

राजेश लक्ष्मण गावड़े
मुख्य संपादक (जन कल्याण टाइम)
💬 “सुख के लालच में ही नए दुःख का जन्म होता है…”
ये कोई साधारण पंक्ति नहीं… ये ज़िंदगी का वो कड़वा सच है, जिसे हम अक्सर नजरअंदाज़ कर देते हैं।
आज का इंसान हर वक़्त “थोड़ा और… थोड़ा और…” की चाह में जी रहा है।
➡️ थोड़ा और पैसा चाहिए।
➡️ थोड़ा और नाम चाहिए।
➡️ थोड़ा और ऐशोआराम चाहिए।
लेकिन यही “थोड़ा और” जब लालच बन जाता है,
तो वो इंसान को धीरे-धीरे नीचे गिराना शुरू कर देता है।

🔥 एक सच्चाई जानिए:
जो इंसान अपने पास के सुख में संतुष्ट नहीं है,
वो चाहे कितना भी पा ले,
उसका मन कभी चैन नहीं पाएगा।
क्योंकि लालच कभी खत्म नहीं होता।
आज सोने का लालच है,
कल जमीन का होगा…
फिर लोगों पर हुकूमत करने का…
और इसी चाह में इंसान दूसरों को कुचलने लगता है,
धोखा देता है, विश्वास तोड़ता है,
और अंततः… खुद को ही बर्बाद कर बैठता है।

🧠 सोचने वाली बात:
सुख की तलाश में ही अगर मन अशांत हो जाए,
तो क्या वो सुख कहलाएगा?
💥 याद रखिए:
“लालच का अंत विनाश होता है,
और संतोष का आरंभ सच्चे सुख से होता है।”

🌿 दर्शकों के लिए सुंदर संदेश:
अगर आप जीवन में वाक़ई खुश रहना चाहते हैं,
तो ज़रूरत है —
लालच नहीं, संतोष की आदत अपनाने की।
➡️ कोई चीज़ पाने की चाह रखें,
लेकिन उसे पाने के लिए अपना ईमान मत बेचिए।
➡️ सफलता की चाह रखें,
लेकिन किसी की गर्दन पर पाँव रखकर नहीं।
➡️ पैसा ज़रूरी है,लेकिन पैसे के लिए इंसानियत खो देना सबसे बड़ा घाटा है।

🎯 अंत में सिर्फ एक बात:
“सुख पाने का सही रास्ता —
‘कम में संतोष’ और ‘अधिक में विनम्रता’ है।”
🙏 धन्यवाद!
सुनते रहिए, समझते रहिए, और खुद को बेहतर बनाते रहिए।
मैं हूँ – राजेश लक्ष्मण गावड़े, फिर मिलते हैं एक और प्रेरणादायक विचार के साथ।
🌟 RLG PRODUCTION – आपकी सोच बदलने का माध्यम 🌟
