मुंबई: शहर की हवा जहरीली हो रही है। एयर क्वॉलिटी का गिरता स्तर अब मुंबईकरों की सेहत पर बुरा असर डाल रहा है। खासकर उन लोगों की समस्या में इजाफा हुआ है, जो पहले से ही फेफड़ों की बीमारियों से जूझ रहे हैं। प्रदूषण की चादर में लिपटा शहर अब उच्च जोखिम समूह में आने वाले लोगों के स्वास्थ्य समस्या को और भी बढ़ा रहा है। डॉक्टर्स के अनुसार, प्रदूषण के कारण ओपीडी में सांस और दमे के मरीजों की संख्या में 30 से 50 फीसदी का इजाफा हुआ है। डॉक्टरों ने लोगों को अपनी सेहत का ध्यान रखने की अपील की है। साथ ही प्रशासन से प्रदूषण को कम करने के लिए सख्त कदम उठाने और ऐक्शन प्लान बनाने की बात कही है।
बता दें कि मुंबई की आबोहवा पिछले कुछ सप्ताह से लगातार बिगड़ रही है। मॉनसून की विदाई के बाद शहर की वायु गुणवत्ता ‘गुड’ से मॉडरेट केटेगरी में पहुंच गई है। कुछ इलाकों में तो हवा की क्वॉलिटी ‘पुअर’ से ‘वेरी पुअर’ की श्रेणी में चली गई है।
क्या कहते हैं पल्मोनोलॉजिस्ट
हीरानंदानी अस्पताल के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. स्वप्निल मेहता ने बताया कि पिछले 3 से 4 सप्ताह में जो भी मरीज आ रहे हैं, उनकी प्रमुख समस्या का कारण प्रदूषण है। ओपीडी के मरीजों की संख्या में लगभग 50 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। मरीज में फीवर, इन्फेक्शन नहीं है, तो ऐसे में हवा में मौजूद धूल, कण तत्वों के कारण एलर्जी, अस्थमा, सीओपीडी सहित अन्य फेफड़ों से संबंधित बीमारियों से जूझ रहे लोगों में खांसी और सांस लेने की दिक्कत बढ़ने लगी है। पहले फैमिली डॉक्टर्स को दिखाते ही आराम हो जाता था, लेकिन अब 8 से 10 दिन बीतने के बाद भी आराम नहीं मिलता। जेजे अस्पताल में बच्चों की यूनिट हेड डॉ सुशांत माने ने भी कहा कि प्रदूषण के चलते बच्चों को भी सांस की समस्या आ रही है। हमारे पास केस बढ़ गए हैं।