‘शुद्ध पानी नहीं मिलने से रोजाना हजार बच्चों की मौत’

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  • जल विशेषज्ञ उमाशंकर पांडेय का दावा

मुंबई। दुनिया में 200 करोड़ लोग के सामने पीने के पानी का संकट है। शुद्ध पानी नहीं मिलने से रोजाना 1 हजार बच्चों की मौत हो जाती है। मनुष्य को रोजाना 3 लीटर पीने का पानी चाहिए, लेकिन पानी की कमी के कारण शरीर में कई बीमारियां पैदा हो जाती हैं। जीव, जीवन और जल का आपस में गहरा संबंध है। यह बात जल संरक्षण के क्षेत्र में विशेष कार्य करने वाले जल योद्धा, पद्मश्री उमाशंकर पांडेय ने कही। वे मुंबई प्रेस क्लब में भारतीय संस्कृति उत्सव-7 के आयोजन को लेकर आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में बोल रहे थे। भारत विकास संगम और विकास अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में यह उत्सव 29 जनवरी से 6 फरवरी के बीच कर्नाटक के कलबुर्गी में आयोजित होगा। इस मौके पर उमाशंकर पांडेय ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ की रिपोर्ट के अनुसार जितने लोगों के पास मोबाइल है, पृथ्वी पर उतना लीटर पानी उपलब्ध नहीं है। हमारे वेदों में, धर्म शास्त्रों में जल संरक्षण के बारे में पूर्व में सूचित किया गया है। युग का सर्वाधिक चर्चित शब्द जल है, जल राष्ट्रीय संपदा है। पानी के रूप में हमें प्रकृति का अनमोल निशुल्क उपहार मिला है। प्राणी और प्रकृति की कल्पना जल के बिना संभव नहीं है। पृथ्वी में जितने भी जीव हैं, उनका जीवन जल पर निर्भर है। फल, अनाज, जड़, पत्तों में रस जल के कारण है।

पृथ्वी का सिर्फ 2.5 फीसदी पानी पीने लायक
उन्होंने कहा कि पृथ्वी पर 71 फीसदी पानी होने के बावजूद भी सिर्फ पीने लायक 2.5 फीसदी पानी है। यदि जल संकट से निपटना है तो पानी को आदर देना होगा। सरकार की बजाए हर व्यक्ति को अपने स्तर से पानी बचाने की कोशिश करनी होगी। जिस गति से जनसंख्या बढ़ रही है, पानी की मांग बढ़ रही है, उस गति से जल स्रोत बढ़ने की वजह कम हो रहे हैं। पांडेय ने कहा कि पानी की कमी के कारण भारत सहित दुनिया भर के गांव से लाखों लोग शहर की ओर पलायन करते रहे हैं। आज मध्य एशिया और दक्षिण अफ्रीका के 40 देशों में कई करोड़ लोग पानी की कमी के कारण अपना देश छोड़कर दूसरे देशों में चले गए हैं। पानी को लेकर सीरिया, जॉर्डन, फिलीपींस, सूडान और दक्षिण सूडान में युद्ध की स्थिति है।

गांवों से कुंए-तालाब गायब
उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की समस्या वर्ष 1960 के बाद आई, जब हमने कुएं का पानी पीना छोड़ दिया। नल के पानी का उपयोग हम करने लगे। भूजल का अत्यधिक दोहन होने के कारण उसकी गुणवत्ता में कमी आई। भूजल के अत्यधिक दोहन के कारण जल स्तर दिन-प्रतिदिन नीचे जा रहा है। आजादी के बाद परंपरागत जल स्रोत खत्म हुए। 60 फीसदी तालाब केवल कागज में रह गए। 90 प्रतिशत कुओं में पानी नहीं है। गांव के कुएं, तालाब फिर कैसे जिंदा हो? इस पर भी एक बड़ी योजना बननी चाहिए। आयोजन मंडल के सदस्य व भारत विकास संगम के कोषाध्यक्ष चंद्रशेखर धवलगी ने बताया कि भारत संस्कृति उत्सव एक तरह का दूसरा कुंभ है। उत्सव के आयोजन केएन गोविंदाचार्य और पूर्व राज्यसभा सदस्य बसवराज पाटिल हैं। भारत विकास संगम आयोजित कार्यक्रम का उद्घाटन पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद करेंगे जबकि एक सप्ताह चलने वाले कार्यक्रम में ,भारत रत्न सचिन तेंदुलकर,पद्मश्री व राज्यसभा सदस्य सुधा मूर्ति ,मुख्यमंत्री सिद्धारमैया अनेक मतों के धर्मगुरु, पीठाधीश्वर और तमाम क्षेत्रों की प्रसिद्ध हस्तियां और उत्सव में लगभग तीस लाख लोगों की आने की संभावना है।

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