नवसारी। सूरत की लाजपोर सेंट्रल जेल जहाँ संगीन अपराधों के तहत हज़ारों अपराधी बंद है । लेकिन इस सेंट्रल जेल के मेनगेट पर एक भजिया हाउस बना है जिसका संचालन गुजरात के अधीनस्थ सूरत का जेल प्रशासन ही करता है। इस भजिया हाउस में काम करने वाले सभी कैदी हैं।सूरत की इस जेल में बनने वाले भजिया सूरत के लोगों के बीच खासे मशहूर हैं । इसलिए जब भी सूरत के लोगों को भजिया खाने का दिल करता है उनके कदम खुद ही सूरत जेल की ओर मुड़ जाते हैं। पहले ये जेल सूरत शहर के रिंग रोड इलाके में थी। सूरत जेल में कई साल से कैदी भजिया बनाकर लोगों को बेच रहे हैं। गुजरते वक्त के साथ सूरत की जेल में बनने वाली भजिया लोगों के बीच मशहूर हो गईं।कुछ वक्त पहले ये जेल सूरत शहर से निकलकर सूरत के बाहरी इलाके सूरत-नवसारी मेन रोड पर आ गई। इस इलाके को लाजपोर कहा जाता है जो शहर से दूर है। जेल प्रशासन को अब कुछ ऐसा इंतजाम करना था कि लोग शहर से दूर जेल तक भजिया खाने के लिए आएं।
पहले सूरत की जेल से लोग भजिया पैक करा कर ले जाते थे लेकिन अब जेल प्रशासन ने जेल के अंदर ही बैठकर भजिया खाने का इंतजाम करा है।शहर के बाहर मौजमस्ती करने आए लोगों के लिए जेल कंपाउंड के अंदर ही लकड़ी की हट बनाई गईं है जिसमें बैठकर लोग खाना-पीना खा सकते हैं। भजिया बनाने की किचन को भी बड़ा कर दिया गया है।अब यहां पर भजिया बनाने का काम 15 सजायाफ्ता कैदी करते हैं। इस नए रेस्टोरेंट का उदघाटन गुजरात के अडिशनल जेल डीजी के.एल.एन.राव ख़ुद ने किया।सूरत की लाजपोर सेंट्रल जेल के अधीक्षक मनोज निनामा ने बताया कि कोरोना काल से अब तक सूरत जेल भजिया हाउस से क़रीबन 15 लाख का सालाना कारोबार कर चुके हैं जबकि बेकरी प्रॉडक्ट से भी 17 लाख की आय जेल को हो चुकी है ।उनके मुताबिक़ जेल सिर्फ़ चार दिवारी तक सीमित नही है वेलफ़ेयर के लिए भी कार्य होता है | जेल के प्रति पुरानी सोच को छोड़कर निसंकोच भजिया खाने आना चाहिए ।I