मुंबई. बम्बई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने बाल विवाह की शिकार एक किशोरी को भ्रूण संबंधी विकारों के आधार पर उसके 28 सप्ताह के गर्भ को चिकित्सकीय रूप से समाप्त करने की अनुमति दे दी है। न्यायमूर्ति पी. डी. नाइक और न्यायमूर्ति एन. आर. बोरकर की खंडपीठ ने 12 अप्रैल के अपने आदेश में कहा कि किशोरी “एचआईवी सेरोपॉजिटिव” है।
आदेश की प्रति बृहस्पतिवार को उपलब्ध कराई गई। उच्च न्यायालय में 17-वर्षीया लड़की ने एक याचिका दायर कर गर्भपात की अनुमति मांगी थी और कहा था कि संबंधित जांच से पता चला है कि भ्रूण में आनुवंशिक विकारों की आशंका के साथ अस्थि-पंजर संबंधी विसंगतियां थीं। गर्भ का चिकित्सकीय समापन अधिनियम के तहत, 24 सप्ताह से अधिक के गर्भ को समाप्त करने के लिए अदालत की मंजूरी की आवश्यकता होती है।
उच्च न्यायालय ने पुणे में सरकारी ससून जनरल अस्पताल के मेडिकल बोर्ड द्वारा प्रस्तुत उस रिपोर्ट पर भरोसा जताया, जिसमें गर्भावस्था को समाप्त करने की सिफारिश की गई थी, क्योंकि लड़की नाबालिग है और “एचआईवी सेरोपॉजिटिव” है।
बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि भ्रूण में भी कई विकार हैं। उच्च न्यायालय ने कहा कि वह लड़की की मानसिक और चिकित्सकीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए गर्भपात की अनुमति दे रहा है।



