किसी चीज को ज्यादा खींचा नहीं गया है. डायरेक्शन बढ़िया है, बेकार की हीरोगीरी नहीं दिखाई गई है और यही इस सीरीज को अलग बनाता है.

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