
राजेश लक्ष्मण गावड़े
मुख्य संपादक (जन कल्याण टाइम)
🔥 विरोध के प्रमुख कारण
- बिलों में भारी वृद्धि की शिकायत
वडोदरा, सूरत, राजकोट, जमनगर, आनंद, सुरेंद्रनगर जैसे शहरों में लोग कहते हैं कि स्मार्ट मीटर लगने के बाद बिजली का बिल दो–तीन गुना तक बढ़ गया है। उदाहरण के लिए, एक वडोदरा निवासी का चार्ज ₹2,300 से ₹9.24 लाख तक आ गया था । - प्री‑पेड बैलेंस की वजह से रात में बिजली कटौती
जब बैलेंस ₹300 से नीचे गिरता है, तो मीटर खुद-ब-खुद बिजली काट देता है। इसके चलते रात को कई उपभोक्ताओं की बिजली चली जाती है । - इंस्टॉलेशन में सूचना की कमी और जबरन दबाव
कई शिकायतें आई हैं कि बिना जानकारी या सहमति के मीटर लगाए गए। जिन्हें मना किया, उन्हें ₹10,000 जुर्माने से धमकाया गया । - अनपढ़ों और स्मार्टफोन न रखने वालों की समस्या
लोग ये भी कह रहे हैं कि जिन्हें मोबाइल या ऐप की समझ नहीं, वो इस सिस्टम को समझ ही नहीं पा रहे ।

📣 विरोध की गतिविधियाँ
स्थान गतिविधि
सूरत बैनर-पोस्टर, सामाजिक संगठनों द्वारा विरोध, बिजली अधिकारी बिना मीटर लगाए चले गए । सूरत के कोसाड़ इलाके में अलग से सीधी मारामारी भी हुई ।
वडोदरा MGVCL ऑफिस के बाहर धरना, अधिवक्ताओं का समर्थन, कांग्रेस नेता ने आत्म-प्रताड़ना की ।
सुरेंद्रनगर सूर्या पैनल रखने वालों पर जबरिया मीटर लगाना, स्थानीय विरोध, PGVCL ने अस्थायी रोक लगाई ।
मोरबी / अन्य क्षेत्र वहाँ भी ग्रामीण विरोध और मीटरों को हटाने की मांगें शुरू हुई हैं ।
🏛️ सरकारी प्रतिक्रिया
गुजरात सरकार ने घोषणा की है कि अब ड्यूल मीटर सिस्टम यानी पुराने + स्मार्ट मीटर साथ-साथ रखे जाएंगे, ताकि तुलना हो सके और उपभोक्ताओं की शंकाओं का समाधान हो सके ।
गुजरात के चार DISCOMs (MGVCL, UGVCL, PGVCL, DGVCL) ने सभी मीटर फर्मवेयर, तकनीकी और बिलिंग की समीक्षा करने के लिए उच्चस्तरीय बैठक बुलायी ।
👉 करवाई और अगली योजनाएँ
स्थगन
कुछ शहरों में मीटर इंस्टॉलेशन फिलहाल स्थगित कर दिया गया है। उदाहरण — वडोदरा में MGVCL ने रकम बढ़ने की शिकायतों के बाद ये कदम उठाया ।
आम जनतक सहभागिता
अधिकारियों ने अब सरकारी ऑफिसों में मीटर टेस्टिंग शुरू कर दी है ताकि प्रदर्शनों को खत्म किया जा सके और उपभोक्ताओं को विश्वास दिलाया जा सके ।
बिल विवादों की जांच
MGVCL ने कहा है कि पुराने बिल और स्मार्ट मीटर बिल की तुलना की जा रही है, और कोई गलत गणना नहीं हुई है ।
🗣️ आम जनता की माँगें
पुराने मीटर वापस लगाए जाएँ
उपभोक्ता साफ मांग कर रहे हैं कि या तो पुराने मीटर वापस लगाएं या फिर उन्हें बाकी विकल्प चुनने की छूट मिले।
स्थायी रूप से ड्यूल मीटर सिस्टम
ताकि दोनों मीटर की रीडिंग एक साथ उपलब्ध हो और पता चले कौन सही है।
बिलिंग व्यवस्था में पारदर्शिता
कटौती, बैलेंस की जानकारी और तकनीकी खामियों को स्पष्ट किया जाए।
शिक्षा और प्रशिक्षण
उन लोगों के लिए विशेष कार्यशाला हो, जिनके पास स्मार्टफोन या ऐप चलाने की सीमा है।
✅ निष्कर्ष
गुजरात के कई जिलों—विशेषकर सूरत, वडोदरा, राजकोट, जमनगर, सुरेंद्रनगर—में स्मार्ट/डिजिटल मीटर को लेकर हाल में व्यापक विरोध और विरोध प्रदर्शन देखने को मिल रहे हैं। लोगों को बिल अचानक बढ़ने, रात को बिजली कटने, और जबरिया मीटर लगाने जैसी समस्याओं ने रोष में बदल दिया है। अब सरकार चाहे ड्यूल मीटर सिस्टम अपना रही है, लेकिन जनता भरोसा चाहती है कि उनके बिल सही हैं, मीटर में कोई गड़बड़ी नहीं, और उन्हें खुद समझने और असंतोष जताने की स्वतंत्रता है।