
मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को मराठा-कुनबी समुदाय को ओबीसी का दर्जा देने के राज्य सरकार के शासनादेश (जीआर) पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया। राज्य सरकार ने 2 सितंबर को जारी जीआर में मराठा-कुनबी समुदाय के लोगों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी में शामिल करने का फैसला किया था। अदालत ने इस मामले पर राज्य सरकार को चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
ओबीसी संगठनों की आपत्ति और तर्क
मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम अंखड की पीठ के समक्ष कुनबी सेना, महाराष्ट्र माली समाज महासंघ, अहीर सुवर्णकार समाज संस्था, सदानंद मांडलिक और महाराष्ट्र नाभिक महामंडल सहित विभिन्न ओबीसी संगठनों की पांच याचिकाओं पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि मराठा समुदाय को कुनबी प्रमाण पत्र देने से वे प्रभावी रूप से ओबीसी श्रेणी में शामिल हो जाएंगे, जिससे मौजूदा ओबीसी वर्गों के आरक्षण लाभ प्रभावित होंगे। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि आगामी नगर निगम चुनावों में अयोग्य व्यक्ति इस जीआर का लाभ उठाकर आरक्षित सीटों पर चुनाव लड़ सकते हैं।
कोर्ट का रुख और आगे की कार्यवाही
याचिकाकर्ताओं के वकील ने राज्य सरकार के जीआर पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की थी, यह तर्क देते हुए कि इससे “अपरिवर्तनीय स्थिति” बन जाएगी। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि राज्य सरकार की विभिन्न समितियां और पिछड़ा वर्ग आयोग पहले ही मराठा समुदाय को कुनबी या ओबीसी श्रेणी में मान्यता देने से इनकार कर चुके हैं। इस पर अदालत ने कहा कि वह अभी इन दलीलों पर विस्तार से चर्चा नहीं करेगी और राज्य सरकार को सभी याचिकाओं पर चार सप्ताह के भीतर विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।