नई दिल्ली: चुनाव आयोग (EC) ने केंद्र में सत्ताधारी दल बीजेपी और विपक्षी कांग्रेस को बुधवार को नसीहत दी कि वे जाति, समुदाय, भाषा और धर्म के आधार पर प्रचार करने से बचें। आयोग ने कहा कि चुनावों के दौरान भारत के सामाजिक और सांस्कृतिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचाने की अनुमति नहीं जा सकती है।इन दोनों ही दलों ने चुनाव के दौरान आपत्तिजनक और विभाजनकारी भाषण देने के लिए एक-दूसरे की आयोग से शिकायत की थी। कांग्रेस ने जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण को विभाजनकारी बताया था, वहीं बीजेपी ने राहुल की स्पीच पर ऐक्शन लेने की मांग की थी।
चुनाव आयोग ने दोनों से मांगी सफाई
आयोग ने दोनों ही दलों के प्रमुखों जे.पी. नड्डा (बीजेपी) और मल्लिकार्जुन खरगे (कांग्रेस) से इस पर सफाई मांगी थी। अब आयोग ने उनसे मिले जवाब को बचाव योग्य नहीं माना है। आयोग ने बीजेपी अध्यक्ष नड्डा और उनकी पार्टी के स्टार प्रचारकों को धार्मिक और सांप्रदायिक आधार पर प्रचार न करने और समाज को बांटने वाले चुनावी भाषणों को बंद करने को कहा है। वहीं, कांग्रेस से कहा है कि सेनाओं के मुद्दे का राजनीतिकरण न करें। कांग्रेस, उसके स्टार प्रचारक और प्रत्याशी ऐसे बयान भी न दें, जिससे यह गलत धारणा बने कि संविधान को समाप्त किया जा सकता है। आयोग ने दोनों राष्ट्रीय दलों के अध्यक्षों से कहा कि वे स्टार प्रचारकों को औपचारिक सलाह जारी करें, जिससे कि वे संवाद में सावधानी बरतें और शिष्टाचार बनाए रख सकें। आयोग ने यह भी कहा कि भारतीय चुनावों की बहुमूल्य विरासत और हमारे चुनावी लोकतंत्र को किसी के द्वारा कमजोर करने की इजाजत नहीं दी जा सकती।
संविधान पर चल रही राजनीति पर भी बोले चुनाव आयोग
चुनाव आयोग ने कांग्रेस से यह सुनिश्चित करने को भी कहा कि उसके स्टार प्रचारक और उम्मीदवार ऐसे बयान न दें जिससे यह गलत धारणा बने कि संविधान को समाप्त किया जा सकता है।निर्वाचन आयोग ने दोनों राष्ट्रीय दलों के अध्यक्षों से कहा कि वे अपने स्टार प्रचारकों को औपचारिक सलाह जारी करें ताकि वे अपने संवाद को सही कर सकें, सावधानी बरतें और शिष्टाचार बनाए रख सकें।आयोग ने नड्डा और खरगे, दोनों से कहा कि चुनाव एक ऐसी प्रक्रिया है जहां राजनीतिक दल न सिर्फ जीतने के लिए चुनाव लड़ते हैं, बल्कि मतदाताओं के खुद को एक आदर्श के रूप में प्रस्तुत करने का अवसर भी प्राप्त करते हैं।