नई दिल्ली. हाल में संपन्न हुए जी20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि भारत के नेतृत्व में जी-20 समूह ग्लोबलाइजेशन के जीडीपी-केंद्रित दृष्टिकोण से मानव-केंद्रित दृष्टिकोण की ओर बढ़ा है। इसी सम्मेलन में ग्लोबल साउथ को भी जी20 का सदस्य बनाया गया। भारत की यही चिंताएं डब्ल्यूटीओ की हाल ही जारी हुई वर्ल्ड ट्रेड रिपोर्ट 2023 में लक्षित की जा सकती हैं। रिपोर्ट में री-ग्लोबलाइजेशन की जरूरत को रेखांकित करते हुए इसके समावेशी, टिकाऊ और सुरक्षित बनाने की बात कही गई है। रिपोर्ट में डब्ल्यूटीओ ने चेतावनी देते हुए कहा है कि यूक्रेन में युद्ध और महंगाई के चलते ग्लोबलाइजेशन में भरोसा खत्म हो रहा है और वैश्विक व्यापार नियमों के प्रति सम्मान कम हो रहा।
नतीजा है सदस्य देशों के बीच विवादों का अंबार बढ़ता जा रहा है। गौरतलब है कि 2016 से 2019 के बीच देशों द्वारा लगाए गए ट्रेड प्रतिबंधों का औसत सालाना 21 का था। पिछले साल इनकी संख्या बढ़कर 139 पर पहुंच गयी थी। मसलन, अमरीका ने इन्फ्लेशन रिडक्शन एक्ट लागू कर क्लीन-टेक पर सब्सिडी कम कर दी है, ताकि अमरीका में उत्पादन बढ़ाया जा सके। इससे चीन से आ रहे इलेक्ट्रिक वाहन महंगे हो गए हैं। यूरोप भी चीन की ईवी तकनीक की जांच कर रहा है। चीन पर चिप निर्यात के लिए प्रतिबंध लगाए गए हैं। भारत ने अपने चावल और गेहूं के निर्यात पर कई तरह के प्रतिबंध लगाये हैं।