बुजुर्ग पिता की बेबसी… कलियुगी पत्नी और पुत्र ने घर से निकाला

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नवसारी। बचपन से जवानी तक जिस बेटे को ढेरों कष्ट झेलकर पाला और जिस पत्नी के लिए अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया, उसी पत्नी और पुत्र ने बुढ़ापे की लाठी बनने की जगह बूढ़े पिता को घर से ही निकाल दिया। एक कलियुगी पत्नी और पुत्र की यह करतूत जुनाथना मटिया पाटीदार वाडी में सामने आई। पीड़ित पिता का नाम है चंद्रकान सुखाभाई डिम्मर। यह वृद्ध पिता प्लास्टिक निकलकर और उसे बेचकर अपना पेट भरने पर मजबूर है। वीडियो में आप देख सकते हैं कैसे विश्वगुरु बनने के स्वप्न पाले इसे देश में एक वृद्ध पिता कूड़े कचरे के डिब्बे से खाना ढूंढ़ रहे और पॉलिथीन की थैली वह प्लास्टिक निकलकर अपनी जीविका चलाते हुए नजर आ रहे हैं। मां-बेटे की निर्दयता के चलते पिता दर-दर की ठोकरें खाने पर मजबूर हो गया. कई बार उन्होंने मां-बेटे से बात करने और समझाने की कोशिश की, लेकिन वो नहीं माना जन कल्याण टाइम न्यूज के संपादक राजेश भाई गावड़े ने खुद वृद्ध पिता की और उन्हें यथासंभव मदद का आश्वासन दिया है।

आपको बता दें कि जन कल्याण टाइम न्यूज के संपादक राजेश भाई गावड़े अपने सामाजिक सरोकारिता के कामों की वजह से जाने जाते हैं। पिछले कई सालों ने राजेश भाई गावड़े ने अपने सामाजिक कार्यों और आदर्शों के आधार पर ऐसे बड़े-बड़े काम किए हैं जोकि मिसाल बन गए हैं। फिर चाहे सड़क निर्माण कार्य हो या बदबूदार नालियों से ट्रस्ट हाउसिंग सोसाइटी की समस्या हो, उन्होंने इन मुद्दों को न केवल उठाया बल्कि अंजाम तक भी पहुंचाया। आज स्थिति यह है कि नवसारी में लगभग हर कोई अपनी समस्या लेकर राजेश भाई गावड़े के पास आ रहा है और एक उम्मीद से देख है। इस मामले में राजेश भाई गावड़े कहते हैं कि जो लोग अपने बुजुर्ग माता पिता को घर पर नहीं रख सकते उनकी देखभाल नहीं कर सकते वे दुनिया में किसी पर भी दया नहीं रख सकते। जिन्होंने अपने मां-बाप को धोखा दिया वे दुनिया में हर किसी को धोखा दे सकते हैं ऐसे लोग किसी के विश्वास पात्र नहीं। मां बाप के आशीर्वाद से सब काम अपने आप बनने लगते हैं जिस धन दौलत के पीछे इंसान भागा फिरता है वह अपने आप मिल जाती है। घर में सुख शांति बनी रहती है सब काम अपने आप होने लगते हैं और बुजुर्गों का आशीर्वाद घर में आनंद ही आनंद लाता है। जो लोग माँ बाप को नहीं रख सकते उनके पास धन आ भी जाता है तो वह अंतरात्मा को सुख नहीं दे पाता। वह सिर्फ पैसा कहलाता है और उसमें माँ लक्ष्मी का आशीर्वाद नहीं होने से सुख शांति नहीं मिलती। जो लोग बुजुर्ग मां बाप को घर से निकाल देते हैं वह अपने बच्चों में भी यही संस्कार भरते हैं। आगे जाकर उनके साथ भी वही होने वाला है। जिस वक्त उन्हें अपने बच्चों और अपनी देखभाल करने वालों की जरूरत होगी उनके पास भी कोई नहीं होगा।

अगर आपके साथ ऐसा हो तो क्या करें ?
माता-पिता को है बच्चों से भरण पोषण पाने का अधिकार

भारतीय संविधान में प्रत्येक व्यक्ति को सम्मानजनक जीवन जीने और बुनियादी सुविधाओं को पाने का अधिकार दिया गया है। कई बार देखने में आता है कि जिन बच्चों की देखभाल और पालन पोषण पर माता-पिता अपना पूरा जीवन लगा देते हैं, अपनी जीवनभर की पूंजी खर्च कर देते हैं वे ही बच्चे सक्षम होने के बावजूद बुजुर्ग हो चुके माता-पिता की देखभाल से इन्कार कर देते हैं। ऐसे में बुजुर्ग माता-पिता को समझ नहीं आता कि वे करें तो क्या करें। उनके पास न तो अपने भरण पोषण की व्यवस्था होती है न ही लोकलाज के चलते वे वृद्धाश्रम में रह सकते हैं। ऐसी स्थिति में माता-पिता को अधिकार है कि वे अपने बच्चों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर भरण पोषण की मांग करें। एडवोकेट राजेश खंडेलवाल ने बताया कि माता-पिता के भरण पोषण का दायित्व केवल बेटों तक ही सीमित नहीं है बल्कि बेटियों को भी कानून ने माता-पिता के भरण पोषण की उतनी ही जिम्मेदारी दी है जितनी बेटों को दी है। माता-पिता को बच्चों से भरण पोषण दिलवाने के लिए ही माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण और कल्याण अधिनियम 2007 बनाया गया है। इसके तहत ऐसे माता-पिता जो अपनी कमाई से अपना भरण पोषण करने में सक्षम नहीं हैं वे बच्चों के खिलाफ भरण पोषण की मांग करते हुए दावा प्रस्तुत कर सकते हैं।
इस कानून के तहत दादा-दादी को भी अपने वयस्क पोते-पोती से भरण पोषण प्राप्त करने का अधिकार दिया गया है। वर्ष 2019 में इस अधिनियम में संशोधन करते हुए बच्चों के साथ-साथ रिश्तेदारों को भी शामिल किया गया है। यानी इस अधिनियम के प्रविधानों के मुताबिक वरिष्ठ नागरिक, माता-पिता के भरण पोषण के लिए उनके रिश्तेदार भी जिम्मेदार ठहराए गए हैं।
इसी तरह भारतीय दंड संहिता की धारा 125 के तहत भी माता-पिता को बच्चों से भरण पोषण पाने का अधिकार दिया गया है। सामान्यत: इस धारा के बारे में भ्रांति है कि इसके तहत एक पत्नी को पति से भरण पोषण पाने का अधिकार होता है लेकिन यह धारा इतनी सीमित नहीं है। इसके तहत ऐसा कोई व्यक्ति जिसके पास पर्याप्त साधन हैं और जो माता-पिता या इनमें से किसी के भरण पोषण से इन्कार करता है, तो न्यायालय अधिनियम के तहत उसे माता-पिता के भरण पोषण का आदेश दे सकता है।
इस अधिनियम में महत्वपूर्ण बात है कि इसके तहत बेटियों को भी माता-पिता के भरण पोषण के लिए उत्तरदायी माना गया है। सौतेली माता इस अधिनियम के तहत सौतेले बच्चों से भरण पोषण का दावा उसी स्थिति में प्रस्तुत कर सकती है जबकि उसके पति की मृत्यु हो गई हो और उसके कोई सगा बेटा या बेटी न हो।
इसी तरह विवाहित बेटियों पर माता-पिता के भरण पोषण का दायित्व उसी स्थिति में जब माता-पिता पूरी तरह से उन पर आश्रित हों। एक विशेष बात यह भी कि न्यायालय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के तहत दिए गए भरण पोषण के आदेश में संशोधन भी कर सकता है। इसके लिए माता-पिता को धारा 127 के तहत आवेदन देना होता है।

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