
बिहार विधानसभा चुनाव की गूंज यूपी की सियासी जमीन पर भी सुनाई पड़ रही है. इसकी वजह यह है कि सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार में एनडीए को जिताने के लिए मशक्कत कर रहे थे तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने महागठबंधन के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में सवाल उठता है कि बिहार का यूपी कनेक्शन क्या है?
उत्तर प्रदेश की सियासत में 2024 के लोकसभा चुनाव में तुरुप का इक्का साबित होने वाले सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने बिहार विधानसभा चुनाव में एक भी सीट पर अपना प्रत्याशी नहीं उतारा है, लेकिन अपनी पूरी फ़ौज के साथ महागठबंधन के लिए चुनाव प्रचार करते नजर आए. ऐसे ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी बिहार में अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी. इसके अलावा केशव प्रसाद मौर्य से लेकर यूपी के तमाम बीजेपी नेता मशक़्क़त करते दिखे.
बिहार चुनाव के नतीजे सिर्फ़ बिहार ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय राजनीति के लिए भी अहम माने जा रहे हैं. बिहार के विधानसभा चुनाव को 2027 में होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का सेमीफ़ाइनल माना जा रहा है. एक तरफ नीतीश कुमार बनाम तेजस्वी यादव की साख दांव पर है तो दूसरी तरफ अखिलेश यादव बनाम योगी आदित्यनाथ की भी लड़ाई मानी जा रही है.
उत्तर प्रदेश की सीमा बिहार से लगी हुई है. बिहार के बाद उत्तर प्रदेश में 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव की सियासी सरगर्मियां तेज़ हो जाएंगी. बिहार के नतीजे का राजनीतिक प्रभाव यूपी की सियासत पर भी पड़ेगा. इसीलिए बिहार की धरती पर लड़े जा रहे चुनाव की गूंज उत्तर प्रदेश में भी सुनाई दे रही है.
बिहार के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और सपा के अखिलेश यादव ने जमकर प्रचार किया. पिछले दस दिनों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 30 जनसभाएं और एक रोड शो किया. इन रैलियों के ज़रिए उन्होंने सिर्फ़ बीजेपी उम्मीदवार ही नहीं बल्कि एनडीए के घटक दल जेडीयू, एलजेपी (आर), हम और आरएलएम सहित 43 उम्मीदवारों के लिए प्रचार करके उन्हें जिताने की अपील की. इस दौरान सीएम योगी यूपी के बुलडोजर मॉडल की बात करते, यूपी में अपराधियों पर नकेल कसकर क़ानून का राज क़ायम करने का दावा करते नजर आए.
वहीं, अखिलेश यादव ने पिछले सात दिनों में कुल 28 जनसभाएं की हैं. अखिलेश ने एक-एक दिन में चार-चार सभाओं को संबोधित किया है, जिसमें आरजेडी के उम्मीदवारों के लिए वोट मांगने के साथ-साथ कांग्रेस, वामपंथी दल और वीआईपी उम्मीदवार के लिए भी प्रचार किया
अखिलेश यादव अपने भाषणों में केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधने के साथ यूपी की योगी सरकार पर भी जमकर हमला कर रहे थे. उन्होंने बीजेपी को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि बीजेपी के एजेंडे में झूठ बोलना और नफरत फैलाना है. साथ ही दावा करते रहे कि यूपी के अवध में बीजेपी को हराया और बिहार के मगध में भी हराएंगे.
यूपी से सटी बिहार की 34 विधानसभा सीटें
बिहार की करीब 34 विधानसभा सीटें हैं, जो उत्तर प्रदेश के बॉर्डर से सटी हुई हैं. यूपी के पूर्वांचल का महाराजगंज, कुशीनगर, देवरिया, बलिया, गाज़ीपुर, चंदौली और सोनभद्र ज़िले की सीमा बिहार के आठ ज़िलों से लगती है. बिहार के सारण, सीवान, गोपालगंज, भोजपुर, पश्चिमी चंपारण, रोहतास, बक्सर और कैमूर और रोहतास ज़िले की सीटें यूपी से सटी हुई हैं.
यूपी के पूर्वांचल की और बिहार के पश्चिमी इलाको की बोली, रहन-सहन और ताना-बाना भी लगभग एक जैसा है. इस पूरे इलाक़े का जातीय समीकरण काफ़ी मिलता-जुलता है. ऐसे में बिहार के चुनावी नतीजे यूपी की सियासत में अपना असर डाल सकते हैं, जिसके चलते सीएम योगी और अखिलेश यादव अपने-अपने लश्कर के साथ बिहार के रण में ताकत लगा दी है.
बिहार के चुनाव से यूपी का कनेक्शन
2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को यूपी में तगड़ा झटका सपा-कांग्रेस गठबंधन ने दिया था. योगी आदित्यनाथ की कोशिश बिहार की जंग जीतकर यूपी के सियासत में सत्ता की हैट्रिक लगाने का माहौल बनाने की रणनीति में है.
वहीं, अखिलेश यादव भी समझते हैं कि बीजेपी को अगर बिहार में चुनावी शिकस्त मिल जाती है तो यूपी में उनकी वापसी की राह आसान बन सकती है. इसीलिए सपा बिहार में किसी सीट पर चुनाव न लड़ने के बावजूद प्रचार में कोई भी कोर कसर नहीं छोड़ा.
बिहार में योगी का बुलडोजर मॉडल
योगी आदित्यनाथ बिहार चुनाव में अपने बुलडोजर मॉडल का नैरेटिव सेट करते नज़र आए. बिहार में अपनी हर रैली में वो उत्तर प्रदेश में अपराध और माफ़िया पर शिकंजा कसने और क़ानून व्यवस्था को बनाए रखने की बात करते रहे
यूपी में जिस तरह माफ़िया पर कार्रवाई हुई, उसी तरह बिहार को भी अपराधमुक्त बनाना होगा. उन्होंने कहा कि जो भारत की सुरक्षा में सेंध लगाएगा, यमराज का टिकट लेकर जाएगा. सूबे की क़ानून व्यवस्था का उदाहरण देकर वोट मांगते नजर आए.
सीएम योगी ने सिर्फ़ बीजेपी ही नहीं बल्कि जेडीयू सहित एनडीए के सभी दलों के प्रत्याशियों के लिए प्रचार करके यूपी के सियासी समीकरण को भी साधने का दांव माना जा रहा है.
बीजेपी के सभी सहयोगी ओबीसी और दलित आधार वाली पार्टियां हैं. इससे सीएम योगी की रणनीति को भी समझा जा सकता है, क्योंकि 2024 में यूपी में बीजेपी से दलित और ओबीसी वोटबैंक ही छिटका है. इसीलिए उसे दुरुस्त करने की भी रणनीति मानी जा रही है.
बिहार में अखिलेश की पूरी फ़ौज उतरी?
भले ही सपा बिहार की किसी भी एक सीट पर चुनाव नहीं लड़ रही है, लेकिन प्रचार के लिए अखिलेश यादव ख़ुद 27 से ज़्यादा जनसभाएँ करने का काम किया तो साथ ही अपने सांसदों की भी पूरी फ़ौज उतार दी थी. सांसद अफज़ाल अंसारी से लेकर राजीव राय, इकरा हसन, अवधेश प्रसाद, सनातन पांडेय, विधायक ओम प्रकाश सिंह, जय प्रकाश अंचल, आशु मलिक सहित तमाम अपने दिग्गज नेताओं को प्रचार में उतार दिया था.
अखिलेश यादव ने अवधेश प्रसाद के साथ मगध और शाहाबाद के इलाक़े में महागठबंधन के चुनाव प्रचार की कमान संभाल रखी तो इकरा हसन को मुस्लिम बहुल सीमांचल के इलाक़े में चुनाव प्रचार कराया. अफज़ाल अंसारी यूपी से सटी हुई सीटों पर प्रचार करते नज़र आए तो लोकसभा सांसद राजीव राय ने भूमिहार बेल्ट संभाल रखी तो अवधेश प्रसाद दलित वोटों को साधने की कवायद किया. इसके अलावा ओम प्रकाश सिंह के सहारे राजपूत वोटों को महागठबंधन के पक्ष में करने का सियासी ताना-बाना अखिलेश ने बुना था.

