
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) को कड़ी फटकार लगाई। ईडी ने छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित नागरिक आपूर्ति निगम (एनएएन) घोटाले को दिल्ली ट्रांसफर करने की मांग को लेकर याचिका दाखिल की थी, जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि एजेंसी को जनता के मौलिक अधिकारों का भी ध्यान रखना चाहिए।
‘ईडी ने खुद कैसे दायर की अनुच्छेद 32 की याचिका?’
न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने सवाल उठाते हुए कहा कि संविधान का अनुच्छेद 32 मूल रूप से व्यक्तियों को उनके मौलिक अधिकारों के उल्लंघन पर राहत मांगने का अधिकार देता है, न कि सरकारी एजेंसियों को। इस पर अतिरिक्त महाधिवक्ता एसवी राजू ने याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी और कहा कि ईडी के पास भी मौलिक अधिकार हैं।
कोर्ट की दो टूक
इस पर कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा, “अगर ईडी के पास मौलिक अधिकार हैं, तो उसे नागरिकों के मौलिक अधिकारों के बारे में भी सोचना चाहिए।” इसके बाद अदालत ने याचिका को वापस लेने की अनुमति दे दी।
क्या है एनएएन घोटाला?
2015 में छत्तीसगढ़ में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) से जुड़ी नोडल एजेंसी नागरिक आपूर्ति निगम (NAN) के कार्यालयों पर छापा मारा गया था। इस दौरान 3.64 करोड़ रुपये की नकदी जब्त हुई थी। जांच में घटिया चावल और नमक की आपूर्ति के भी आरोप सामने आए थे।




