डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण विधेयक लोकसभा में पारित, RTI अधिनियम होगा कमजोर?

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विपक्ष के कड़े विरोध के बावजूद डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण विधेयक, 2023 लोकसभा में पारित हो गया है।विपक्ष का कहना है कि यह विधेयक सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम, 2005 को कमजोर करने के साथ-साथ और निजता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है।
आइए समझते हैं कि RTI अधिनियम में बदलाव को लेकर डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण विधेयक में क्या प्रावधान किए गए हैं और इसके विरोध के पीछे क्या कारण है।
वर्तमान कानून क्या कहता है?
विधेयक में RTI अधिनियम, 2005 की धारा 8(1)(जे) में संशोधन का प्रस्ताव है।
वर्तमान कानून की यह धारा किसी भी सार्वजनिक प्राधिकरण को किसी की व्यक्तिगत जानकारी साझा करने से रोकती है, जिसका सार्वजनिक गतिविधि या हित से कोई संबंध नहीं है।
इस धारा के तहत किसी की व्यक्तिगत जानकारी का खुलासा करने से उसकी गोपनीयता का अनुचित उल्लंघन होता है जब तक कि इस तरह का खुलासा व्यापक सार्वजनिक हित में उचित नहीं हो।
विधेयक में क्या प्रावधान किया गया है?
विधेयक में कहा गया है कि सार्वजनिक अधिकारियों की व्यक्तिगत जानकारी का खुलासा RTI अधिनियम के तहत नहीं किया जाएगा।
इसमें अधिनियम की उप-धारा (1) में खंड (जे) में संशोधन कर व्यापक सार्वजनिक हित में जानकारी सार्वजनिक करने की बात को भी खत्म करने का प्रावधान किया गया है।
बता दें कि इस प्रावधान को पिछले साल नवंबर में जारी किए गए मसौदे में जोड़ा गया था, जिसे लेकर विरोध हो रहा है।
विधेयक का विरोध क्यों कर रहा है विपक्ष?
कांग्रेस के सांसद अधीर रंजन चौधरी ने विधेयक पर चर्चा के दौरान कहा कि भाजपा शासित केंद्र सरकार RTI अधिनियम और निजता के अधिकार को कुचलने जा रही है। उन्होंने कहा कि विधेयक को पहले स्थायी समिति के पास भेजा जाना चाहिए।
चौधरी के अलावा AIMIM प्रमुख और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी और तृणमूल कांग्रेस (TMC) के सांसद सौगत रॉय ने भी डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण विधेयक का लोकसभा में कड़ा विरोध किया था।
NCPRI ने भी जताई विधेयक पर आपत्ति
सिविल समूहों ने भी विधेयक के प्रावधान पर आपत्ति जताई है। सूचना के अधिकार के लिए राष्ट्रीय अभियान (NCPRI) ने कहा है कि प्रस्तावित संशोधन लोक सूचना अधिकारियों को व्यक्तिगत जानकारी साझा करने से रोकने के लिए अनुचित अधिकार देंगे।
NCPRI ने कहा कि गोपनीयता और डाटा संरक्षण के लिए कानूनी ढांचे को RTI अधिनियम का पूरक होना चाहिए और मौजूदा ढांचे को कमजोर नहीं करना चाहिए जो नागरिकों को सरकार को जवाबदेही के लिए सशक्त बनाता है।
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने भी किया विरोध
पत्रकारों के समूह एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने भी डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण विधेयक, 2023 के कुछ प्रावधानों का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि यह प्रावधान प्रेस और मीडिया की स्वतंत्रता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं।
संस्था ने कहा कि विधेयक पत्रकारों और उनके सूत्रों समेत अन्य नागरिकों की निगरानी के लिए व्यवस्था तैयार कर रहा है।
गौरतलब है कि पिछले साल कई सिविल संस्थाओं ने भी विधेयक के मसौदे का विरोध किया था।
सरकार का क्या तर्क है?
केंद्रीय सूचना और प्रद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत करते हुए कहा, “RTI अधिनियम में व्यक्तिगत जानकारी साझा करने का अधिकार नहीं है।”
उन्होने आगे कहा, “इस विधेयक में केवल इतना कहा गया है कि RTI अधिनियम सार्वजनिक जीवन में रहने वालों के लिए पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना जारी रख सकता है, लेकिन निजता के अधिकार को केवल इसलिए नहीं छोड़ा जा सकता क्योंकि कोई व्यक्ति सार्वजनिक जीवन में है।”

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