पत्नी को ‘सेकंड हैंड’ कहना पति को पड़ा महंगा! 3 करोड़ का मुआवजा देने का आदेश

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पति-पत्नी का रिश्ता बाकी रिश्तों से अलग होता है। कभी हंसना तो कभी गुस्सा होना बहुत आम बात है। कई बार एक-दूसरे का मजाक भी उड़ाते हैं। लेकिन कभी-कभी यह मजाक जीवनसाथी को आहत कर देता है और तलाक (Divorce Case) तक की नौबत आ जाती है। ऐसी ही एक घटना मुंबई से सामने आई है। जहां एक पति को अपनी पत्नी को सेकेंड हैंड कहना बहुत महंगा पड़ गया। आहत होकर पत्नी ने सीधे कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। जिसके बाद कोर्ट ने पति को अपनी पत्नी को मुआवजे के तौर पर 3 करोड़ रुपये देने का आदेश दिया है।
अमेरिकी नागरिक ने बॉम्बे हाईकोर्ट में तलाक की याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि पत्नी के खिलाफ घरेलू हिंसा उसके आत्मसम्मान पर असर डालती है। कोर्ट ने गौर किया कि हनीमून के दौरान महिला के साथ पति ने मारपीट की थी। उसे ‘सेकेंड हैंड’ कहता था। इसके चलते हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता पति को फटकार लगाई। कोर्ट ने पति को आदेश दिया कि वह अलग रह रही पत्नी को 3 करोड़ रुपये का मुआवजा दे।
मिली जानकारी के मुताबिक, दम्पति अमेरिकी नागरिक है और इन दोनों ने 3 जनवरी 1994 को मुंबई में शादी की थी। उन्होंने दूसरी शादी अमेरिका में भी की, लेकिन 2005-2006 के आसपास वे मुंबई आ गए और एक साथ रहने लगे। पत्नी मुंबई में एक कंपनी में नौकरी करती थी। इसके बाद दोनों के बीच विवाद होने पर पत्नी अपने मायके चली गई।
2014-15 में पति फिर अमेरिका चला गया और 2017 में वहां की अदालत में तलाक की अर्जी दाखिल की। कोर्ट ने इस संबंध में पत्नी को नोटिस भी भेजा। इसके बाद पत्नी ने भी मुंबई मजिस्ट्रेट कोर्ट में घरेलू हिंसा (डीवी) अधिनियम के तहत एक याचिका दायर की। इस बीच, 2018 में अमेरिकी अदालत ने दम्पति के तलाक को मंजूरी दे दी।
उधर, 2023 में मुंबई मजिस्ट्रेट कोर्ट ने आदेश पारित करते हुए माना कि महिला घरेलू हिंसा की शिकार थी। अदालत ने पति को निर्देश दिया था कि वह पत्नी को 2017 से भरण-पोषण के लिए हर माह 1,50,000 रुपये, साथ ही तीन करोड़ रुपये का मुआवजा भी दे। इसके बाद, पति ने निचली अदालत के आदेश को सत्र न्यायालय में चुनौती दी, जहां उसकी याचिका खारिज कर दी गई। फिर पति ने बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया। लेकिन पति को वहां भी झटका लगा और हाईकोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखा है।
पत्नी ने पति पर कई आरोप लगाए है। पीड़िता ने कहा कि जब वह दोनों हनीमून के लिए नेपाल गए थे तो पति ने उसे ‘सेकंड हैंड’ कहकर मानसिक पीड़ा दी। आरोप है कि महिला की पहले सगाई किसी वजह से टूट गई थी, जिस वजह से पति उसे ‘सेकंड हैंड’ कहकर चिढ़ाता था। जब वे अमेरिका चले गए तो वह पति उसे टॉर्चर करने लगा। इतना ही नहीं, वह महिला के चरित्र पर भी संदेह करता था। उसने पीड़िता को पीटा भी और इस बात को स्वीकार करने के लिए मजबूर किया। पीड़िता ने कोर्ट को बताया कि साल 2000 में जब उसके माता-पिता अमेरिका गए तो उसके पिता को दिल का दौरा पड़ा। तब पति ने उसे अपने पिता के साथ रहने से मना कर दिया। भारत लौटने के बाद भी उसके पति ने उस पर दूसरे पुरुषों के साथ संबंध होने का आरोप लगाकर उसे मानसिक तौर पर प्रताड़ित किया। महिला का आरोप है कि 2008 में उसके पति ने तकिए से उसका दम घोंटने की कोशिश की, जिसके बाद वह अपनी मां के घर रहने चली गई. पीड़िता ने अपने पति पर दूसरी महिला से शादी करने का भी आरोप लगाया। नवंबर 1999 में पति ने कथित तौर पर उसे इतनी बेरहमी से पीटा कि पड़ोसियों ने शोर सुनकर स्थानीय पुलिस को बुलाया, जिसने पति को घरेलू हिंसा के आरोप में गिरफ्तार किया था।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने पति को 2017 से पत्नी को हर महीने भरण-पोषण के तौर पर 1.5 लाख रुपये देने और साथ ही दो महीने के भीतर तीन करोड़ रुपये का मुआवजा देने का आदेश बरकरार रखा है। साथ ही पति को 50 हजार रुपये का खर्च भी उठाने के लिए कहा है।

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