Central Banks Strategy: फेडरल रिजर्व से बैंक ऑफ जापान, बैंक ऑफ चाइना तक, समझें सेंट्रल बैंकों की रणनीति

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Central Banks Strategy: अमेरिका के केंद्रीय बैंक, फेडरल रिजर्व ने बीती रात अपनी ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया. इसके साथ ही इस बहुप्रतीक्षित बैठक के आउटकम का इंतजार खत्म हो गया जिसमें एफओएमसी कमिटी ने ब्याज दरों को लेकर अपना रुख साफ कर दिया है. अमेरिका में ब्याज दरें 23 साल के उच्च स्तरों पर हैं और इसके फिलहाल नीचे आने की उम्मीदें नहीं हैं क्योंकि फेड चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने स्पष्ट रूप से बता दिया है कि इस बार भले ही ब्याज दरें यथावत रखी गई हैं लेकिन आगे चलकर कम से कम तीन बार ब्याज दरों में कटौती की जाएगी.
बैंक ऑफ जापान का ताजा फैसला बना चर्चा का विषय
अमेरिका के सेंट्रल बैंक ने जहां दरों में नरमी का रुख बरकरार रखा है वहीं हाल ही में दुनिया के दो बड़े देश ऐसे हैं जिसके केंद्रीय बैंकों ने बड़े फैसले लिए हैं. बैंक ऑफ जापान का लिया गया ताजा फैसला इस हफ्ते चर्चा का विषय बना है. बैंक ऑफ जापान ने 17 सालों में पहली बार अपने देश में ब्याज दरों में इजाफा किया है और ये फैसला ऐतिहासिक इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि ये दुनिया का ऐसा इकलौता देश था जहां नीतिगत दरें निगेटिव में चल रही थीं. बैंक ऑफ जापान ने अपने यहां ब्याज दरों को -0.1 फीसदी से बढ़ाकर इसे 0.1 फीसदी पर ले आया है और इसके पीछे बैंक ऑफ जापान का मानना है कि इससे उनके देश में लोन को बढ़ावा मिलेगा, मांग में इजाफा देखा जाएगा और महंगाई के लेवल में कुछ बदलाव देखा जाएगा जो पिछले काफी समय से स्टेटिक की तरह से ही बनी है.
बैंक ऑफ चाइना का ये रहा फैसला
चीन का सेंट्रल बैंक भी बीते हफ्ते अपनी ब्याज दरों पर फैसला ले चुका है. बीते शुक्रवार को बैंक ऑफ चाइना ने अपनी मुख्य ब्याज दरों में कोई बदलाव ना करते हुए इस पर स्टेटस को यानी यथास्थिति बरकरार रखी थी. बैंक ऑफ चाइना ने एमएलएफ (मीडियम टर्म लैंडिंग फैसिलिटी) के आधार पर ब्याज दरों को 2.50 फीसदी पर बरकरार रखा और इसके आधार पर एक साल के ये एमएलएफ के लिए इंटरेस्ट रेट में कोई चेंज नहीं आएगा. हालांकि बैंक ऑफ चाइना ने इस बात के संकेत दिए कि वो बैंकिंग सिस्टम में और देश के पूंजी बाजार में थोड़ा कैपिटल इंफ्यूजन यानी पूंजी प्रवाह जारी रखेगा. इसके जरिए चीन में चल रहे आर्थिक सुधारों की कवायद को बढ़ाने के संकेत बैंक ऑफ चाइना ने दिए हैं. हालांकि ये फैसला आर्थिक जगत के जानकारों के मत के मुताबिक नहीं था लेकिन चीन की सरकार इस समय अपने देश को फिर से ग्लोबल ग्रोथ इंजन की पदवी दिलाने के लिए कोशिशें कर रही है, जिसके तहत इस निर्णय को लेकर काफी स्वीकृति बनी है.
भारत में केंद्रीय बैंक RBI का क्या है रुख
भारतीय रिजर्व बैंक ने बीती 8 फरवरी को अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति समिति के फैसलों का एलान किया था जिसमें नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की मीटिंग के मिनट्स का एलान करते हुए देश की रियल जीडीपी को लेकर अच्छा अनुमान दिया और इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत है, ये लगातार ग्रोथ के रास्ते पर प्रगति कर रही है. आरबीआई की 6 सदस्यों वाली मौद्रिक नीति समिति में से 5 सदस्यों ने बहुमत से रेपो रेट और एमएसएफ, बैंक रेट में कोई बदलाव नहीं करने के पक्ष में वोट दिया था.
दुनिया के बड़े देशों के केंद्रीय बैंकों के फैसलों से मिल रहे क्या संकेत
अमेरिका, चीन, जापान और भारत के सेंट्रल बैंकों के ताजा फैसलों से अगर हम संकेत लेना चाहें तो एक बात तो साफ है कि इन बैंकों के सामने ग्रोथ को बढ़ाना और महंगाई को कम करना – ये ही दो प्रमुख चुनौतियां हैं. महंगाई और ग्रोथ दो ऐसे कारक हैं जिनको साधना देशों के केंद्रीय बैंकों के लिए मुश्किल होता जा रहा है. जहां जापान अपने यहां खरीदारी को प्रोत्साहन देने के लिए 17 सालों के बाद ब्याज दरों मे बदलाव करने के लिए तैयार हुआ, वहीं अमेरिका में ब्याज दरें जो 23 साल के उच्च स्तर पर हैं वहां फेड रिजर्व यथास्थिति बरकरार रखने पर मजबूर है. विकसित देशों में चीन के पॉलिसीमेकर्स अलग ही रास्ते पर चलते हैं लेकिन ब्याज दरों का जहां तक सवाल है, वो भी इस पर कड़े फैसले लेने से डर रहे हैं कि देश में ग्रोथ को बनाए रखने के क्रम में कहीं महंगाई बेकाबू ना हो जाए.
जहां तक भारत की बात है तो यहां रिजर्व बैंक के पास काफी संभावनाएं हैं और उन्हें केंद्रीय बैंक एक्सप्लोर भी कर रहा है. लंबे समय से भारत में भी ब्याज दरों को लेकर कोई बड़ी हलचल नहीं देखी जा रही है और लोगों के पास कर्ज लेने के लिए ज्यादा प्रोत्साहन वाले कदम नहीं दिख रहे हैं. हालांकि भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से ग्रोथ कर रही है और इसमें केंद्रीय बैंक के लिए गए फैसलों का असर काफी व्यापक रूप से देखा जा रहा है.

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