
मुंबई। बॉम्बे हाई कोर्ट ने स्कूली बच्चों की सुरक्षा के दिशा निर्देशों के अधूरे पालन पर राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि आदेश केवल कागजों तक सीमित नहीं रह सकते। अदालत ने स्कूल शिक्षा विभाग को अपनी वेबसाइट पर प्रत्येक स्कूल का अनुपालन विवरण प्रकाशित करने का निर्देश दिया ताकि अभिभावक देख सकें कि उनके बच्चों के स्कूलों ने कौन-से सुरक्षा उपाय अपनाए हैं। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति संदेश पाटिल की पीठ ने नाराजगी जताते हुए कहा कि सरकार अपने ही स्कूलों में जरूरी कदम नहीं उठा रही और दूरदराज के आवासीय विद्यालयों, आंगनवाड़ियों व आश्रमशालाओं की सुरक्षा पर भी स्पष्ट जवाब देने में विफल रही है। अदालत ने पाया कि राज्य के करीब 45,000 सरकारी और 11,000 निजी स्कूलों में सीसीटीवी कैमरे नहीं हैं, 25,000 से ज्यादा सरकारी और 15,000 निजी स्कूलों में कर्मचारियों की पृष्ठभूमि की जांच नहीं हुई है, जबकि लगभग 68,000 स्कूलों में बसों में जीपीएस, ड्राइवर सत्यापन और महिला परिचारिकाओं जैसे परिवहन सुरक्षा उपायों का अभाव है। न्यायमित्र की रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि परामर्श सहायता, साइबर सुरक्षा जागरूकता और आपदा प्रबंधन जैसे अहम कदम पूरी तरह उपेक्षित रहे हैं। अदालत ने राज्य सरकार से कहा कि अभिभावकों को केवल व्हाट्सएप और ईमेल के जरिए जानकारी देना पर्याप्त नहीं है और झूठे दावे व गलत बयानबाजी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यह मामला मई 2025 में स्वत: संज्ञान से शुरू हुआ था, जब पिछले साल बदलापुर में छात्राओं के साथ दुराचार की घटना के बाद स्कूल सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं उठी थीं।