जब नीतीश कुमार-लालू दुलारचंद यादव से वोट मांगने टाल गए थे… शिवानंद तिवारी ने सुनाया 1991 का किस्सा

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दुलारचंद यादव की हत्या के बाद अनंत सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया है. इस बीच मोकामा में जिंदगी सामान्य हो रही है. इस बीच पुराने समाजवादी नेता शिवानंद तिवारी ने 34 साल पहले की एक घटना को याद किया है जब नीतीश कुमार और लालू यादव एक चुनाव के दौरान दुलारचंद यादव का सपोर्ट मांगने उनके घर पहुंचे थे.

बिहार के मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लोकसभा का अपना दूसरा चुनाव लड़ रहे थे. उनकी सीट थी बिहार की बाढ़ लोकसभा सीट. कहानी 34 साल पुरानी है. 1991 की. तब लालू यादव और नीतीश कुमार जनता दल में एक ही साथ थे. चुनाव की तैयारियों के बीच नीतीश कुमार ने लालू यादव को कहा कि चलकर दुलारचंद से मिल लिया जाए. जिन इलाकों में उनका प्रभाव है वहां का भी वोट सुरक्षित कर लिया जाए. नीतीश कुमार के आग्रह पर लालू यादव ने कहा कि आप दुलारचंद को इतना महत्व क्यों दे रहे हैं?

दुलारचंद यादव के राजनीतिक प्रभाव की ये कहानी उनकी हत्या के बाद आरजेडी के सीनियर नेता शिवानंद तिवारी ने अपने फेसबुक अकाउंट पर शेयर की है.

इस पोस्ट में शिवानंद तिवारी ने 1991 में हुए लोकसभा चुनाव की कहानी सुनाई है. नीतीश कुमार 1989 में पहली बार बाढ़ क्षेत्र से सांसद बने थे. लेकिन तब देश में अस्थिरता का माहौल था. इस बीच वीपी सिंह और चंद्रशेखर की सरकारें केंद्र में आई लेकिन कोई भी सरकार अपना टर्म पूरा नहीं कर सकी.

1991 में देश में फिर से लोकसभा चुनाव हो रहे थे और नीतीश कुमार दूसरी बार बिहार के बाढ़ लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे थे.

दुलारचंद यादव से अपनी पहली मुलाकात की कहानी सुनाते हुए शिवानंद तिवारी ने लिखा है, “पहली मर्तबा 1991 के लोकसभा चुनाव के समय दुलार चंद जी को देखा था. नीतीश जी लोकसभा का अपना दूसरा चुनाव लड़ रहे थे.”

शिवानंद तिवारी वरिष्ठ समाजवादी नेता हैं. वे अभी लालू प्रसाद यादव के करीबी सहयोगी माने जाते हैं. 1970 के दशक में जयप्रकाश नारायण के आंदोलन से जुड़े तिवारी ने जनता दल से राजनीति शुरू की थी. लंबे राजनीतिक करियर में वे विधायक रहे और राज्यसभा भी गए. आरजेडी प्रवक्ता के रूप में उन्होंने लंबे समय तक काम किया.

शिवानंद तिवारी बताते हैं कि उस दौरा लालू नीतीश जनता दल में थे. उन्होंने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा है, “मोकामा टाल के इलाके में शायद ‘ताड़ तर’ का इलाका दुलारचंद जी के प्रभाव में था. वहां के तीन-चार बूथ पर वे एकतरफ़ा वोट डलवा देते थे. हम लोग साथ ही बैठे थे. नीतीश जी ने लालू जी को कहा कि चलकर दुलारचंद से मिल लिया जाए. उनके प्रभाव का वोट भी सुरक्षित कर लिया जाए. लालू जी ने कहा कि क्यों आप दुलार चंद को इतना महत्व दे रहे हैं! लेकिन नीतीश जी तो अलग मिजाज वाले ठहरे.”

आरजेडी नेता शिवानंद तिवारी बताते हैं कि नीतीश दुलारचंद यादव से मिलना चाहते थे. उन्होंने लालू से कहा, “अरे भाई वहां जो तीन चार बूथ है उसको भी ‘प्लग’ कर दिया जाए. नीतीश जी का इसरार ऐसा था तो तय हो गया कि दुलारचंद जी के यहां चला जाए. बसनुमा रथ में कारवां निकला. उसमें पत्रकारों की टोली भी शामिल हो गई. कैमरा वाले भी थे…”

फिर ये कारवां ‘ताड़ तर’पहुंचा. बता दें कि दुलारचंद यादव मोकामा के तारतर के ही रहने वाले हैं. शिवानंद तिवारी ने इसका जिक्र ताड़ तर के रूप में किया है. उन्होंने आगे लिखा है, “वहां हजारों की भीड़ जमा थी. दुलारचंद ने सबका सत्कार किया और नीतीश जी के सर पर पगड़ी बांधी. लालू जी के सर तो पर बांधा ही. फोटो पत्रकारों को अच्छी तस्वीर मिल गई. मुझे याद है कि उसके कुछ ही दिनों बाद गांधी मैदान में पुस्तक मेला लगा था. वहां… नीतीश कुमार को पगड़ी बांधते दुलारचंद जी की वही बड़ी तस्वीर टंगी थी.

शिवानंद तिवारी कहते हैं कि दुलारचंद जी का मृत शरीर मीडिया में देखकर यह घटना याद आ गई. उनका फोटो देखा, उनके ख़ास मूंछ के साथ. उस मूंछ के बगैर मैं दुलारचंद जी की कल्पना नहीं कर सकता था.

बता दें कि दुलारचंद यादव की हत्या के आरोप में पुलिस ने जेडीयू नेता अनंत सिंह को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है.

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