
रेगिस्तान की धूप और हवाओं के बीच राजस्थान अब केवल संस्कृति और पर्यटन के लिए नहीं बल्कि अपराध के मामलों में भी राष्ट्रीय सुर्खियों में है।
रेगिस्तान की धूप और हवाओं के बीच राजस्थान अब केवल संस्कृति और पर्यटन के लिए नहीं बल्कि अपराध के मामलों में भी राष्ट्रीय सुर्खियों में है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) की ताजा “क्राइम इन इंडिया-2023” रिपोर्ट ने राज्य की सुरक्षा और समाजिक संरचना की काली परतें उजागर कर दी हैं।
सबसे चौंकाने वाली बात है कि फाइनेंस फ्रॉड के मामले में राजस्थान देश में पहले नंबर पर है। 2023 में देशभर में दर्ज 1,98,916 आर्थिक अपराधों में 27,675 मामले सिर्फ राजस्थान में सामने आए। निवेश और लेन-देन के नाम पर लोगों को ठगा जाना अब राज्य का एक गहरी और व्यापक समस्या बन गया है। डिजिटल और नकदी दोनों ही तरह के फ्रॉड बढ़ते जा रहे हैं।
महिलाओं की सुरक्षा की स्थिति भी गंभीर है। देशभर में महिला अत्याचार के 4,48,211 मामले दर्ज हुए, जिसमें राजस्थान टॉप-5 में शामिल है। घरेलू हिंसा, छेड़छाड़ और उत्पीड़न के मामले समाज में भय और असुरक्षा की भावना को बढ़ा रहे हैं। यह संकेत देता है कि राज्य में न केवल कानून व्यवस्था बल्कि सामाजिक चेतना भी चुनौतीपूर्ण स्थिति में है।
हत्या के मामलों में राजस्थान 1,804 केस के साथ पांचवें नंबर पर है। उत्तरप्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश इसे पीछे छोड़ते हुए ऊपर हैं। संज्ञेय अपराधों में 7.2 प्रतिशत और साइबर क्राइम में 31 प्रतिशत की वृद्धि ने राजस्थान में सुरक्षा की जटिल तस्वीर पेश की है।
साइबर क्राइम भी राज्य में तेजी से फैल रहा है। साल 2023 में राजस्थान देश में आठवें नंबर पर रहा। ऑनलाइन फ्रॉड, लैंगिक शोषण और फिरौती के मामले बढ़ते हुए डिजिटल दुनिया में राजस्थान को भी निशाना बना रहे हैं। यह सिर्फ आर्थिक नुकसान नहीं बल्कि मानसिक और सामाजिक विश्वास को भी हिला रहे हैं।
विशेष रूप से फाइनेंस फ्रॉड और साइबर क्राइम का खतरा यह दिखाता है कि डिजिटल दुनिया में जागरूकता और तकनीकी सुरक्षा कितनी जरूरी है। वहीं, महिला अत्याचार और हत्याओं की बढ़ती दर समाज और कानून व्यवस्था पर सीधे सवाल खड़ा करती है।
राजस्थान की पुलिस और प्रशासन के लिए यह चुनौती केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं है। इसे रोकने के लिए तकनीकी निगरानी, कड़ी कानूनी कार्रवाई और सामाजिक जागरूकता जरूरी है। विशेषज्ञों का कहना है कि डिजिटल फ्रॉड और महिला सुरक्षा के मामलों में तत्काल रणनीति न बनाई गई तो यह आंकड़े अगले साल और बढ़ सकते हैं।
राजस्थान की तस्वीर अब केवल रेगिस्तान, किले और महलों की नहीं है; यह अब ठगी, हिंसा और साइबर अपराध की बढ़ती परछाई की कहानी भी बयां करती है। यह राज्य के हर नागरिक के लिए चेतावनी है कि सुरक्षा और जागरूकता अब पहले से कहीं ज्यादा जरूरी हैं।
राजस्थान की अपराधीय वास्तविकता सिर्फ संख्या नहीं बल्कि समाज और जीवन की परतों में छुपे संकट की झलक है—जहां हर फ्रॉड, हर हिंसा और हर साइबर अपराध का असर दूरगामी है।