

राजेश लक्ष्मण गावड़े
मुख्य संपादक (जन कल्याण टाइम)
नीचे इस मामले का विस्तृत विवरण दिया गया है:
घटना का विवरण
20 अप्रैल 2025 को, 68 वर्षीय ओम प्रकाश अपने तीन मंजिला घर के भूतल पर खून से लथपथ हालत में मृत पाए गए। पुलिस को उनकी पत्नी पल्लवी ने ही फोन करके हत्या की सूचना दी। शुरुआती जांच में पता चला कि ओम प्रकाश की हत्या धारदार हथियार से की गई, जिसमें उनके पेट और सीने पर चाकू के कई घाव पाए गए। इसके अलावा, उनके शरीर पर कांच की बोतल से हमले के निशान भी मिले।
पुलिस के अनुसार, हत्या से पहले ओम प्रकाश और उनकी पत्नी पल्लवी के बीच तीखी बहस हुई थी। यह विवाद संपत्ति को लेकर था, क्योंकि ओम प्रकाश ने अपनी एक संपत्ति किसी रिश्तेदार को दे दी थी, जिससे पल्लवी नाराज थीं। इस बहस ने हिंसक रूप ले लिया, और पल्लवी ने कथित तौर पर ओम प्रकाश के चेहरे पर मिर्च पाउडर फेंका, जिससे उनकी आंखों में जलन हुई और वे इधर-उधर भागने लगे। इसके बाद पल्लवी ने उन्हें रस्सी से बांधा और चाकू से कई वार किए, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई।
आरोपियों की भूमिका
पल्लवी (पत्नी): पल्लवी ने पुलिस के सामने हत्या की जिम्मेदारी स्वीकार की है। उन्होंने बताया कि उन्होंने ओम प्रकाश पर मिर्च पाउडर फेंका, उन्हें बांधा, और फिर चाकू से हमला किया। पुलिस को संदेह है कि पल्लवी का मानसिक संतुलन ठीक नहीं था, और उनके बेटे ने भी दावा किया कि उनकी मां मानसिक रूप से अस्वस्थ थीं।
कृति (बेटी): ओम प्रकाश की बेटी कृति भी इस मामले में संदिग्ध है। पुलिस को शक है कि वह हत्या में शामिल हो सकती है, क्योंकि घटना के समय वह घर में मौजूद थी। कृति ने हत्या के बाद खुद को एक कमरे में बंद कर लिया और हंगामा मचाया। पुलिस ने उससे करीब 12 घंटे तक पूछताछ की, लेकिन उसकी सटीक भूमिका अभी जांच के दायरे में है।
पुलिस की कार्रवाई
घटना की सूचना मिलते ही एचएसआर लेआउट पुलिस स्टेशन की टीम मौके पर पहुंची। ओम प्रकाश का शव पोस्टमॉर्टम के लिए होसुर रोड स्थित सेंट जॉन्स अस्पताल भेजा गया। पुलिस ने पल्लवी और कृति को हिरासत में ले लिया और उनसे गहन पूछताछ की। बेंगलुरु पुलिस कमिश्नर बी. दयानंद ने बताया कि हत्या में धारदार हथियार का इस्तेमाल किया गया, और अत्यधिक रक्तस्राव के कारण ओम प्रकाश की मौत हुई।
पुलिस ने ओम प्रकाश के बेटे की शिकायत पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 302 (हत्या) के तहत मामला दर्ज किया। क्राइम सीन की जांच में संघर्ष के निशान मिले, जो यह दर्शाते हैं कि हत्या से पहले काफी छीना-झपटी हुई थी।
पृष्ठभूमि और मकसद
ओम प्रकाश 1981 बैच के कर्नाटक कैडर के आईपीएस अधिकारी थे, जिन्होंने 1 मार्च 2015 को डीजीपी और पुलिस महानिरीक्षक (IGP) के रूप में कार्यभार संभाला था। वे बिहार के चंपारण के मूल निवासी थे और भूविज्ञान में एमएससी डिग्री धारक थे। 2015 में सेवानिवृत्त होने के बाद वे बेंगलुरु के एचएसआर लेआउट में रह रहे थे।
पुलिस की प्रारंभिक जांच के अनुसार, हत्या का मुख्य कारण पारिवारिक विवाद था। ओम प्रकाश और पल्लवी के बीच लंबे समय से अनबन चल रही थी, जो संपत्ति के बंटवारे को लेकर और गहरा गई। पल्लवी ने संपत्ति को रिश्तेदार को देने के फैसले का विरोध किया, जिसके चलते दोनों के बीच तनाव बढ़ गया।
सनसनीखेज खुलासे
हत्या का तरीका: पुलिस सूत्रों के अनुसार, ओम प्रकाश उस समय डिनर टेबल पर मछली खा रहे थे, जब पल्लवी ने उन पर हमला किया। मिर्च पाउडर फेंकने के बाद उन्होंने ओम प्रकाश को बांधा और चाकू से कई वार किए।
पल्लवी का कबूलनामा: पल्लवी ने पुलिस को फोन करके कहा, “मैंने राक्षस को मार दिया,” जिससे उनकी मानसिक स्थिति पर सवाल उठे।
बेटे का बयान: ओम प्रकाश के बेटे ने अपनी मां और बहन के खिलाफ शिकायत दर्ज की, जिसमें उन्होंने पल्लवी की मानसिक बीमारी का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि उनकी मां लंबे समय से मानसिक रूप से अस्थिर थीं।
वर्तमान स्थिति
पुलिस इस मामले की गहन जांच कर रही है। पल्लवी और कृति से पूछताछ जारी है, और पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या हत्या में कोई और शामिल था। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट और फोरेंसिक जांच के नतीजे अभी प्रतीक्षित हैं। इस घटना ने कर्नाटक पुलिस और स्थानीय समुदाय में शोक की लहर पैदा कर दी है, क्योंकि ओम प्रकाश एक सम्मानित अधिकारी थे।
सामाजिक और मीडिया प्रतिक्रिया
इस हत्याकांड ने सोशल मीडिया और समाचार चैनलों पर व्यापक चर्चा छेड़ दी है। कई लोग पल्लवी की मानसिक स्थिति और पारिवारिक विवादों पर सवाल उठा रहे हैं। कुछ एक्स पोस्ट्स में इस मामले को मानसिक स्वास्थ्य और पारिवारिक तनाव से जोड़ा गया है।
निष्कर्ष
ओम प्रकाश हत्याकांड एक दुखद और जटिल मामला है, जिसमें पारिवारिक विवाद, मानसिक स्वास्थ्य, और हिंसक प्रतिक्रिया जैसे कई पहलू शामिल हैं। पुलिस की जांच अभी जारी है, और आने वाले दिनों में इस मामले में और खुलासे होने की उम्मीद है। यह घटना न केवल एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के जीवन के अंत की कहानी है, बल्कि पारिवारिक रिश्तों और मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को भी उजागर करती है।



