गुजरात के इस शहर में आलू हुआ महंगा, कुछ ही दिनों में दोगुनी हो गई कीमत

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महंगाई है कि कम होने का नाम नहीं ले रही है. खाने-पीने की एक चीज जब तक सस्ती होती है, तब तक दूसरी चीज महंगी हो जाती है. इससे आम जनता के किचन का बजट बिगड़ गया है. लेकिन आलू की बढ़ती कीमत से सबसे अधिक लोगों को परेशानी हो रही है. क्योंकि आलू एक ऐसी सब्जी है, जिसके बगैर हम खाने की एक कंप्लीट थाली की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं. यह हर किचन में रोज इस्तेमाल किए जाने वाला खाद्य पदार्थ है. लेकिन आलू की आसमान छूती कीमतें अब लोगों को फिलहाल इसका विकल्प ढूंढने पर मजबूर कर सकती हैं. द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, गुजरात के सूरत में आलू की कीमत में दोगुनी बढ़ोतरी दर्ज की गई है. फरवरी महीने में हॉलेस कीमत जो आलू 12 रुपये किलो थी, अब दोगुनी होकर 24 रुपये प्रति किलो हो गई है. जबिक, खुदरा में यह 35 रुपये प्रति किलो तक बेचा जा रहा है. ऐसे में व्यापारियों का दावा है कि कीमत में वृद्धि कुछ और हफ्तों तक जारी रहेगी, क्योंकि आपूर्ति मांग के अनुरूप नहीं है. वहीं, कीमतों में इस उछाल का कारण बेमौसम बारिश को भी बताया जा रहा है. कहा जा रहा है कि बारिश ने कुछ राज्यों में आलू की फसल की पैदावार पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है. इसके चलते आलू के उत्पादन में गिरावट आई है.
15 दिनों से बढ़ रही है कीमत
सब्जी आपूर्तिकर्ता भद्रेश फोटोवाला ने कहा कि सूरत में पिछले 15 दिनों से कीमतें बढ़ रही हैं और आपूर्ति में कमी के कारण इसमें वृद्धि जारी रहेगी. प्रतिकूल मौसम के कारण पिछले दो वर्षों से आलू के उत्पादन में गिरावट आई है. वहीं, कीमत में बढ़ोतरी ने आम लोगों की चिंता बढ़ा दी है. वराछा निवासी जयश्री पटेल ने कहा कि गर्मियों में, आम तौर पर हम साल भर खाने के लिए चिप्स तैयार करते हैं. कीमत में वृद्धि के कारण हम इस बार चिप्स तैयार नहीं कर पाएंगे.
इस वजह से बढ़ रहा है रेट
व्यापारियों के लिए भी, आपूर्ति और स्टॉक का प्रबंधन करना एक चुनौतीपूर्ण समय है. छत्रपति शिवाजी मार्केट के थोक व्यापारी रवि महाजन बताते हैं कि आपूर्ति में कमी के कारण आलू की कीमतें बढ़ रही हैं. कुछ आलू उत्पादक क्षेत्रों में बारिश ने फसलें नष्ट कर दी हैं. जो थोक व्यापारी सीधे किसानों से आलू खरीदारी करते हैं, उन्हें क्वालिटी के आलू के लिए मश्क्कत करनी पड़ रही है. एक व्यापारी ने कहा कि मार्केट में अच्छी गुणवत्ता वाले आलू की उपज की अत्यधिक मांग है. इसके चलते इसकी कीमत में सबसे अधिक वृद्धि देखी गई है.

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