मुंबई: चुनावी लुभावनी योजनाओं, खासकर लाडली बहन योजना के चलते महाराष्ट्र सरकार के खजाने पर भारी दबाव पड़ रहा है। वित्तीय संकट को देखते हुए राज्य सरकार ने सभी स्तरों पर मितव्ययिता (संसाधनों के सावधानीपूर्वक उपयोग) की नीति अपनाने का निर्णय लिया है। राज्य की वित्तीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए मुख्य सचिव सुजाता सौनिक ने सभी विभागों को अनुत्पादक खर्चों में कटौती और मुफ्त योजनाओं को समेकित करने का निर्देश दिया।
कैबिनेट प्रस्तावों में बजट वृद्धि का उल्लेख अनिवार्य
सरकारी आदेश में स्पष्ट किया गया है कि राज्य मंत्रिमंडल के समक्ष प्रस्तुत किए जाने वाले प्रस्तावों में विभागों को यह बताना होगा कि उनके आवंटित बजट में कितनी बार वृद्धि हुई है। बिना इस जानकारी के कोई भी नया प्रस्ताव कैबिनेट में पेश नहीं किया जाएगा।
45,000 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा
हाल ही में प्रस्तुत 2025-26 के बजट में महाराष्ट्र सरकार ने 45,000 करोड़ रुपये के राजस्व घाटे का अनुमान जताया है। सरकार के पास चालू वित्त वर्ष में व्यय के लिए कुल 7.20 लाख करोड़ रुपये उपलब्ध हैं, जबकि अनुमानित राजकोषीय घाटा 1.36 लाख करोड़ रुपये होगा।
58% राजस्व अनिवार्य खर्च में जाता है
सरकार के कुल राजस्व का 58% अनिवार्य खर्चों पर खर्च होता है, जिससे अन्य योजनाओं के लिए सीमित संसाधन बचते हैं। मुख्य सचिव ने निर्देश दिया है कि विभाग तकनीकी उपायों के जरिए खर्चों में कटौती करें और सभी योजनाओं के व्यय का पूरा विवरण प्रस्तुत करें।
योजनाओं का एकीकरण और अनावश्यक योजनाओं की समीक्षा
परिपत्र में कहा गया है कि सरकार को उत्पादक पूंजीगत व्यय बढ़ाने और मुफ्त योजनाओं को समेकित करने की जरूरत है। साथ ही, मंत्रिमंडल द्वारा किसी भी योजना के वित्तीय भार में परिवर्तन के प्रस्ताव से पहले वित्त एवं योजना विभाग से पूर्व अनुमोदन लेना अनिवार्य होगा।